आरएसएस और एबीव्हीपी ने रचा इतिहास
किसी भी निजी संगठन की शायद ये सबसे बड़ी स्क्रीनिंग होगी, जो एक दिन में की गई होगी। RSS और ABVP के कार्यकर्ताओं ने एक ही दिन में मुम्बई की सबसे बड़ी स्लम बस्ती धारावी में 10,000 लोगों की स्क्रीनिंग कर दी। बड़ी संख्या में संघ और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता वहां पीपीई किट और बाकी सभी मेडिकल साजोसामान के साथ रविवार को पहुंचे और स्क्रीनिंग के लिए कई कैम्प लगाए। अब तक 90,000 लोगों की स्क्रानिंग इस इलाके में ये कार्यकर्ता कर चुके हैं।
(2/2) व वर्तमान में सबसे बड़े हॉटस्पॉट धारावी में यह कार्य जारी है। अबतक 90 हजार से अधिक स्क्रीनिंग कर ली गयी है। इस चुनौतीपूर्ण व संवेदनशील कार्य के लिए @iAniketOvhal व अन्य सारे @ABVPMumbai के कार्यकताओं का अभिनन्दन। आपकी मेहनत अवश्य रंग लाएगी। @mybmc pic.twitter.com/WZO1XyTWNo
— Shreehari Borikar (@Shreeharib1) June 7, 2020
कोविड 19 की महामारी से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति निरामय सेवा फाउंडेशन एवं सेवांकुर नाम के 2 संगठन हैं, जिनके बैनर तले RSS और ABVP से जुड़े स्वयंसेवक कार्यकर्ता मुंबई में इस मास स्क्रीनिंग के आयोजन से जुटे। रविवार को अभियान का तीसरे चरण था। पहल से तय कर लिया गया था कि ये स्क्रीनिंग अभियान अब तक का सबसे बड़ा होगा।
यह पूरा अभियान मुंबई महानगरपालिका (BMC) के मार्गदर्शन में ही किया जा रहा है। रविवार को कुल 10,800 से भी अधिक व्यक्तियों की स्क्रीनिंग आज दिनभर में की गई। 50 अलग अलग स्थानों पर 4-4 सदस्यों का एक समूह भेजा गया। हर समूह में एक डॉक्टर भी रखा गया। हर समूह के पास पीपीई किट, मास्क, सेनीटाइजर और स्क्रीनिंग से जुड़े मेडिकल इक्विमेंट्स थे।। कुल 400 से 500 के बीच कार्यकर्ता, स्वयंसेवक इस दौरान धारावी में इस कार्यक्रम से जुड़ी अलग अलग तैयारियों में लगे रहे।
इस दौरान ना केवल बीएमसी के अधिकारियों की पूरी गाइडलांइस का पालन किया गया बल्कि धारावी के अलग अलग स्थानों में काम कर रहीं स्थानीय स्वयंसेवी संस्थांओं की भी मदद ली गई। अब तक ये कार्यकर्ता मुम्बई में ही कुल अलग अलग 25 स्थानों पर स्क्रीनिंग के कार्यक्रमों को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन पहली बार धारावी को लेकर ये विशाल आयोजन किया गया। दरअसल धारावी सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका है, शनिवार तक कुल 1900 केस अकेले धारावी इलाके में ही बाहर आ चुके हैं। चूंकि गरीब, श्रमिक तबका यहां बहुत ज्यादा है, सो जागरूकता की कमी भी दिखती है। ऐसे में सरकारी संस्थाएं बिना एनजीओ या स्वयंसेवी संस्थाओं के इतनी बड़ी आपदा में पार नहीं पा सकतीं, मुम्बई तो वैसे भी सबसे ज्यादा संक्रमण झेल रहा है।