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महापुरुषों के त्याग-तपस्या और बलिदान से ही स्वतंत्र भारत का स्वरूप देख पा रहे!

दीनदयाल शोध संस्थान में ग्रामोदय पखवाड़ा के अर्न्तगत विभिन्न गोष्ठियों के साथ मनाई गई गांधी जी एवं शास्त्री जी की जयंती

आरोग्यधाम में मनाया गया प्राकृतिक चिकित्सा दिवस

चित्रकूट- राष्ट्रपिता महात्मागांधी एवं लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती आरोग्यधाम में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के रूप में मनायी गई। जिसमें पंचकर्म, पंचगव्य और विभिन्न प्राकृतिक चिकित्सा की थेरेपी को आजीवन स्वास्थ्य संवर्धन की दृष्टि से अपनाने को लेकर गोष्ठियों के माध्यम से समझाइश दी गई। 

इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष पर देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इन सारे महापुरुषों के त्याग-तपस्या और बलिदान की वजह से ही आज हम यह स्वतंत्र भारत का स्वरूप देख रहे हैंं। महापुरुषों की जयंती और पर्व मनाने के पीछे उद्देश्य यही रहता है कि आने वाली पीढ़ी उनके बताए मार्ग और संस्मरण में से थोड़ा बहुत भी अनुसरण कर सके।

श्री महाजन ने पंडित लाल बहादुर शास्त्री जी के परिवार और श्रद्धेय नानाजी देशमुख से जुड़ा संस्मरण बताते हुए कहा कि नानाजी संघ के प्रचारक तो थे ही और संघ का प्रचारक घर-परिवार छोड़कर समाज के लिए काम करता है, इसीलिए वसुधैव कुटुंबकम की जो सैद्धांतिक बात करते हैं उसे वह मूर्त रूप में ही जीता है‌। एक बार नानाजी के पास कुछ लोग बैठे हुए थे तब उन्होंने चर्चा में बताया था कि शास्त्री जी के यहां हम लोग जाते थे, उस समय सिक्योरिटी इतना नहीं रहती थी, हम लोग प्रधानमंत्री आवास में सीधे चले जाते थे। शास्त्री जी नहीं है या टूर पर है। घर पर आदरणीय ललिता भाभी जी (शास्त्री जी की पत्नी) से बोलते भाभी जी हमें भोजन करना है। भाभी जी अपने हाथ से भोजन तैयार करके स्वयं परोसती थी। उस समय एक परिवार के सदस्य के नाते ही वह हमें अपनी किचिन में ही बैठाकर भोजन कराती थी। शास्त्री जी के बारे में तो हमने बहुत सुना है, ऐसा सादा जीवन उनके परिवार का भी रहा है।

उन्होंने बताया कि नानाजी का कार्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश होने के नाते उनका गोरखपुर में केंद्र काफी समय तक रहा है, उस समय अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन चलते ही रहते थे। गांधी जी और नेहरू जी उस समय गोरखपुर जेल में बंद थे, उस दौरान गीता प्रेस गोरखपुर वालों के यहां से नानाजी साइकिल से भोजन का टिफिन लेकर पहुंचाते थे। ऐसे कई संस्मरण नानाजी ने बताए हैं।

दीनदयाल शोध संस्थान में 25 सितंबर पं. दीनदयाल जी की जयंती से 11 अक्टूबर भारत रत्न नानाजी देशमुख के जन्मदिवस तक “ग्रामोदय पखवाड़ा” का कार्यक्रम सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर मनाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत सभी प्रकल्पों के माध्यम से ग्राम आबादियों तक स्वच्छता, नशामुक्ति, जल संरक्षण, पर्यावरण आदि विभिन्न विषयों पर जन जागरुकता के साथ प्रतियोगिताओं सहित स्वास्थ्य गोष्ठियां और कृषक गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। 

इसी क्रम में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जी एवं लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती अवसर पर संस्थान के प्रकल्पों द्वारा जन जागरुकता गोष्ठियों का आयोजन चित्रकूट क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों में किया गया। चित्रकूट क्षेत्र की दीनदयाल शोध संस्थान सम्पर्कित सभी ग्राम आबादियों में समाज शिल्पी दंपत्ति एवं सामूहिक प्रयासों से जयंती मनाई गई और ग्रामवासियों ने नशा तथा तंबाकू छोड़ने का संकल्प लिया। गांव गांव में सामूहिक श्रमसाधना के द्वारा स्वच्छता का संदेश भी दिया गया। सभी प्रकल्पों में पुष्पार्चन भी हुआ।