जिहादी मानसिकता की बर्बरता: गोधरा कांड
किसी भी समस्या की जड़ें, मूल कारक एक मानसिक स्थिति, मन दशा (Mental condition) में होती हैं, वाहा: जगत में तो मात्र उसकी अभिव्यक्ति होती है। जैसे चने के पौधे में बीमारी होने पर ऊपर से स्प्रे करने पर क्षणिक लाभ ही दृष्टि गोचर होगा, रोग यथावत बना रहेगा।
अतः वास्तविक इलाज, उपचार जड़ में ही किए जाने पर समस्या का स्थायी समाधान होता है। से वृक्ष की जड़ में पानी देने से सारा वृक्ष हरा-भरा दिखाई देता है। वास्तव में भारत व विश्व में जिहादी हत्याकांड, आतंकवाद (Islamic terrorism) का जो ऐतिहासिक घटना क्रम चल रहा है। यह एक विकृत मानसिकता की उत्पत्ति, अभिव्यक्ति है। जो निरंतर 1300 वर्षों से भारत व विश्व में सुनियोजित तरीके से चल रहा है।
इसके स्वरूप, संगठन, प्रकार कई हैं। चाहे वह (पिअफई), तबलीगी जमात, आई एस आई, अलकायदा, सिमी इत्यादि अनेक रूप व संगठन हैं। विस्व में लगभग 100 से भी अधिक आतंकी संगठन इस कार्य मे लगे हुये हैं। यह (Global terrorism) वैश्विक आतंकवाद है। जिसे अब अमेरिका, चीन, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देशों ने पहचान लिया व इंतजाम शुरू कर दिए हैं।
अर्थात एक समुदाय,धर्म (इस्लाम) द्वारा उत्पन्न, पोषित व विस्तार यह पा रहा है। भारत पता नहीं कब आतंकवाद का धर्म पहचानेगा? जितनी जल्दी भारतवासी इस कटु सत्य को पहचानेंगे, उतना राष्ट्र का हित होगा। भारत में यह पूर्व मुगलकाल, सातवीं शताब्दी से निरंतर आक्रमण, नरसंहार, धर्मांतरण के विविध रूप में चल रहा है। इसके सैकड़ों उदाहरण मौजूद हैं।
मुगलकाल में नक्शबंदी संप्रदाय ने इस पर बहुत काम किया व जिसका वर्तमान में परिवर्तित स्वरूप तबलीगी जमात, PFI इत्यादि हैं। 1947 के पूर्व भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय मोपला हत्याकांड, यूपी, पंजाब, असम, कश्मीर, केरल, बंगाल के दंगे हुए परिणाम स्वरूप लगभग 20 लाख हिंदुओं कि हत्या (कत्लेआम) हुई, करोड़ों हिंदू बेघर हुए। 1947 के बाद काशी, पूर्वांचल में 82000 हिंदुओं की हत्या हुई तथा 5 लाख हिंदू बेघर हुए।
तीन करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए व 10 प्रांतों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गया है। वंही 2001 की स्थिति में देखें तो अयोध्या, अक्षरधाम, गोधरा में जिहादी हमले, गांव-गांव में हथियारों के जखीरे व आतंक के भयावह रूप में देश में मौजूद हैं। वर्तमान में आई एस आई का नेटवर्क सारे देश में फैल चुका है, जरा विचार कीजिए! रिपोर्ट कह रही हैं कि- “भारत में हिंदू 2035-40 तक अल्पसंख्यक हो जाएगा।
“तब क्या हमारे-आपके नाती-पोते हिंदू रह पाएंगे? क्या देश धर्म का अस्तित्व बचेगा? जरा विचार कीजिए! अभी भी समय है,पानी सर के ऊपर से गुजरना आरंभ हो चुका है, अभी भी देश का सोया हिंदू समाज चेत जाए, इतिहास से सबक ले ले अन्यथा भविष्य में इतिहास ही बन जाएगा। फिर रोने व पछतावे के सिवा कुछ ना बचेगा।
27 फरवरी 2002 गुजरात का गोधरा हत्याकांड भी इसी जिहादी घटनाक्रम की एक कड़ी मात्र है। यह वैश्विक जिहाद है जो दुनिया के अनेक देशों में, अनेक रूपों में चल रहा है। अभी कुछ वर्षों से विश्व के कई देश- अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन, ब्रिटेन इत्यादि ने इसे पहचान कर इसके पुख्ता इंतजाम करना शुरू कर दिए हैं। जापान सरकार ने तो जिहादीयों को पहचान कर ऐसी पॉलिसी बनाई की,
जिहादियों का हुक्का पानी ही बंद कर दिया, वहां 4.5 लाख जिहादियों ने अपना बोरिया-बिस्तर बांध लिया।ऐसा ही कुछ चीनी सरकार ने भी किया, लाखों जिहादियों को जेल में डाल दिया व आधो को विशेष कैंपों (जेल) में नजरबंद कर दिया और तरह-तरह की यातनाएं दी जा रही हैं। सारी बंदिशे लगा रखी हैं- बुर्का, दाढ़ी, नमाज, उर्दू भाषा, रोजे सब बंद करवा दिए।
मस्जिदें ध्वस्त करवा दी, सब जिहाद का तेल निकाल कर रख दिया। अब चीन में जिहादी जान की भीख मांग रहे हैं। वहीं अमेरिका में एक-एक मुसलमान (खुराफाती) की नंगे करके तलाशी ली जाती है व हर वक्त एक जिहादी के पीछे 24 घंटे एक खुफिया एजेंट नजर बनाए रखता है। CIA इत्यादि खुफिया एजेंसियां अब 24 घंटे High Allert मूड में रहती हैं।
ऑस्ट्रेलिया के पीएम ‘जूलिया रावर्ट’ ने तो 24 घंटे में सारे जिहादियों को देश छोड़ने का (फरमान) आदेश भी जारी कर दिया था कि- “जो इस देश के कानून के हिसाब से नहीं रह सकता है वह 24 घंटे के अंदर इस देश से बाहर चला जाए ” ब्रिटेन भी अब सतर्क हो चला है क्योंकि इन जिहादियों का एक गुप्त एजेंडा षड्यंत्र है कि- मुट्ठी-मुट्ठी संख्या में प्रत्येक देश में यह जाते हैं,
शरणार्थी, रोजगार पाने इत्यादि विभिन्न रूपों में, फिर संख्या बढ़ाते हैं और देश के कानून व्यवस्था में हस्तक्षेप करते हुए अंततः जिहाद करके, मारकाट करके पूरे देश पर ही कब्जा कर लेते हैं व वहां के मूल निवासियों को अपना गुलाम बना लेते हैं। फिर ‘शरिया कानून’ लागू करते हैं। म्यांमार (बर्मा) में भी इन जिहादियों ने यही खुराफात आरंभ की थी की-
फिर वहां पर एक बौद्ध क्रांतिवीर योद्धा ‘नवाथू’ पैदा हुआ, आगे आया, प्रतिरोध करने, समाज को जगाने व उसने समाज को साथ लेकर सशस्त्र क्रांति की। इन जिहादियों को काट डाला, मस्जिदें (बंकर) ध्वस्त करा दी, उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब दिया फिर क्या था, सब हिसाब बराबर हो गया। देश (म्यांमार) में अब शांति स्थापित हो चुकी है।
कहा भी गया है कि-“जहां बीमारी पैदा होती है, इलाज भी वही पैदा होता है।”अर्थात औषधि भी वहीं मिलती है, इलाज भी उन्हीं को करना पड़ता है। ‘न दैन्यं ना पलायनम्’ से, जड़ता, भीरुता, कापुरुषता से काम नहीं चलता है। संगठित प्रबल पुरुषार्थ- ” जैसे को तैसा “जवाब देने से काम बनता है, सफलता मिलती है व समाधान होता है। जरा हम सब भी इस पर विचार/चिंतन करें ।
27 फरवरी 2002 गोधरा कांड (गुजरात) मात्र एक संयोग नहीं था वरन एक प्रयोग था। एक सोची समझी साजिश, नरसंहार था जिसमें साबरमती एक्सप्रेस की कोच एस- 6 में अयोध्या से लौट रहे 59 राम भक्त हिंदू यात्रियों को जिसमें 25 बच्चे, 25 महिलाएं, 9 व्यक्तियों को उग्र जिहादियों की भीड़, जिसमें 1540 की लगभग संख्या थी ने पेट्रोल डालकर, ट्रेन के डिब्बे को घेर कर आग के हवाले कर दिया था।
इसमें मस्जिद से माइक पर मुस्लिम समाज को हमले के लिए उकसाया जा रहा था। यह कांड पूरी तरह से Pre Planned था जिसके लिए पेट्रोल का पहले से इंतजाम किया गया था। जिहादियों के द्वारा कांड के परिणाम स्वरूप दूसरे दिन 28 फरवरी 2002 को गोधरा में दंगा भड़का। रिपोर्ट के अनुसार- S6 कोच में कुल 90 लोग मारे, जला दिए गए थे।
दंगे में शामिल एक आरोपी पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार हुआ, को मुस्लिम कट्टरपंथी समूह -‘हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी’ का सरगना था। हाजी बिलाल-नगर पार्षद, मोहम्मद हुसैन कालोटा नगर पालिका अध्यक्ष, अब्दुल रज्जाक, अब्दुल जामीन इत्यादि अनेक कट्टरपंथी इस नरसंहार में शामिल थे। बिलाल पाक भी हो आया था। 78 लोगों पर आगजनी, हत्याकांड का आरोप लगा था।
65 लोगों पर ट्रेन के कोच पर पथराव करने का भी आरोप लगा था। 253 गवाहों से साक्ष्य लिए गए, वृत्तचित्र सबूतों के साथ 1500 से अधिक आइटम अदालत में प्रस्तुत किए गए, एक मुख्य आरोपी हुसैन सुलेमान मोहम्मद को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से 24 जुलाई 2015 को रफ्तार किया गया। एक षड्यंत्र कारी फारूक भाना को एटीएस द्वारा मुंबई से 18 मई 2016 को गिरफ्तार किया गया।
याकूब पटालिया को 30 जनवरी 2018 को गोधरा से गिरफ्तार किया गया। कुल मिलाकर इस हत्या कांड में 790 मुस्लिम व 254 हिंदुओं की बेरहमी से हत्या की गई अथवा जिंदा जला दिया गया था। 3 दिन तक गोधरा कस्बा जलता, सुलग्ता रहा, हत्याकांड जारी रहे। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भड़काऊ भाषण का आरोप भी लगा हालांकि 2014 के आम चुनावों से पहले सर्वोच्च न्यायालय ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी।
इस कांड पर तरह-तरह के लेख,व मीडिया ट्रायल ही हुए। अंत में सेवानिवृत्त न्यायाधीश टीटी नानावती को जांच आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जिसने अपनी फाइनल रिपोर्ट- 18 नवंबर 2014 को प्रस्तुत की। फरवरी 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया व 63 को बरी कर दिया। घटना ऐक पूर्व नियोजित साजिश थी ।दोषियों में 11 को मौत की सजा व 20 अन्य को जेल में उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
नानावती आयोग ने मुख्य साजिशकर्ता मौलवी उमर को सबूतों के अभाव में व 62 अन्य के साथ बरी कर दिया। ट्रेन पर हमले के बाद विश्व हिंदू परिषद vhip ने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। राज्य सरकार के रोकने के सारे प्रयत्नो के बावजूद भी हिंसा 3 दिन तक होती रही। कई तरह के समाचार छपे, सब ने अपनी-अपनी व्याख्याये की। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एम. डी. अंतनी ने गोधरा में रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की,
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार- “हिंसा के दौरान 10,000 से अधिक हिंदू विस्थापित हुए। गोधरा की घटना के बाद 157 दंगे मुसलमानों द्वारा शुरू किए गए थे। 28 फरवरी को दंगे में गुजरात के कई इलाकों मे 100 से अधिक लोग मारे गए थे। 11 दिसंबर 2019 को नानावती मेहता आयोग की रिपोर्ट को गृहराज्य मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा द्वारा राज्य विधानसभा के पटल पर रखा गया,
1500 पन्नों व 9 खंडों की रिपोर्ट में कहा गया की- ये दंगे है किसी मंत्री द्वारा भड़काने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। हिंदू तीर्थयात्रियों को निशाना पूर्व नियोजित षडयंत्र था। यह हिंसा लक्ष्य बनाकर की गई थी। हमलावरों द्वारा नारे लगाना मस्जिद से लाउडस्पीकर के जरिए घोषणा करना, पूर्व नियोजित योजना को दर्शाता है। गोधरा में 1962 से 1995 के बीच भी करीब ऐसी 10 घटनाएं हुई थी।
जब हिंदुओं को जिंदा जलाया गया था और उनके घरों व दुकानों को तबाह किया गया था। क्रिया की प्रतिक्रिया होना स्वभाविक है। हिंदू सहिष्णु, स्वाभिमानी, त्यागी, परोपकारी, अहिंसक वृति का तो है ही किंतु जब उसके साथ अन्याय, अधर्म की पराकाष्ठा होती है तब वह प्रलयंकर महादेव का रूद्र रूप धारण कर लेता है और अधर्मीयों के विनाश में कोई कसर नहीं छोड़ता है।