Trending Now

भोपाल में ‘प्रज्ञा प्रवाह’ के दो दिवसीय आयोजन में जुटे दो सौ से अधिक विचारक

हिन्दुत्व के प्रति बढ़ती वैश्विक जिज्ञासा
हिन्दुत्व शैली सर्वश्रेष्ठ – बुद्धिजीवियों ने माना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन ‘प्रज्ञा प्रवाह’ के तत्वावधान में देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अकादमिक  विद्वान और शैक्षणिक संस्थानों के प्राध्यापक तथा बुद्धिजीवी हिन्दुत्व के वैश्विक प्रभाव और पुररूत्थान के विषय पर चिन्तन करने लगभग 200 बुद्धिजीवी भोपाल स्थित नरोन्हा प्रशासनिक अकादमी में गत दिनों उपस्थित हुये।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के बौद्धिक जगत से वामपंथी कुचक्री प्रभाव समाप्त करने की दिशा मंे वर्षों से सक्रिय है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये दिवंगत सरसंघचालक के. सुदर्शन ने ‘प्रज्ञा प्रवाह’ जैसे संगठन की आवश्यकता समझी थी। इस संगठन के माध्यम से देशभर के बुद्धिजीवियों और अकादमिक विद्वानों से लगातार संवाद करता रहा है। इस विषयों पर पूर्व में अनेक शोध पत्र भी प्रकाशित किये जा चुके हैं।

संघ के बौद्धिक संस्थान जैसे दीनदयाल शोध संस्थान जैसे अन्य कई संगठन बुद्धिजीवियों से लगातार सम्पर्क में रहकर राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व को लेकर चिन्तन-मनन-अध्ययन जैसे कार्य सक्रियता के साथ करते चले आ रहे हैं।

कोरोना महामारी के संक्रमण के दौरान विश्व के साधारण से लेकर शिक्षित व्यक्तियों ने भी यह अनुभव किया कि हिन्दुत्व पर आधारित जीवन शैली ही इस महामारी से बचाव के लिये कारगर सिद्ध हुयी है। इस कारण गत दो वर्षों के दौरान विश्वभर में चिन्तक हिन्दुत्व की जीवनशैली को लेकर अपनी रूचि और जिज्ञासा व्यक्त करते अनुभव में आये हैं।

हिन्दुत्व के वैश्विक प्रभाव का यह व्यापक असर दिखा गत दो वर्षों के दौरान अमेरिका, आस्ट्रेलिया और अफ्रीका के अनेक विश्वविद्यालयों में हिन्दुत्व पर आधारित अनेक विषय पाठ्यक्रम में सम्मिलित भी किये गये हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि इस दिशा में अधिक से अधिक प्रभावशाली कदम उठाये जाने की जरूरत है क्योंकि लोगों की जिज्ञासा स्वपेे्ररणा से बढ़ी है तो हिन्दुत्व का प्रभाव सर्वव्यापी हो इस दिशा में सक्रिय योगदान पहल आदि किया की जाना चाहिये ताकि हिन्दुत्व का प्रभाव और बढ़े। भारत के बौद्धिक संस्थानों यद्यपि संघ की ओर ऐसी पहल वर्ष भर चलती भी रहती है।

उल्लेखनीय है कि भारत के बौद्धिक संस्थानों पर पूर्व सरकारों के प्रोत्साहन संरक्षण के फलस्वरूप लम्बे समय से वामपंथ का कब्जा बना रहा और अराष्ट्रीय गतिविधियाँ जारी रहीं हैं। इस कारण से भारत का बौद्धिक जगतका एक वर्ग वामपंथी विचारों से प्रभावित हुआ है। अब समय बदल रहा है, वामपंथ दुनिया से ही समिट चुका है, वरन् यह कहना सार्थक होगा कि वह विचार धारा अब कालबाध्य हो चुकी है। चीन और क्यूबा जैसे देश भी अब केवल नाम मात्र के कम्युनिष्ट रह गये हैं।

इस दो दिवसीय आयोजन के  एक उपरान्त एक पुस्तिका का भी प्रकाशन किये जाने की तैयारी चल रही है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत ने चिन्तन बैठक के समापन अवसर पर सम्बोधित करते हुये कहा कि सत्य, करूणा, शुचिता और परिश्रम सभी भारतीय धर्मों के मूलभूत गुण हैं। हम एकान्त में साधना और लोकांत में सेवा करते हैं। धर्म की रक्षा धर्म के आचरण से होती है। हमारे गुण और धर्म ही हमारी संपदा है तथा हमारे अस्त्रशस्त्र हैं। संघ किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं है, बल्कि धर्म व राष्ट्र के उत्थान हेतु कार्यरत विभिन्न संगठनों, संस्थाओं व व्यक्तियों का सहयोगी है।

‘प्रज्ञा प्रवाह’ का यह दो दिवसीय आयोजन देश दुनिया में हिन्दुत्व की दशा-दिशा और चुनौतियों पर केन्द्रित रहा। बैठक के अंत में श्री भागवत जी ने उपस्थित जनों की जिज्ञासाओं की भी समाधान किया।

इस चिन्तन बैठक की प्रस्तावना रखते हुए संघ के सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबोले जी ने बताया कि अध्ययन, अवलोकन और संवाद से चिंतन प्रबल होता है तथा वर्तमान में हिन्दुत्व पर व्यापक विमर्श हो रहा है। इस विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा वह इस विमर्श को अधिक सकारात्मक व रचनात्क बनाएगा।

– डाॅ. किशन कछवाहा