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आत्मनिर्भर व स्वावलंबी भारतीय अर्थव्यवस्था निर्माण में स्वदेशी की भूमिका

आत्मनिर्भर व स्वावलंबी भारतीय अर्थव्यवस्था निर्माण में स्वदेशी की भूमिका

प्रस्तावना- आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी भारतीय अर्थव्यवस्था स्वदेशी कम्पनियों एवं आम जनता सभी राजनैतिक एवं बिशेष समूह या बर्ग के व्यक्तितयो में आत्मनिर्भर व स्वदेशी उत्पाद (product) का इस्तेमाल करने की भवना होंनी चाहिए।

वह स्वयं स्वदेशी अपनाये एवं देश के समस्त जन से स्वदेशी उत्पाद अपनाने की अपील करे जब हर सिरे से एक-एक उत्पाद चाहे उसका उपयोग कहि भी घड़ी मोबाइल,कार,टी व्ही,साबून,क्रीम आदि सभी स्वदेशी ही खरीदने में हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी सुधार होगा।

आत्मनिर्भर भारत का अर्थ- आत्मनिर्भर भारत का अर्थ होता है कि हम उत्पाद का निर्माण अपने देश में कर सके विदेशी छोड़ स्वदेशी अपना सके किसी भी प्रोडक्ट के लिए विदेशी कंपनी पर निर्भर ना रहें अर्थात अपने देश में बनी बस्तुओं का ही उपयोग करे।

आत्म निर्भर व स्वाबलबी भारतीय अर्थव्यवस्था बनने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार करना होगा भारत की समस्त जनता को यह ज्ञान हो को कौन सी स्वदेशी कम्पनी है और कौन सी विदेशी कंपनी है।
भारत की टॉप 10 स्वदेशी कम्पनी-

1. ITC
2. अमूल
3. पतंजलि
4. ब्रिटेनिया
5. डाबर
6. कोदरेज
7. मैरिको
8. इमामी
9. हिमालय
10. पारले जी
ये कंपनी लगभग जरूरत आने बाली सभी चीज़ों का निर्माण करती है!

कुछ प्रसिद्ध स्वदेशी मोबाइल कम्पनी-
Lava ,micromax,celkon intex karbonn ,spice videocon, xolo,etc अन्य देश और भारत देश मे अंतर क्या हम कितने देशभक्त हैं हम छोटी से छोटी चीज़ों को खरीदते वक्त स्वदेशी या विदेशी कम्पनी नही देखते बल्कि खरीद लेते है,

किंतु यदि हम कोई भी देश जैसे चीन की ही बात करे तो चीन हर प्रोडक्ट खुद का ही बना इस्तेमाल करता है अपने घर मे तो किसी को नही घुसने देता लेकिन भारत उसके बने प्रोडक्ट आज हर घर मे इस्तेमाल कर रहा है

जैसे कि हम whatsapp का उपयोग करते लेकिन चीन खुद का ही app wechat उपयोग करता है। दुनिया facebook की दीवानी है लेकिन चाइना के लोग renren का उपयोग करते गूगल क्रोम की जगह uc ब्राउजर हम gmail का उपयोग करते वह QQ.com चलाते oppo vivo redmi ने तो हर घर मे कब्जा कर लिया है,

आज चीन का एक एक प्रोडक्ट भारत हर घर मैं है किंतु चीन के एक एक घर के केवल चीन का ही बना प्रोडक्ट है देश की बढ़ोतरी और अर्थव्यवस्था की बात आती तो सारे चायनीज़ एकजुट हो जाते इसी देशभक्ति के जज्बे की ज़रूरत आज प्रत्येक भारतीय को है देश की अर्थव्यवस्था और भारत बासियो को सुरक्षित रहने के लिये हमें आज से ही खुद की काबू में करना होगा और सभी को स्वदेशी अपनाना होगा।

गांधी जी के द्वारा स्वदेशी दृष्टिकोण का महत्व-

गांधीवादी दृष्टिकोण पर आधारित स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वोदय की अवधारणा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सामान्यतः महात्मा गांधी को औपनिवेशिक सत्ता के विरुद्ध के विरुद्ध संघर्ष करने वाले योद्धा के रूप में देखा जाता है,

किंतु यदि गहराई से देखें तो गांधी ने न केवल स्वतंत्रता की लड़ाई बल्कि उन्होंने हर समय भारतीय सभ्यता को श्रेष्ठता दिलाने का प्रयास भी किया और विश्व व्यवस्था के समक्ष भारतीय सभ्यता का प्रतिनिधित्व किया।

पश्चिमी सभ्यता के वर्चस्व वाले उस युग में गांधी ने भारतीय सभ्यता को श्रेष्ठ बताते हुए उसे संपूर्ण विश्व के लिये एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने गांधी के बारे में उचित ही लिखा है-

“एक देश में बांध संकुचित करो न इसको
गांधी का कर्तव्य क्षेत्र, दिक् नहीं, काल है
गांधी है कल्पना जगत के अगले युग की
गांधी मानवता का अगला उद्विकास है”

इस आलेख में गांधीवादी दृष्टिकोण की व्यापकता को समझते हुए, वैश्विक महामारी COVID-19 के प्रसार को रोकने में सहायक स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वोदय की अवधारणा का मूल्यांकन करने का प्रयास किया।

बिशेष- प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के लिये महत्वपूर्ण तथ्य- भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा COVID-19 महामारी के दौरान देश को संबोधित करते हुए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की चर्चा की गई तथा आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गई।

प्रमुख बिंदु: प्रधानमंत्री ने COVID-19 महामारी से पहले तथा बाद की दुनिया के बारे में बात करते हुए कहा कि 21 वीं सदी के भारत के सपने को साकार करने के लिये देश को आत्मनिर्भर बनाना ज़रूरी है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि भारत को COVID-19 महामारी संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिये।

आत्मनिर्भर भारत:- वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता (Self-Reliance) की परिभाषा में बदलाव आया है। आत्मनिर्भरता (Self-Reliance), आत्म-केंद्रित (Self-Centered) से अलग है।
भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की संकल्पना में विश्वास करता है। चूँकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, अत: भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान देता है।

‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्करण नहीं किया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी।

मिशन के चरण:

मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा प्रथम चरण:- इसमें चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।

द्वितीय चरण:- इस चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत के पाँच स्तंभ:-
आत्मनिर्भर भारत पाँच स्तंभों पर खड़ा होगा:

1.अर्थव्यवस्था (Economy):
जो वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) के स्थान पर बड़ी उछाल (Quantum Jump) पर आधारित हो;

2.अवसंरचना (Infrastructure):
ऐसी अवसंरचना जो आधुनिक भारत की पहचान बने;

3.प्रौद्योगिकी (Technolog):
21 वीं सदी प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था पर आधारित प्रणाली;

4.गतिशील जनसांख्यिकी (Vibrant Demography):
जो आत्मनिर्भर भारत के लिये ऊर्जा का स्रोत है;

5.मांग (Demand):
भारत की मांग और आपूर्ति श्रृंखला की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिये।

आत्मनिर्भर भारत के लिये आर्थिक प्रोत्साहन:
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। यह पैकेज COVID-19 महामारी की दिशा में सरकार द्वारा की गई ,

पूर्व घोषणाओं तथा RBI द्वारा लिये गए निर्णयों को मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपये का है, जो भारत की ‘सकल घरेलू .उत्पाद’ (Gross domestic product- GDP) के लगभग 10% के बराबर है। पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों (Land, Labour, Liquidity and Laws- 4Is) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

आर्थिक पैकेज का विश्लेषण:- घोषित किया गया पैकेज वास्तविकता में घोषित मूल्य से बहुत कम माना जा रहा है क्योंकि इसमें सरकार के ‘राजकोषीय’ पैकेज के हिस्से के रूप में RBI द्वारा पूर्व में की गई घोषणाओं को भी शामिल किया गया हैं।

सरकार द्वारा पैकेज के तहत घोषित प्रत्यक्ष उपायों में सब्सिडी, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, वेतन का भुगतान आदि शमिल होते हैं। जिसका लाभ वास्तविक लाभार्थी को सीधे प्राप्त होता है। परंतु सरकार द्वारा की जाने वाली अप्रत्यक्ष सहायता जैसे ‘भारतीय रिजर्व बैंक’ के ऋण सुगमता उपायों का लाभ सीधे लाभार्थी तक नहीं पहुँच पाता है।

RBI द्वारा दी जाने वाली सहायता को बैंक ऋण देने के बजाय पुन: RBI के पास सुरक्षित रख सकते हैं। हाल ही में भारतीय बैंकों ने केंद्रीय बैंक में 8.5 लाख करोड़ रुपए जमा किये हैं। इस प्रकार घोषित राशि GDP के 10% होने के बावजूद GDP के 5% से भी कम राशि प्रत्यक्ष रूप में लोगों तक पहुँचने होने की उम्मीद है!

सारांश- आज जरूरत है एकजुट होकर केवल स्वदेशी अपनाने की महत्व यह नही की देश ने आपको क्या दिया महत्व यह है आपने देश के लिए क्या किया क्या कर रहे है देश की जिम्मेदारी नही की वह आपको आगे बढ़ाए बल्कि यह जिममेदारी हमारी है।

कि हम देश को आगे बढ़ाए विकसित बनाये प्रत्येक नागरिक आत्म निर्भर और स्वाबलंबी बने एक मजबूत और उत्तम अर्थव्यवस्था में सुधार हो मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण करे।

आज हमे और देश के प्रत्येक नागरिक को संकल्पित होना चाहिए हम स्वदेशी अपनाएंगे आज से ही विदेशी चीज़ों का सभी चाइनीज प्रोडक्ट का बहिष्कार करेंगे एवं मजबूत आत्मनिर्भर एवं स्वाबलंबी बनेंगे ताकि भारत की अर्थव्यवस्था सर्वश्रेष्ठ हो।

विकास तिवारी (युवा लेखक)