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अवैध प्रवासियों की जनसंख्या छुपाने के लिए है ORP व अलग धर्म कोड की माँग….

”अगर आधार नहीं किया अनिवार्य तो बहुत कम हो जाएगा जनजातियों का जनसंख्या प्रतिशत”

भारत के समविधान के अनुच्छेद 342 अनुसार अनुसूचित जनजाति हेतु जनसंख्या के अनुरूप केंद्र, राज्य ज़िला व अनुसूचित क्षेत्र में आरक्षण के प्रावधान हैं, इसीलिए जनगणना का भारत के जनजातियों के लिए सीधा असर उनके सामवैधानिक अधिकारों की प्राप्ति से सम्बंधित है ।

विगत चार दशकों की जनगणना का विश्लेषण करने पर महत्वपूर्ण जनसांख्यिकिय परिवर्तन पर आपका ध्यान आकर्षण चाहता हूँ । पूर्वी पाकिस्तान विभाजन उपरांत ही एक अल्पसंख्यक वर्ग ने जनजातीय बाहुल्य इलाक़ों में अवैध घुसपैठ की है, अब तक वे किसी प्रकार खुद को छुपाते आये हैं,

अनुसूचित जनजाति को लेकर असम के समुदायों में तनाव - tension-in-assam

मगर 2021 की जनगणना में “हाउस सेंसस“ के कारण, एक अल्पसंख्यक वर्ग की जनसंख्या में उछाल के आँकड़े बाहर होने से, उनके अवैध रहने का मामला उछल सकता है, ये अवैध प्रवासी झारखंड, बिहार व राजस्थान में बसे हुए हैं, व नक़ली नोटों व मादक पदार्थों के व्यापार के साथ आतंकी गतिविधियों में भी संलग्न हैं ।

कई जनजाति बाहुल्य राज्यों जैसे- राजस्थान, मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र व झारखंड में एक अल्पसंख्यक समुदाय की दशकीय जन्म दर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जो इस अल्प संख्यक वास्तविक जनसंख्या वृद्धि या अवैध प्रवासियों जिनमे रोहिंग्या व बांग्लादेशी भी शामिल के कारण हो सकती है । आधार कार्ड की अनिवार्यता से अचानक हो रही अवैध प्रवासियों की जनसंख्या उछाल पर परिवर्तन लगेगा,

जिसका लाभ राज्य के SC तथा ST समुदाय को मिलने वाली सुविधाओं पर इन अवैध प्रवासियों के अतिक्रमण से बचेगा । इस बात को जानते हुए भी, इन अवैध प्रवासियों को जनजातीय बहुल राज्यों में छुपाए रखने के लिए ORP व अलग धर्म कोड की माँग की गई है, जिससे ये ORP या अलग धर्म कोड अपना कर,

एक अल्पसंख्यक वर्ग की जनसंख्या वृद्धि को छुपा सकें । इस कार्य के लिए, “ पेट्रो डोलर व वहाबी दीनार “ हवाला के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में लाया जा रहा है । बड़े महानगरों जैसे मुंबई, पुणे, नाशिक, बेंगलोर, हैदराबाद व विशखापटनम में रोज़गार के कारण बड़ी संख्या में देश के दूसरे हिस्सों से इन अवैध प्रवासियों का पलायन हुआ है ।

जब दूसरे राज्यों से रोज़गार के लिए महानगरों में इनका पलायन होता है , तब उस राज्य के जनजातियों का प्रतिशत घट जाता है, ये अवैध प्रवासी वास्तव में SC/ST वर्ग के रोज़गार के अवसर भी छीन रहे हैं, जिससे राज्य में मिलने वाले आरक्षण के प्रतिशत में कमी आती है, तथा विकास भी शहर केंद्रित हो जाता है, आधार की अनिवार्यता से पर्सिमन को शहरी और ग्रामीण दो हिस्सों में बाँटकर, ग्रामीण क्षेत्र के SC/ ST वर्ग के हितों की रक्षा की जा सकती है ।

अतः आपसे अनुरोध है, हमें SC व ST दोनों के लिए जनगड़ना में आधार कार्ड नम्बर की अनिवार्यता की माँग करनी चाहिए, इस से धार्मिक पहचान से जुड़े दो अन्य फ़ायदे भी हैं :

पहला : कई अनुसूचित जाति समुदाय अनभिज्ञता वश जनगड़ना में भारत से बाहरी (हिंदू, सिख व बौद्ध के अलावा), लिखवाते हैं मगर जाती प्रमाण पत्र पर (भारतीय धर्म) ताकी आरक्षण का लाभ भी मिलता रहे. आधार कार्ड की अनिवार्यता और उसमें अगर वो SC के साथ विदेशी धर्म लिखवाएँ तो वो स्वीकार ना हो । इस से SC वर्ग को धर्म परिवर्तन के अवैध प्रयासों के कारण, आरक्षण से वंचित होने के ख़तरों से SC वर्ग को बचाया जा सकता है ।

दूसरा : ST के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य करेंगे तो किस क्षेत्र में, जनजातियों की संस्कृति, भारत से बाहरी धर्मों में परिवर्तन के कारण ब अवैध प्रवासियों के कारण नष्ट हो चुकी है, उसका आँकलन होगा । और जो ST वर्ग अपनी इक्षा से अपनी संस्कृति, भारत के बाहरी धर्म में प्रवेश कारण छोड़ चुके हैं, उन क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र से बाहर किया जाए,

अन्यथा ईस्ट तिमोर जैसे अलगाँव के कारण उत्पन्न हो सकते हैं, और जो जनजाति आज भी अपनी संस्कृति से जुड़े हैं, उनके हितों की रक्षा होगी । भविष्य में यदि अनुसूचित क्षेत्र की अधिकांश आबादी अभारतीय धर्म व संस्कृति में परिवर्तित हो जाए तो उनका अनुसूचित क्षेत्र हटा दिया जाए, क्यूँकि मतान्तरण से उनकी सांस्कृतिक पहचान बदल गई है ।

उपरोक्त दो कार्य, उन लोगों के असली चेहरे भी सामने लाएँगे, जो लोग अवैध प्रवासियों के माध्यम से जनसांख्यिकीय परिवर्तन को छुपा कर भविष्य में SC/ST वर्ग का आरक्षण ख़त्म करना चाहते हैं, इन्हीं अवैध प्रवासियों के समर्थकों ने झारखंड व राजस्थान में ORP व आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की माँग की है,

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ताकी उसकी आड़ में अवैध प्रवासियों को भी ORP या अलग धर्म कोड में दिखाकर उन्हें अल्प संख्यक की जनसंख्या को छुपाया जाए, और जब इन अवैध प्रवासियों की अगली पीढ़ी को मान्यता मिल जाए, तब अगली जनगड़ना में वे अपने अल्पसंख्यक कोड को चिन्हित करके, जनजातियों का अस्तित्व व आरक्षण को समाप्त कर सकें, आज जो जनजातीय नेतृत्व ORP व अलग धर्म कोड की माँग कर रहा है, इन अवैध प्रवासियों का समर्थक है ।

लेखक:- लक्ष्मण राज सिंह मरकाम