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जनजातीय समाज की अनूठी दीपावली

झारखंड के जनजातीय बहुल क्षेत्र में अच्छी खासी आबादी वाले संथाल जनजाति के लोग दीपावली के दौरान अनूठे ढंग से यह त्यौहार मनाते हैं। संथाल जनजातियों द्वारा धूमधाम से दीपोत्सव के दौरान मनायी जाने वाली इस अनूठी परंपरा को क्षेत्र अंतर्गत ‘सोहराय पर्व’ के नाम से जाना जाता है।

इस दौरान संथाल जनजाति समुदाय के लोगों द्वारा प्रकृति और गौमाता की पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान जनजातीय समुदाय द्वारा अपने घरों की सफाई कर दीवारों पर खूबसूरत चित्र भी उकेरें जाते हैं।

दीपावली के दिन से प्रारंभ होने वाली इस अनूठी परंपरा के पहले दिन जनजातीय समुदाय द्वारा जेहरा स्थल पर विधि विधान से गोड पूजा की जाती है। इस दौरान हर आयु वर्ग के लोग उपस्थित रहते हैं। इस परंपरा के अंतर्गत दूसरे दिन गोड़ा बोंगा (गोहाल के देवता ) की पूजा अर्चना की जाती है।

झारखंड के जनजातीय समाज की अनूठी दीपावली

इस दौरान जनजातीय समाज के लोगों द्वारा गोशाला में जाकर, गाय एवं बैलों की विधी विधान से पूजा अर्चना कर ईश्वर से पशुधन के सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है। तीसरे दिन संथाल समुदाय के लोगों द्वारा गाय व बैल को घर से बाहर खड़ा कर स्नान करा उनकी पूजा अर्चना की जाती है।

इस दौरान पशुओं के निरोग रहने एवं खेती में पशुओं के योगदान को ध्यान में रख कर, ईश्वर से प्रदत्त जीवों की रक्षा का आह्वान किया जाता है। इसके अतिरिक्त पशुओं को माला पहनाकर दीप प्रज्वलित कर उनकी आरती भी उतारी जाती है। सोहराय पर्व के चौथे दिन गांव के युवाओं द्वारा पारंपरिक संथाल नृत्य करते हुए पूरे गांव से अनाज संग्रह किया जाता है।

संग्रह किये गए अनाज से पर्व के आखिरी दिन कुलदेवता की पूजा अर्चना के साथ सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है, इस दौरान जनजातीय समाज के लोग हर्षित होकर नाचते- गाते भी हैं।

सनातन धर्म में हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले दीपावली के समानांतर मनाए जाने वाला ‘सोहराय पर्व’ ना केवल संथाल जनजातियों के सनातन धर्म का अभिन्न हिस्सा होने का जीवंत उदाहरण है अपितु दीपोत्सव के बाद की जाने वाली गोवर्धन पूजा और संथाल जनजातियों द्वारा गोहाल के देवों की पूजा अर्चना की परंपरा तो बिल्कुल एक जैसी प्रतिलिक्षित होती है।

झारखंड के जनजातीय समुदाय द्वारा मनाए जाने वाला यह पर्व ऐसे लोगों की तथाकथित अवधारणाओं को भी प्रत्यक्ष रूप से चुनौती देता है जो जनजातीय समाज की परंपराओं को सनातन धर्म से अलग बताने का षड्यंत्र रचते हैं।