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हिंदी है हम…

स्वामी विवेकानंद ने कहा था जो व्यक्ति अपनी मां का सम्मान नहीं करता वह दूसरे की माता का सम्मान कभी नहीं कर सकता यही बात अपने देश के लिए लागू होती है यही बात अपनी मातृभाषा के लागू होती है जो अपने देश का सम्मान नहीं करता जो अपने देश पर गर्व नहीं करता उसी तरह से अपनी मातृभाषा पर गर्व नहीं करता वह दूसरे की भाषा पर गर्व कैसे करेगा ?

हमारे विद्यालय में हम हिंदी दिवस में वाद विवाद प्रतियोगिता एवं भाषण प्रतियोगिता कराया करते थे उसमें हिंदी दिवस के दिन अपने अंग्रेजी के अध्यापक से विशेष रुप हिंदी दिवस पर उद्बोधन करवाते थे और वे बड़े अच्छे से अपने विषय को रखते थे हमारा यही उद्देश्य था कि हिंदी दिवस हम सब की भाषा है ।

आज आधुनिक युग में ऐसी बहुत सारी हिंदी कविताएं अलग-अलग सोशल मीडिया के माध्यम से चाहे वह यूट्यूब हो या छोटे-छोटे 1 मिनट के वीडियो के माध्यम से हमें देखने सुनने पढ़ने में मिलती हैं ।

जब मैं यह लिख रहा हूं तो बड़े हर्षित मन के साथ बोल रहा हूं कि आज हिंदी को तकनीक के साथ जोड़कर मेरे जैसे कितने लोग अपने विचारों को अभिव्यक्त कर पा रहे हैं । अभिव्यक्ति आज आसान है उन सभी के लिए जो हिंदी बोलना जानते पढ़ना जानते हैं सीखना जानते हैं ।

क्योंकि बचपन से ही हिंदी दिवस के अवसर पर वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रतिभागी बनने का भी अवसर मिला और आगे चलकर उस कार्यक्रम की योजना बनाने का अवसर भी मिला इससे मैं इस निष्कर्ष पर भी निकला हूं कि ऐसे बहुत सारे शब्द हैं जोकि अन्य भाषा के हैं या कह सकते हैं…

जिनकी खोज भारत के बाहर हुई और उन शब्दों का अनुवाद कर पाना जटिल है या फिर इतना विस्तृत हो जाता है कि हमें उसका अर्थ ही समझ में नहीं आता आता । कुछ ऐसे शब्द है जिनका प्रयोग हम करते हैं हिंदी के साथ वह या अंग्रेजी में होते हैं लेकिन कुछ शब्दों को हमें विदेशी भाषा ना समझ के तकनीकी भाषा के रूप में अपनाने की भी आवश्यकता है

उन्हें अन्य भाषा के शब्द ना कहकर हमें तकनीकी भाषा के रूप में स्वीकारना होगा । इन बातों को त्यागने की भी आवश्यकता है क्योंकि आप अगर यही तर्क देते रहेंगे कि सोशल मीडिया को हिंदी में क्या लिखें कंप्यूटर को हिंदी में क्या लिखें तो वह यह भूल जाते हैं कि ऐसे कई शब्द जो हिंदी में लिखे गए उसे पूरी दुनिया भी वही कहती है जिसे हम कहते हैं ।

अंग्रेजी डिक्शनरी भी नए-नए शब्दों को समय के हिसाब से अपनी डिक्शनरी में जोड़ती आ रही है ।

कुछ ऐसे शब्द और विचार भी हैं जो हमें हिंदी में नहीं मिलेंगे क्योंकि वह विचार या वह भावना हमारे परंपरा नहीं रही इसलिए हमें दूसरे शब्दों को अपनाना पड़ा जैसे कि तलाक या डायवोर्स हमारी भारतीय परंपरा नहीं रही इसीलिए इसका कानूनन नाम भी यही रखा गया ।

इन बातों को त्यागने की भी आवश्यकता है क्योंकि आप अगर यही तर्क देते रहेंगे कि सोशल मीडिया को हिंदी में क्या लिखें कंप्यूटर को हिंदी में क्या लिखें तो वह यह भूल जाते हैं कि ऐसे कई शब्द जो हिंदी में लिखे गए उसे पूरी दुनिया भी वही कहती है जिसे हम कहते हैं ।

हिन्दी के लिए स्वतंत्र संग्राम सेनानियों का योगदान…

हिंदी भाषा का स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने भी अत्यधिक प्रयोग किया एवं उस पर विशेष बल दिया । लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी का यह कहना था कि
‘हिंदी राष्ट्रभाषा बन सकती है मेरी समझ में हिंदी भारत की सामान्य भाषा होनी चाहिए यानी समस्त हिंदुस्तान में बोले जाने वाली भाषा होनी चाहिए” । लोकमान्य तिलक देवनागरी को राष्ट्र लिपि और हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते थे ।

लाला लाजपत राय भी इसकी प्रमुखता से प्रमाणिकता से इस पर बल देते रहे हैं और उन्होंने भी अपने हिंदी में भाषण देने से जन सामान्य विशेष रूप से आंदोलन होते आंदोलित होते रहे थे लाला राजपत राय महान हिंदी प्रेमी और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में सफल समर्थक रहे ।

पंडित मदन मोहन मालवीय एक राष्ट्रीय नेता थे और उन्होंने भी हिंदी पर विशेष बल देने की बात कही उन्होंने हिंदी भाषा के विषय में कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा अपनी उच्च शिखर पर नहीं पहुंच सकती जब तक जनता की मातृभाषा में उचित स्थान पर ना पहुंच जाए ।

महात्मा गांधी ने भी 1917 में गुजरात प्रदेश में शिक्षा परिषद के अधिवेशन में अंग्रेजी को राष्ट्रभाषा बनाने का विरोध किया था । स्वतंत्रता आंदोलन के पहले गांधी जी ने पूरे देश का भ्रमण किया उन्होंने पाया कि हिंदी की एकमात्र ऐसी भाषा है जो पूरे देश को जोड़ें रख सकती है।

दक्षिण भारत में गांधी जी ने हिंदी का प्रचार किया वर्ष 1918 में महात्मा गांधी जी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग की थी और
उनका यह वाक्य बहुत प्रसिद्ध है कि “राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है । ”

सेठ गोविंददास का भी इस मामले में अत्यंत योगदान रहा है उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में हिंदी के लिए प्रेरक कार्य किए ।
भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय343 (1) में वर्णित है इसके अनुसार संघ की भाषा हिंदी एवं लिपि देवनागरी होगी ।

हिंदी भाषा की लोकप्रियता…

हिंदी भाषा की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है विश्व में हिंदी सीखने वालों की संख्या में भी अत्यंत वृद्धि हुई है पिछले दशकों में हिंदी बोलने वालों लिखने की मांग में अत्यधिक वृद्धि हुई है अनेक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां कुल विज्ञापन के लगभग 75% विज्ञापनों का प्रतिशत हिंदी माध्यम में ही है ।

विश्व के बड़े-बड़े फिल्मकार निर्माता एवं एवं निर्देशक भी जब किसी फिल्म को विश्वव्यापी बनाना चाहते हैं तो उसमें उस फिल्म के अनुवाद को वे हिंदी भाषा को जरूर करते हैं आज वेब सीरीज के माध्यम से बड़े-बड़े चैनल जैसे नेटफ्लिक्स, प्राइम,जी 5 या अन्य चैनल भी अपने चैनल में वेब सीरीज फिल्म को हिंदी में अवश्य रखते हैं।

उनके ऑडियो को हिंदी में भी अनुवाद करते हैं एवं संभव ना होने पर उसके सबटाइटल हिंदी में बना देते हैं यह भी आवश्यक है क्योंकि वह जानते हैं कि यदि वे फिल्मों में ऑडियो या सबटाइटल हिंदी भाषा में डालेंगे तो उसके देखने वाले दर्शक की संख्या बढ़ेगी और उनके चैनलों को अधिक से अधिक खरीदा जाएगा या सब्सक्राइब किया जाएगा ।

भारत सरकार ने भी नई शिक्षा नीति लागू की है जिसमें हिंदी पर एवं मातृ भाषा पर विशेष बल दिया है जोकि सराहनीय कदम है आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे…

नेल्सन मंडेला ने कहा था…


आप किसी व्यक्ति को जिस भाषा में वो समझता हो उस में बात करें तो उसे समझ में आती है किंतु यदि आप उसकी मातृ भाषा में कहें तो उसे दिल को छू जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय पटल पर जो विदेशी भाषाएं आवश्यक है या सहायक है उसे सीखने और पढ़ने में कोई मनाही नहीं है ना हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य अन्य भाषाओं को अपनी भाषाओं से नीचा दिखाना है या उनका विरोध करना है ।

ह बात विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है । ज्ञान तो जितना लिया जाए उतना कम है उसी तरह से भाषाएं भी होती हैं बस हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि जो हमारी मातृभाषा है हमें उसके प्रति भी गौरवान्वित और गर्वित होना चाहिए । हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि जो व्यक्ति अपनी मातृभाषा में बात कर रहा है उससे यह सोचना उसके प्रति यह दृष्टिकोण रखना कि वह कम पढ़ा लिखा है या उसे अन्य भाषाएं नहीं आती इस प्रकार की दृष्टि रखना गलत है ।

शैक्षणिक संस्थाएं सरकार मिलकर इसके लिए आगे आए यदि आज की इंटरनेट की दुनिया में हर चीज आसानी से मिल जाती है कुछ भी सीखना हो तो हमें सारे माध्यम उपलब्ध है किंतु अभी भी हिंदी भाषा में बहुत सारे साहित्य विचार लिखने की आवश्यकता है एवं विश्व की ऐतिहासिक महत्वपूर्ण पुस्तकों विचारों को हिंदी भाषा में अनुवाद करने की आवश्यकता है…

ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उस विचारों को समझ सके हालांकि आज मोबाइल और कंप्यूटर में गूगल इनपुट व अन्य इनपुट के माध्यमों से हिंदी भाषा को हम आसानी से लिख सकते हैं बोल सकते हैं मेरा मानना यह है कि हिंदी विचारों की तरह भाषा के रूप में भी एक सकारात्मक भाषा है । अनिवासी भारतीय भी अपनी अगली पीढ़ी को हिंदी सिखाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं जिससे भारत में या तो वे निवेश कर सकें अथवा वापस लौट आयें।

हमारी भाषा अत्यंत प्राचीन है उसको बोले जाने वाले लोगों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की कमी के कारण लोग हिंदी भाषा बोलने में हिचकते हैं । योग्य हिंदी भाषा बोलना गर्व की बात है । हमारा राष्ट्रगान जन गण मन भी हिंदी में ही है।

जबकि मूल रूप से बंगाली भाषा में लिखा गया था इसका अनुवाद हिंदी में करके आज पूरा देश प्रत्येक भारतीय राष्ट्रगान के रूप में न केवल गाता है बल्कि उसे सम्मान के लिए अपने स्थान पर खड़ा भी होता है कहीं ना कहीं राष्ट्रगान की तरह हिंदी भी सभी भारतवासी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने अंदर समाहित कर चुके हैं।

आवश्यकता है समय-समय पर उसे बाहर प्रवाहित करने की आइए आज के दिन हम सभी संकल्प लें हिंदी है हम…