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आओ जलाएं दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है

दीपावली पर्व “तमसो मा ज्योतिर्गमय” सूक्त को चरितार्थ करने वाला पर्व, दीपावली पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला पर्व, गरीबों के जीवन में खुशियां लाने वाला पर्व, दीपावली पर्व भगवान श्रीराम के अयोध्या वापस आने का पर्व। भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने असंख्य दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। अयोध्या की नगरी उनके स्वागत के लिए चारों तरफ रंगोली, फूल माला विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर भगवान श्रीराम का स्वागत करती है।

भारतीय संस्कृति में त्यौहार का नाम आता है तो व्यक्ति के मानस पटल में कोई पहला पर पर्व आता है तो वह दीपावली का पर्व होता दीपावली देश का सबसे बड़ा त्यौहार है। दीपावली  भारत के बाहर रहने वाले भारतीय और अन्य लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण त्यौहार है। वे लोग भी दिवाली को बहुत धूम-धाम से मानते हैं यह त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है।

इस दिन हर तरफ ख़ुशी का माहौल होता है, लोग रंग-बिरंगी लाइटों से अपने-अपने घरों को सजाते हैं और बच्चे-युवा लोग मिलकर घरों के बाहर पटाखे छुड़ाते हैं।

Ayodhya Deepotsav 2021: जगमग हुई प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या, 36 हजार  लीटर सरसों के तेल से जले 12 लाख दीये, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड - Ayodhya  deepotsav 2021 cm yogi 12 lakh

दीपावली आने से कुछ दिन पहले ही लोग इस त्यौहार को मनाने की तैयारी में लग जाते हैं। दीवाली के दिन लोग अपनी दुकानें, अपना घर, स्कूल, दफ्तर आदि को दुल्हन की तरह सजाते हैं। सभी लोग नए कपड़े खरीदते हैं, इस दिन घर और दुकानों की भी अच्छे से सफाई की जाती है। दीवाली की रात पूरा भारत जगमगाता है। रंग बिरंगी लाइटें, दिए, मोमबत्ती आदि से पूरे भारत को सजाया जाता है। दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा करने के बाद सभी लोग अपने पड़ोसियों और अपने रिश्तेदारों को प्रसाद, मिठाई, गिफ्ट आदि देते हैं। इस दिन लोग पटाखे, बम, फुलजड़ी आदि भी जलाते हैं। वर्षा के बाद की गंदगी भव्य आकर्षण, सफाई और स्वच्‍छता में बदल जाती है। लक्ष्मी जी के आगमन में चमक-दमक की जाती है।

दीवाली के त्यौहार को बुरे पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। भारत ही नहीं बल्कि और भी कई देशों में दीवाली का त्यौहार बहुत की धूम धाम से मनाया जाता है। प्रत्येक समाज त्योहारों के माध्यम से अपनी खुशी एक साथ व्यक्त करता है।

दीपावली का त्यौहार वास्तव में “एकात्म मानववाद” को भी दर्शाता है क्योंकि हर वर्ग विशेषकर अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के लिए भी दीपावली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है हम जब दीपावली पर्व मनाते हैं तो हम छोटे से लेकर बड़ा व्यक्ति ही क्यों ना हो वह ऐसी बहुत सारी वस्तुएं खरीदता है जिससे बहुत सारे लोगों के जीवन में खुशियां आती हैं जैसे हम दिए खरीदते हैं जो कि मिट्टी से बने हुए रहते हैं जिसे कुम्हार बनाता है हम फूल माला लेते हैं वस्त्र खरीदते हैं छोटे छोटे व्यापारी वर्ष भर इंतजार करते हैं। बहुत सारे लोगों को रोजगार मिलता है छोटी-छोटी चीजें का भी विशेष महत्व है छोटी-छोटी दुकानें लगी रहती हैं जैसे कोई सिंगाड़े की दुकान लगाता है,उ कोई फूल की दुकान लगाता है, फल की दुकान लगाता है, रंग बिरंगी लाइट लगाते हैं ।

यह स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल करने के संदेश देने का भी पर्व है पूरे विश्व की आंखें भारत के बाजार पर पड़ी रहती हैं कि किस तरह से वह दीपावली में आर्थिक रूप से लाभ ले सके। विगत कई वर्षों पहले तक चाइना से बनी वस्तुएं भारत में अधिक बिक रही थी चाइना से आई हुई वस्तुओं का ज्यादा आयात होता था और लोग उसे खरीदा करते थे लेकिन समय बदला स्वदेशी अपनाओ का नारा बुलंद हुआ तो स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल का प्रचार ही नहीं हुआ बल्कि उसे लोगों ने अपनाया इसका श्रेय एक समय महात्मा गांधी को जाता था लेकिन वर्तमान समय में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को जाता है क्योंकि वह बड़े वैश्विक पटल पर भी स्वदेशी वस्तुओं का ना केवल इस्तेमाल करने की बात करते हैं बल्कि “आत्मनिर्भर भारत” एवं मेक इन इंडियाके तहत उन्होंने कई योजनाएं लागू की हैं और  विश्व की बड़ी-बड़ी सम्मिट में भी वह जाकर हमारे भारतीय परिधानों को पहनते हैं।

आज 2 साल से कोरोना संकट से जूझ रहे थे यह महामारी कहीं ना कहीं चाइनीस वायरस ही था जिसने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को तोड़ने का प्रयास किया आज का यह समय है कि नरेंद्र मोदी जी ने जो आह्वान किया था वह “वोकल फोर लोकल” आत्मनिर्भर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है हमारे किराना का व्यापारी और हमारे घर के पास रहने वाले वह व्यापारी जिन्होंने कोरोना वायरस के समय जब हम घर पर थे तो वह हमें किराने की वस्तुएं उपलब्ध करा रहे थे इस प्रकार के विषम परिस्थिति में हमें अपनी जान पर खेलकर वस्तुओं को उपलब्ध कराया आज यह समय है कि हमें  “वोकल फोर लोकल” को मंत्र बना देना चाहिए।  इससे हमारे भारत की अर्थव्यवस्था भी बहुत अच्छी मजबूत होती है।

भारत में निर्मित उत्पाद विश्व प्रसिद्ध है। “मेड इन इंडिया” जब कहीं लिखा रहता है तो उसकी प्रमाणिकता पर शक नहीं किया जा सकता। आज जरूरी है कि इस “मेक इन इंडिया” प्रोग्राम को भी हम आगे बढ़ाते रहें और ज्यादा से ज्यादा भारत में निर्मित वस्तुएं बनाने वाले उत्पादकों को अगर हम प्रोत्साहित करेंगे तो भारत में ही नहीं पूरे विश्व में भारतीय उत्पादों की खपत बढ़ेगी।

पूरा विश्व हमारे भारत की सनातन परंपरा को पसंद कर रहा है साथ ही भारतीय परंपरा को स्वीकार करने का प्रयास भी कर रहा है किंतु दूसरी ओर कुछ विदेशी ताकतें हमारे त्यौहारों के अवसर पर दुष्प्रचार भी चलाती हैं अक्सर भारतीय त्योहारों में तरह-तरह के दुष्प्रचार भी चलाए जाते हैं जिससे बचने की आज आवश्यकता है  ऐसे दुष्प्रचार से बचना चाहिए यह हमारी सनातन परंपरा है भारतीय विचारधारा हिंदू सनातनी विचारधारा “वसुदेव कुटुंबकम” की विचारधारा है जो कि यह कहती है कि सभी का कल्याण हो तो वह परंपरा कभी भी किसी का अहित नहीं चाहती हमारे यहां पर पौधों की पूजा होती है पर्वत की पूजा होती है नदी की पूजा होती है पशुओं की पूजा होती है। हमें हमारे प्रिय त्यौहार को अच्छे से मनाना चाहिए प्रयास करना चाहिए कि हम अपने इस त्यौहार के समय किसी के जीवन में भी खुशियां लाएं।

माना अंधेरा घना है मगर दीया जलाना कहां मना है
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं बधाई।  

लेखक:- चंद्रशेखर पटेल “कुशवाहा”