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आखिर चीन चाहता क्या है?

पिछले कुछ दिनों से चीन चर्चा में हैं. जी नहीं, COVID-19 के लिए नहीं. उसके लिए तो वह सारे विश्व की गालियां खा रहा हैं. चीन चर्चा में हैं, वह भारत के साथ सीमा पर कुरापात करने के लिए. पिछले ३ – ४ दिनों में उसने लद्दाख और सिक्किम की चीन से जुड़ी सीमाओं पर भारतीय सैनिकों को भड़काने का, उत्तेजित (provoke) करने का पूरा प्रयास किया. सिक्किम के ‘नाकू ला पास’ में दोनों सैनिकों के बीच में हाथापाई हुई. इसके पहले लद्दाख के पेनगोंग तालाब की सीमा पर भी दोनों सेनाओं के बीच मुठभेड़ हुई थी. इसी बीच, चीन ने अपनी सेना के हेलिकॉप्टर भी भारत की सीमा के पास से उड़ाने शुरू किए. और जब इसका उत्तर भारतीय वायु सेना द्वारा सुखोई विमानों की गश्ती से दिया गया, तब जाकर यह प्रकरण शांत हुआ.

चीन इस समय भारत को लेकर बौखला गया हैं. इसके दो प्रमुख कारण हैं. एक तो आर्थिक मोर्चे पर, विश्व में चीन के विरोध में जो स्वर बुलंद हो रहे हैं, उनको अपने यहां आकर्षित करने का प्रयास भारत कर रहा हैं. चीन से निकलने वाली अनेक कंपनियां, भारत को अपना ‘मैनुफेक्चरिंग हब’ बनाने के बारे में गंभीरता से सोच रही हैं. 

लेकिन चीन के बौखलाने का इससे भी बड़ा कारण हैं– भारत ने गिलगिट–बाल्टिस्तान के बारे में अपनाया हुआ रुख. दिनांक ८ मई को दूरदर्शन और आकाशवाणी से मौसम की जानकारी मे, पाकिस्तानी कब्जे वाले मुजफ्फराबाद, मीरपुर, गिलगिट और बाल्टिस्तान भी जोड़े गए. अब पूरे भारत को, प्रतिदिन संपूर्ण काश्मीर के मौसम की जानकारी मिलती हैं. साथ ही भारत सरकार ने पिछले तीन – चार दिनों से गिलगिट – बाल्टिस्तान का अधिकृत ट्विटर अकाउंट जारी किया हैं. और यही चीन की परेशानी का प्रमुख कारण हैं. पाकिस्तानी अवैध कब्जे वाले काश्मीर को (जो भारत का न्याय्य भूप्रदेश हैं), यदि भारत, पाकिस्तान से छुडाकर भारत में विलीन करता हैं, तो पाकिस्तान से भी ज्यादा दिक्कत चीन को होने वाली हैं..! 

पाक के कब्जे वाला काश्मीर, आज भी अधिकृत रूप से पाकिस्तान का नहीं हैं. सारा विश्व और सारी वैश्विक संस्थाएं, उसे पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानती. पाकिस्तान ने, जिस प्रकार से PoK का एक हिस्सा, ‘अक्साई चीन’ के पास का, यह चीन को अवैध रूप से दे दिया, उसी प्रकार पाकिस्तान का रवैया, गिलगिट और बाल्टिस्तान को लेकर हैं.

इस गिलगिट – बाल्टिस्तान की जनसंख्या हमारे जबलपुर के बराबर, अर्थात १८ लाख के लगभग हैं, और इसका बहुत कुछ नियंत्रण, चीनी अधिकारियों के हाथों में हैं. इसीलिए, PoK के प्रधानमंत्री, हाफ़िज़ हाफीजौर रहमान, पाकिस्तानी हुकूमत की अत्यधिक भर्त्सना करते हैं. इस क्षेत्र में कोरोना (COVID-19) के ६०७ मरीज हैं. किन्तु, उनकी कोई चिंता, इस्लामाबाद या कराची में बैठे हुए नेताओं को नहीं हैं. चीन कुछ सामग्री OBOR से भेज रहा हैं. सीमा पर ‘खूंजेराव पास’ पर पाकिस्तानी सेना, वह सामग्री लेती हैं, और अपने हेलिकॉप्टर से उसे इस्लामाबाद, लाहौर और कराची में भेज देती हैं. गिलगिट – बाल्टिस्तान में इस समय मात्र १५ वेंटिलेटर्स हैं. 

कश्मीर को हम धरती का स्वर्ग कहते हैं. उस कश्मीर को, जो आज हमारे कब्जे में हैं. लेकिन जो कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में हैं, उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा हैं. ..! प्रकृति ने अपनी सारी सुंदरता यहां पर निछावर की हैं. गिलगिट और बाल्टिस्तान का यह प्रदेश वास्तव में धरती का स्वर्ग हैं..! 

आज धरती के इस स्वर्ग में हजारों चीनी सैनिकों की आवाजाही देखने को मिलती हैं. ऐसा लगता हैं, मानो पाकिस्तान ने कश्मीर के इस हिस्से का नियंत्रण चीन को सौंप दिया हैं. चीन की दृष्टि से इस प्रदेश का सामरिक महत्व बहुत ज्यादा हैं. पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन ने तैयार किया हैं, और ग्वादर के रास्ते वह अपने सारे पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति करने जा रहा हैं. ऐसे में चीन से ग्वादर जाने वाला रास्ता गुजरता हैं, गिलगिट – बाल्टिस्तान से..!

इस क्षेत्र में बारह महीने चलने वाला एकमात्र राजमार्ग हैं – काराकोरम राजमार्ग. कभी ‘सिल्क रूट’ का हिस्सा रहे इस राजमार्ग की चौड़ाई अभी १० मीटर हैं. चीन उसे तीन गुना चौड़ा करना चाहता हैं – अर्थात तीस मीटर का राजमार्ग ! चीन की यह महत्वाकांक्षी परियोजना हैं, जो CPEC (China – Pakistan Economic Corridor) या OBOR (One Belt One Road) कहलाती हैं. ३,००० किलोमीटर की इस परियोजना पर चीन 46 बिलियन अमेरिकन डॉलर्स खर्च कर रहा हैं. 

चीन का पश्चिम राजमार्ग ‘ल्हासा – काशगर / शिनजियांग राजमार्ग’ हैं. यही आगे जाकर काराकोरम राजमार्ग से मिलता हैं. यह क्षेत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं की इसके २५० किलोमीटर के दायरे में चीन, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और भारत ये पांच देश आते हैं.

सीमा क्षेत्रों में, दुर्गम स्थानों में रास्ता बनाने के लिए हमारे देश में ‘बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन’ (BRO) हैं. उसी प्रकार चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ (PLA) का निर्माण विभाग हैं. इस निर्माण विभाग के अंतर्गत हजारों की संख्या में चीनी सैनिक इस समय गिलगिट – बाल्टिस्तान में काराकोरम राजमार्ग को चौड़ा करने का काम कर रहे हैं.

यह योजना लगभग चौदह वर्ष पुरानी हैं. जून, २००६ में चीन के ‘एसेट्स सुपरविज़न एंड एडमिनिस्ट्रेशन कमीशन’ (ASAC) और पाकिस्तान की ‘नेशनल हाइवे अथॉरिटी’ के बीच एक एम् ओ यु हस्ताक्षरित हुआ, जिसके तहत चीन के शिनजियांग से पाकिस्तान के ग्वादर तक चौड़ा रास्ता बनाने की बात की गई थी. इसी के फॉलो-अप के रूप में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के जुलाई, २०१० के चीन दौरे के समय एक और समझौते पर हस्ताक्षर हुए. यह समझौता हुआ चीन की ‘चाइना रोड एंड ब्रिज कारपोरेशन’ (CRBC) के साथ. इसके तहत ‘काराकोरम हाईवे प्रोजेक्ट – फेज – २’ को क्लियर किया गया.

इन रास्तों के साथ ही तीन वर्ष पहले, चीन की स्टेट काउंसिल ने गिलगिट – बाल्टिस्तान होते हुए लगभग छह सौ किलोमीटर के रेल लाइन की परियोजना घोषित की हैं. इस रेल लाइन के द्वारा पाकिस्तान के खैबर पख्तुनवाला क्षेत्र के आबोटाबाद जिले का हवेलियाँ शहर, ‘खुन्जेरर्ब पास’ से जुड़ जाएगा.

चायना गेझौबा ग्रुप कंपनी (CGGC) यह चीन के वुहान की कंपनी हैं. इनफ्रास्ट्रक्चर और हाइड्रोपावर के क्षेत्र में विशालतम परियोजनाओं को पूर्ण करना यह इस कंपनी की विशेषता हैं. पाक के कब्जे वाले काश्मीर के मुजफ्फराबाद से ४२ किलोमीटर दूरी पर इस कंपनी ने एक बड़ा ‘नीलम-झेलम हाइड्रोपावर प्लांट’ (NJHP) लगाया हैं. इसकी क्षमता  969 MW की हैं. इसकी पूरी मालकीयत, इसका पूरा स्वामित्व, चीन की CGGC इस कंपनी के पास हैं.

अर्थात, पाक के कब्जे वाले काश्मीर में, चीन का बहुत ज्यादा निवेश दांव पर लगा हुआ हैं. चीन की पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई चेन, इसी प्रदेश से नियंत्रित होने वाली हैं. आज चीन ने पाकिस्तान को अपना अंकित बना लिया हैं. पाकिस्तान से उसे कोई समस्या नहीं हैं. पर भारत से हैं. घनघोर समस्या हैं. इसलिए चीन कभी नहीं चाहेगा, की भारत के पास, PoK का स्वामित्व रहे.

संक्षेप मे, गिलगिट – बाल्टिस्तान को कब्जे में लेना, इतना आसान नहीं हैं. वहां हाथ डालने का मतलब, पाकिस्तान और चीन के नागनाथ – सापनाथों को एक साथ ललकारना हैं. मोदी सरकार अपनी चाले बड़ी कुशलता से चल रही हैं. एक एक कदम, अखंड और संपूर्ण काश्मीर की तरफ बढ़ रहा हैं. हमारे सामने एक इतिहास बनने जा रहा हैं… बस, हम उतावलापन न दिखाये. धीरज रखे.

मीरपूर, मुजफ्फराबाद, गिलगिट जैसे प्रकृति के सुरम्य आविष्कार को देखने, हम सब बिना वीजा जा सकेंगे, यह तो निश्चित हैं..!

–  प्रशांत पोळ