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इदं राष्ट्राय नमः स्वाहा…

इदं राष्ट्राय नमः स्वाहा…

राष्ट्र के महान पुरोधाओं ने बलिदान की अमर आहुति भारत माता के चरणों में समर्पित की जिसकी बदौलत सदियों की मुगल दासता एव अंग्रेजी परतंत्रता से सही मायनों में 15 अगस्त सन् 1947 को मुक्ति मिली।

भारत माता के उन वीर सपूतों के चरणों में श्रध्दासुमन समर्पित करते हुए उनके प्रति हमारी कृतज्ञता यही होगी कि हम उनके आदर्शों ,संघर्षों ,त्याग और शौर्य का पथानुसरण कर उनके द्वारा लहू से सींची गई इस पावन माटी की अमरगाथा को अपने ह्रदय में अनवरत प्रति क्षण संजोकर भारत माता के भाल को विश्व की शिखर चोटी में सुशोभित करने के लिए कृतसंकल्पित हों।

हमारे कार्य,हमारी शक्ति ,हमारा सर्वस्व राष्ट्र प्रथम के उद्देश्य से पोषित हो जिससे राष्ट्र रुपी देवता की आराधना कर हम राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति, आदर्शों को अक्षुण्ण बनाए रखने में अपनी आहुति दे सकें।

हमारी यह स्वतंत्रता व्यक्तिगत या निजी स्वतंत्रता नहीं बल्कि भारतभूमि की सांस्कृतिक स्वतंत्रता है,जिसकी अक्षुण्णता बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारे कंधों में हैं।

हमारा प्रत्येक कर्त्तव्य इस राष्ट्र के निर्माण के लिए होना चाहिए और देश के अंदर छिपे हुए कायर गद्दारों को दण्डित करने के लिए प्रत्यक्ष तौर पर मुख्य धारा में आगे आना चाहिए जिससे इस अमर राष्ट्र की संस्कृति की जड़ों को काटने में लगे हुए उन निकृष्ट लोगों को जमीन में दफ्न कर दिया जाए।

माँ भारती के चरणों में जीवन रूपी पुष्प को समर्पित करने का भाव लेकर हम अपने कार्यक्षेत्र में निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए सम्पूर्ण क्षेत्र में उन्नति का कीर्तिमान स्थापित करें!!

हमारी अन्तरात्मा की पुकार एवं ध्येय यही होना चाहिए कि किसी भी कीमत पर हम अपने राष्ट्र का मस्तक झुकने न दें,भले ही इसके लिए हमें अपने प्राणों की आहुति ही क्यों न देनी पड़े।

राष्ट्र है तो हम हैं,अन्यथा सबकुछ शून्य है। स्वातंत्र्योत्सव हो या कि अन्य राष्ट्रीय पर्व ,ये सब औपचारिकताओं को पूर्ति करने एवं देशभक्ति के उद्गार को प्रचारित करने के लिए महज एक दिन न हों ,बल्कि वर्ष के 365 दिन हमें अपनी राष्ट्रभक्ति की अलख तन-मन में जगाए रखना है ।

देश में व्याप्त समस्याओं एवं चुनौतियों से लड़ने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना होगा तथा समस्याओं का निवारण करने के लिए प्रतिबध्दता के साथ अग्रिम पँक्ति में खड़े होकर अपनी आवाज को बुलंद करने का साहस ह्रदयतल में रखना होगा।यदि हम नहीं जागेंगे तो विश्व कैसे जागेगा? हमें अखण्ड भारतवर्ष की अपनी सभ्यतागत एवं सांस्कृतिक पहचान तथा स्वरूप को जीवंत रखना होगा तथा उसको प्राप्त करने के लिए दृढ़इच्छाशक्ति दिखलानी होगी।

आइए सृजन,ज्ञान,तकनीकी, विज्ञान ,कौशल ,अध्यात्म ,दर्शन सहित सम्पूर्ण क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए हम अपने इस अमर राष्ट्र को विश्वगुरु के पद पर पुनः विराजमान करने के लिए कृतसंकल्पित हों। इन्हीं बातों के साथ पावन पुण्य स्वतंत्रता दिवस की विश्व के समस्त प्राणियों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ।

-जय हिन्द