कोविड से जुड़ी नकारात्मक खबरों से मरीजों में भय का खतरा नकारात्मक और दुखद खबरों से बचाव की जरुरत
विश्व के अन्य देशों के उलट कोरोना का दूसरा दौर भारत में अधिक चिन्ताजनक है। बड़ी आबादी और उसमें भी लोगों का बेपरवाह अन्दाज कोरोना संकट को भयावह बना रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अलग – अलग बयानों में ऐसी चिंता जाहिर की है।
निष्पक्ष और सटीक पत्रकारिता के साथ यदि यह जन कल्याणकारी हो तो स्थिति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। कोरोना की वर्तमान दशा पर समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों की खबरें तथ्यात्मक होती हैं। जबकि सोशल मीडिया पर पुष्ट स्रोत के बिना तमाम तरह की नकारात्मक और डरावनी खबरें मरीजों तथा उनके परिजनों में भय पैदा कर रही हैं।
वरिष्ठ पत्रकार तथा भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष मनोज द्विवेदी ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि यह सही है कि Covid का संक्रमण भयावह तरीके से बढ रहा है। हम सभी को बिना डरे …बहुत सावधान रह कर …इस कठिन समय से निकलना होगा। उन्होंने सूचना और खबरों की नकारात्मकता का मरीजों पर पडने वाले असर का जिक्र करते हुए बतलाया कि
अभी मेरे साथ एक सच्चा वाकया हुआ। बातों – बातों में प्रदेश के बड़े शहर में रहने वाली अपनी Relative से मैने कोरोना निगेटिव होने पर भी खतरनाक परिणाम दिखलाने की एक – दो घटनाओं की चर्चा की। चूंकि वह स्वयं वहाँ कोरोना संक्रमण से जूझ रही थी,
मेरी Negative बातों ने उस पर ऐसा बुरा असर डाला कि घबराहट, चिंता के कारण उसकी नींद उड़ गयी। जबकि इस अवस्था में पूरे आराम की बहुत जरुरत है। बाद में डाक्टर से संपर्क किया गया, उन्होंने नींद की दवा दी…तब जा कर थोडी राहत मिली। जाहिर है कि एक पत्रकार के रुप में यह मेरी बड़ी चूक थी।
बीमारी और एकान्तवास की दशा में लोगों को संबल, सहयोग, सकारात्मक माहौल की जरुरत होती है , ना कि नकारात्मक , डराने वाली बातों की। सबक यही है कि हमें पत्रकारिता में कार्य करते हुए सूचनाओं के आदान – प्रदान , समाचार प्रकाशन – प्रसारण में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरुरत है।
आपकी एक नेगेटिव न्यूज़ मरीज की जान ले सकती है । उसके लिये नयी मुसीबत बन सकती है। यह सही है कि स्थिति सामान्य से थोडा अधिक खतरनाक है। जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है या जिन्होंने बहुत बाद में टेस्ट कराया है , उनकी स्थिति खराब हो रही है।
लेकिन सोशल मीडिया पर लगातार….
• निधन हुए व्यक्ति की फोटो
• श्मशान घाट की तस्वीरें,
• मरने वालों की संख्या,
• हॉस्पिटल्स में जगह ना होने की बातें,
• सरकारों पर आरोप-प्रत्यारोप..
• वैक्सीन खतम होने की बातें..
• आवश्यक दवाओं की कमी..
जैसी बातें हम ना भी करें तो समाज का कोई नुकसान नहीं है। हां ! हमेशा कोरोना से जुडी नकारात्मक खबरों से वे मरीज दहशत में आ रहे हैं जो अपने अपने घरों में कमरों में अकेले सिर्फ मोबाइल के सहारे इस बीमारी से लड़ रहे हैं । आपकी एक नेगेटिव न्यूज़ मरीजों का ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा रही है और दहशत में सामान्य होते हुए भी वह अपनी स्थिति को गंभीर समझ अपनी हालत बिगाड़ रहे हैं ।
श्री द्विवेदी ने सभी पत्रकारों बन्धुओं एवं सोशल मीडिया एक्टिविस्ट से अपील की है कि सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अपने सभी साथियों से मेरा निवेदन है कि कोरोना से जुड़ी बहुत जरुरी खबरें ही हम चलाएं। अपनी सामान्य बातचीत में भी हमें जनहित में Negative बातों से बचना होगा। लोग हमारी बातों पर विश्वास करते हैं ।
इसलिए हमारी जवाबदेही और भी अधिक है। No Negative News campaign और पहले मास्क… फिर बात जैसा अभियान एक सकारात्मक पहल है। सभी से निवेदन है कि लोक कल्याण के इस जनाभियान से आप स्वयं जुडें तथा अन्य लोगों को भी जागरूक कर जीवन बचाने में सहयोगी बनें