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वो सब अपराधी हैं,जिन्होंने आपको गुमनाम किया

महान् स्वतंत्रता संग्राम सेनानी-सरदार भगत सिंह के क्रांतिकारी गुरु महा महारथी श्रीयुत शचीन्द्रनाथ सान्याल के बलिदान दिवस पर शत् शत् नमन है. पूरा नाम शचीन्द्रनाथ सान्याल-अवतरण 3 अप्रैल 1893-जन्म भूमि बनारस, उत्तर प्रदेश, ब्रिटिश भारत -बलिदान 7 फ़रवरी, 1942-अभिभावक हरिनाथ सान्याल और वासिनी देवी. आपने 1908 में पन्द्रह वर्ष की आयु में काशी में ‘अनुशीलन समिति’ की स्थापना की। इसे बंगाल की ‘अनुशीलन समिति’ की शाखा के रूप में ही स्थापित किया गया था।

अन्य जानकारी शचीन्द्रनाथ ने वर्ष 1923 में “हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन” की स्थापना की थी। गदर पार्टी के संगठनकर्ताओं में से एक थे। वे दूसरे स्वतंत्रता संघर्ष के प्रयासों के महान् कार्यकर्ता और संगठनकर्ता थे। वर्ष 1923 में उनके द्वारा खड़े किए गये “हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन” को ही भगत सिंह एवं अन्य साथियों ने “हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ” के रूप में विकसित किया।

शचीन्द्रनाथ सान्याल को जीवन में दो बार ‘काला पानी’ की सज़ा मिली। उन्होंने अपने जीवन के 20 वर्ष कारावास में ही बिताए। उन्होंने ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के गठन के साथ ही देश बन्धुओं के नाम एक अपील जारी की थी, जिसमें उन्होंने भारत के पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य के साथ और सम्पूर्ण एशिया के महासंघ बनाने की परिकल्पना भी प्रस्तुत की थी।

वर्ष 1937-1938 में कांग्रेस मंत्रिमंडल के प्रयासों से जब राजनीतिक क़ैदियों को रिहा किया तो उसमें शचीन्द्रनाथ भी रिहा हो गये। लेकिन उन्हें घर पर ही नजरबंद कर दिया गया। कठिन परिश्रम, कारावास और फिर चिन्ताओं से वे क्षय रोग से ग्रस्त हो गये और जब खून की उल्टियाँ होने लगीं, तो उन्हें मरने के लिए रिहा कर दिया गया। 7 फरवरी सन् 1942 में भारत का यह महान् क्रांतिकारी जर्जर शरीर के साथ चिर निद्रा में सो गया।

और ये कितना दर्दनाक है जिस शहर में उनकी सांसों की डोर टूटी, वे वहीं गुमनाम हैं। उस शहर में उनके नाम पर न कोई सड़क है, न चौराहा और न ही कोई स्मारक। यहाँ तक कि उनका घर भी बिक चुका है। हम तो उनकी यादों को दिल में संजोए हैं पर हमारे वीर सपूत की शहर में गुमनामी उन्हें दर्द देती है।और वामपंथी तथा एक दल विशेष के समर्थक परजीवी इतिहासकारों ने उनका यदाकदा नामोल्लेख कर जो दर्द दिया है वो तो नासूर है, ही। परंतु अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सुध ली है.

लेखक:- डॉ. आनंद सिंह राणा
संपर्क सूत्र:- 7987102901