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कश्मीर नरसंहार : देश से छुपाया गया एक भयानक षड्यंत्र

1990 में कश्मीर घाटी जो भारत का स्वर्ग है। जिहादियों द्वारा पाक परस्ती एवं ‘दारुल इस्लाम’ के एक एजेंडे के तहत, योजनाबद्ध रूप से घाटी को खाली कराने, हिंदू विहीन करने, पाकिस्तान में विलीन करने हेतु एक भीषण हिंदू नरसंहार का दौर चला। हिंदुओं के घरों में एक पर्ची पहुंची, “परसों घर छोड़कर चले जाना अगर जान की सलामती चाहती हो तो और अपनी बीवी-बहन को यहीं छोड़ कर जाना। “एका-एक मस्जिदों से अल्लाह हू अकबर!! की आवाजें आने लगी- “काफिरों जानकी खैर चाहते हो तो भाग जाओ, वरना काटे जाओगे”
अचानक ऐसा दृश्य उत्पन्न हुआ कश्मीर घाटी के हिंदुओं के सामने कि वह हक्का-बक्का रह गए। कुछ भागने में सफल हुए, कुछ भागते हुए वहीं पकड़कर विभत्स तरीके से काट डाले गए। उनके सामने उन्हीं की पत्नी अथवा बहन का सामूहिक बलात्कार किया गया। माताओं के स्तन काटे गए, किसी को आरे से चीरा गया। किसी की लाश को घसीटा गया, किसी के खून से चावल साने गए तो किसी को उसके ही मुस्लिम मित्र ने अचानक रिवाल्वर निकालकर गोली से भून दिया। किसी के माथे की चमड़ी निकाली तो किसी हिंदू की जिंदा ही चमड़ी उतार ली गई ,नाना प्रकार के विभत्स /विद्रूप तरीके से भोले-भाले हिंदुओं का कश्मीर में भीषण नरसंहार जिहादीयों द्वारा पाक की सह व तत्कालीन सरकार की मूक सहमति, सांठ-गांठ से किया गया। यह तमाम प्रश्न आज उत्पन्न हो रहे हैं की-
1. कश्मीर घाटी में हिंदू नरसंहार के लिए दोषी कौन?
2. क्या उस समय देश में कानून का राज नहीं था?
3. क्या उस समय सुप्रीम कोर्ट व मानवाधिकार आयोग नहीं था ?
4.क्या नरसंहार के वक्त सरकार ,एजेंसियां, पुलिस, मिलिट्री नहीं थी अथवा आदेश ही नहीं दिए गए रोकने हेतु क्यो?
5.उस समय देश का मीडिया मुर्दा/मृत हो गया था क्या?
6.क्या देश की न्याय व्यवस्था मर गई थी? अथवा सत्य को कहने वाला, सत्य का साथ देने वाला कोई नहीं रह गया था?
7.क्यो इतने बड़े भयानक नरसंहार के सत्य को किसने/ किसके द्वारा दबाया गया?
8. यह सब किसके इसारे पर हुआ?
अब इस पर देश के समाज/सज्जन शक्ति को अनुसंधान करके उन्हें अंजाम तक पहुंचाने की बारी/ कर्तव्य है की नही ?
9 . क्या सत्य का साथ देना राष्ट्रधर्म/ मानव धर्म है की नहीं?
10. एक लोकतांत्रिक देश ,Republic में ऐसा कुकृत्य कैसे संभव हुआ? किसका हाथ है?
यह दस यक्ष प्रश्न चुनौती बनकर देश के समाज के सामने खड़े हैं –
इन प्रश्नों का समाधान हम सब की नैतिक जिम्मेदारी /कर्तव्य बनता है अतः कश्मीर से बेघर हुए अन्याय-अत्याचार से पीड़ित हिंदुओं को देश में न्याय मिलना ही चाहिए। यह उनका अधिकार है एवं देशवासियों का मानवीय/ राष्ट्रीय /सामाजिक कर्तव्य है कि समाज में जो पीड़ित /शोषित हैं उन्हें न्याय, अधिकार मिले एवं जुल्मी अत्याचारियों, आक्रांताओं को ऐसी सजा मिले की इतिहास में याद किया जाए।
कश्मीर में हिंदू नरसंहार आतंकी बनाम हिंदू मात्र नहीं था। बल्कि यह मुसलमान बनाम गैर मुसलमान था।पिछ्ले 400 सालों के इस्लामी शासन के बाद कश्मीर में गैर मुसलमान (हिंदू) सिमटकर 6% रह गए थे। 1990 के जनवरी माह में जो नरस्ंहारों का दौर चला और विभिन्न स्रोतों के मुताबिक 3 से 6 लाख कश्मीरी हिंदू पलायन को मजबूर हुए। इस नरसंहार में वहां के वह मुसलमान भी शामिल थे जो आतंकी नहीं थे बल्कि किसी के सहकर्मी थे, पड़ोसी थे, मित्र थे, किसी के जानकार थे, सर्वानंद कौल सोचते रहे कि उन्होंने तो हमेशा उदारवादी विचार रखे हैं, उन्हें कैसे कोई हानि पहुंचाएगा। लेकिन पुत्र समेत ऐसी हालत में मरे जिसे सोचकर रीड की हड्डियों में सिहरन दौड़ पड़ती है। ऐसी अनेकों और भी विभत्स वारदातें हुईं ।
उपलब्ध स्रोतों के आधार पर 1100 हिंदुओं को मारा-काटा गया। 20,000 से ज्यादा की खेती छीन लिए गए। 150 के लगभग शैक्षणिक संस्थान जलाए गए। 100 मंदिरों -आश्रमों को जलाया /नष्ट किया गया। सिर्फ 19 जनवरी 1990 को घाटी से लगभग 60,000 हिंदू पलायन कर गए। 20,000 से ज्यादा वारदातें/ घटनाएं हुई कश्मीर घाटी में। इतना विभक्त नरसंहार दरिंदगी हुआ जो इसके पूर्व कभी इतिहास में नहीं हुआ था।” सबसे बड़ा आश्चर्य है कि कश्मीरी हिंदू अपने ही देश में शरणार्थी बन गए “सबसे बड़ा सवाल प्रश्न यह है कि इतने सालों तक इस पर कोई कमीशन/ जांच आयोग तक क्यों नहीं बैठाया गया? जब गुजरात दंगों पर मोदी पर 14 साल तक केस चल सकता है, तो कश्मीरी नरसंहार के सरगना यासीन मलिक, सैयद सलाउद्दीन ,फारूक अब्दुल्ला, मुफ्ती, सपोर्टर राजनेताओ पर केस क्यों ना चलाया जाए???
‘द कश्मीर फाइल्स’ को देखने के बाद तो देश में यह प्रश्न भी उठ रहा है कि अब तो-
1.Godhra the Burning train
2.1947 The story of Partition
3.the missing temples
4.1984 Sikh Riots, Who is Responsible?
5.1976 The truth of Emergency
6.Lal bhadur shastri Murder a ‘conspiracy’
7.Netaji subhas chandra Bose A ‘conspiracy’
8.1984 Bhopal Gas Incident
9.1966 The Parliament sadhu Massacre and Indira Gandhi’s
इत्यादि टाइटल/शीर्षकों पर भी फिल्म बनना चाहिए एवं सत्य देश के सामने आना चाहिए। सत्य को दबाया/छुपाया गया है अतः अब समय आ चुका ‘सत्मेव जयते’ का।
भारतीय संस्कृति में एक वाक्य अक्सर कहा जाता है कि- “भगवान के घर देर है अंधेर नहीं” अर्थात सृष्टि की नियामक सत्ता (परमेश्वर) एक दिन सब के साथ न्याय अवस्य ही करती है। कोई कर्म के फल से बच नहीं सका है। रामायण में भी गोस्वामी तुलसीदास महाराज लिखते हैं- “जो जस करहिं -सो तस फल चाखा” अर्थात – कर्म फल का सिद्धांत अटल है।
मनुष्य शक्ति का दुरुपयोग करके समाज को परेशान/ आक्रांत/ अधर्म कर तो सकता है किन्तु हिंदू समाज में जब उसे सत्य- न्याय -नैतिकता की कसौटी पर कसा जाता है। तब उसे दंड अवश्य मिलता है, चाहे देर भले ही हो जाए। इतिहास का यही अटल सत्य है कि प्रकाश ने हीं अंधकार को निगला है। ‘सत्य प्रताड़ित हो सकता है किंतु परास्त नहीं’। क्योंकि सत्य के साथ धर्म /ईश्वर की शक्ति होती है। यदि हमारी आंखों के सामने अधर्म होता रहे और हम उसका विरोध ना करें तो फिर उस कृत्य /कर्म में हमारी भी भागीदारी मानी जाती है, शास्त्रों के अनुसार। यानी कि- “अन्याय को सहना भी पाप है।” अन्याय करने वाला कितना भी शक्तिशाली रावण की तरह सूरमा/ सत्ताधारी ही क्यों ना हो, ईश्वरी विधान उसे दंडित अवश्य करता है।
अतः मनुष्य को सदैव अपने कर्तव्य (धर्म) के प्रति सचेत रहना चाहिए एवं अपने प्रत्येक कर्म में नीति -अनीति का ध्यान अवश्य ही रखना चाहिए। तभी हम सच्चे व अच्छे भारतीय /मानव /हिंदू कहलाने के अधिकारी हैं।
“जो समाज इतिहास से सबक /सीख नहीं लेता वह स्वयं इतिहास बन जाता है।” जो कश्मीर में 1990 में हुआ वह दृश्य आज भारत के अनेक हिस्सों में छोटे-छोटे रूप में दिखाई दे रहे हैं। राष्ट्रीय विद्वान, चिंतक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ का कहना है कि- “आज भारत में छोटे-छोटे 600 कश्मीर/ पाकिस्तान बन चुके हैं अथवा बनने की राह पर हैं। कैराना, पश्चिम बंगाल, केरल, मुजफ्फरपुर ,तमिलनाडु आंध्रप्रदेश के कुछ हिस्से (क्षेत्र) इसके ज्वलंत उदाहरण है।”
जरा विचार कीजिए गोपाल (श्रीकृष्ण) के देश में तिरंगे पर रखकर गाय (गौ माता) को काटा जाना। व्हाट्स एप में डी पी लगाने पर मोगा- कर्नाटक में हर्षा हिंदू युवक की हत्या कर दी गई। हिजाब आंदोलन- कर्नाटक, शाहीन बाग- दिल्ली, बेंगलुरु, असम, मुजफ्फरनगर के दंगे, मुंबई के बम ब्लास्ट, अक्षरधाम मंदिर पर हमला/ ब्लास्ट, अहमदाबाद ब्लास्ट, पूरे देश में सिमी का जाल, राम के देश भारत में लम्बे समय तक अयोध्या में श्रीराम मंदिर को ना बनने देना, मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर कब्जा/मस्जिद, आज भी काशी में शिव मंदिर पर मस्जिद बना हुआ है,
देश में जगह-जगह पर आतंकी/ विस्फोटक सामग्री का पक्का पकड़े जाना, 2008 में 108 ट्रक सेना का RDX रास्ते में गायब हो जाना, ऊरी -पठानकोट की वारदात, हाल ही में भोपाल में 4 बांग्लादेशी आतंकियों का पकड़े जाना, सारे भारत में रोहिंग्या फैल चुके हैं, इत्यादि और कितनी उदाहरण चाहिए, आपको सत्य को समझने के लिए, जागने के लिए ,क्या कश्मीर जैसा नरसंहार होने का इंतजार कर रहे हैं? संकट सर पर मंडरा रहा है और देश का बहुसंख्यक हिंदू समाज सो रहा है, खर्राटे लेकर। क्यों विनाश को अपनी नियति बनाना चाहते हैं हम? हम अपने मासूम बच्चों/ नौनिहालों को कैसा भारत सौंपकर जाना चाहते हैं? क्यों नहीं हम इंडोनेशिया, ईरान, अफगानिस्तान, म्यांमार से सबक ले रहे हैं? पूर्व में भी 7 बार भारत का विभाजन इसी नींद के कारण हो चुका है। हम सिकुड़कर 92000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर आ चुके हैं। जबकि पूर्व में हमारा वृह्त्तर भारत 15 लाख वर्ग किलोमीटर का था। और किसका इंतजार कर रहे हैं हम। इतिहास के किसी कालखंड में हमारा दुनिया में चक्रवर्ती साम्राज हुआ करता था। सारी पृथ्वी हमारी थी, हम विश्व गुरु थे। सारा विश्व भारत वासियों को भूसुर कह कर नमन किया करता था। किंतु आज की निंद्रा/ दुर्दशा पर रोना आता है। इसी नींद में हमने अनेकों बार बहुत कुछ गवाया था, किंतु अब जागना होगा।
“पूर्ण विजय संकल्प हमारा”
!!जागो भारत जागो!!
कहीं देर ना हो जाए
लेखक -डॉ नितिन सहारिया