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रामभक्तों पर गोली चलवाने वाली पार्टी अब भगवान विष्णु की शरण में

रामभक्तों पर गोली चलवाने वाली पार्टी अब भगवान विष्णु की शरण में

2014 के बाद राजनीति की तस्वीर बदल गई। जातिगत भावना से ऊपर उठकर हिन्दू संगठित हुआं उसके बाद मुसलमान वोट बैंक की राजनीति करने वालों का भविष्य अन्धकार में चला गया। अब कभी राहुल गांधी खुद को जनेऊधारी और शिव भक्त बताते हैं तो अखिलेश यादव,  भगवान कृष्ण और भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाने की बात करते हैं।

मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए राम भक्तों पर गोली चलवाई। अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में रिकार्ड समय में हज हाउस का निर्माण कराया। अब वही अखिलेश यादव कह रहे हैं कि भगवान राम और भगवान कृष्ण हमारे हैं। उधर, कांग्रेस पार्टी जिसने भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण में हर तरह के रोड़े अटकाए, पिछले कुछ महीनों से राहुल गांधी खुद को शिवभक्त बताते हैं और जनेऊ धारण करने लगे हैं। यह बदली हुई राजनीति का सन्देश है।

एक दशक पहले तक उत्तर प्रदेश की राजनीति मस्जिदों और मौलानाओं के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी। सपा, बसपा और कांग्रेस के नेता बड़े ही गर्व से मजार पर चादर चढ़ा कर फोटो खिंचवाते थे।

उस दौर में मुसलमान एक वोट बैंक हुआ करता था। इन राजनीतिक दलों को लगता था कि मुसलमान वोट बैंक को हर हाल में साधे रहना है। उस समय तक हिन्दू वोट बैंक जातियों में बंटा हुआ था। इसलिए अयोध्या की जमकर उपेक्षा की गई। उस समय मुलायम सिंह यादव अब्दुल्ला बुखारी से फतवा जारी करने के लिए उनके घर पर मिलने जाया करते थे और ‘मुल्ला’ मुलायम कहलवाने में गर्व महसूस किया करते थे।

रामभक्तों पर गोली चलवाने के बाद मुलायम सिंह यादव बड़े ही गर्व से यह कहते रहे हैं कि “मैंने अयोध्या में गोली चलवाई थी।” उनके इस बयान को सुनकर मुसलमान ताली बजाया करते थे।  वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी की दुर्दशा हुई उसके बाद एक कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि -“इतनी कम सीट तो उस समय भी नही आई थी जब मैने अयोध्या में गोली चलवाई थी।”

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी ने विधानसभा में सवाल उठाया था। उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “ जिन लोगों ने राम भक्तों पर गोली चलवाई, आज उन्हीं के पार्टी के लोग उन लोगों की मौत का हिसाब मांग रहे हैं जो सीएए के विरोध में हिंसा करते समय खुद ही हिंसक भीड़ का शिकार हो गए।”

दरअसल, वर्ष 2014 के बाद राजनीति की तस्वीर बदल गई। जातिगत भावना से ऊपर उठकर हिन्दू संगठित हुआं उसके बाद मुसलमान वोट बैंक की राजनीति करने वालों का भविष्य अन्धकार में चला गया। अब कभी राहुल गांधी खुद को जनेऊधारी और शिव भक्त बताते हैं तो अखिलेश यादव,  भगवान कृष्ण और भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाने की बात करते हैं।

इनपुट:भाषा