हिजाब ज़िद या जिहाद?
(भारत में इस्लामीकरण की ओर बढ़ता एक कदम)
वर्तमान परिदृश्य में भारत ही नहीं विश्व पटल पर भी जिहादी गतिविधियां /कट्टरपंथी मानसिकता /इस्लामी प्रभुत्व की नकारात्मकता से कोई भी अब अनभिज्ञ नहीं है। उदाहरण के रूप में फ्रांस की पत्रिका- ‘चार्ली हेब्दो’ ‘CHARLIE HEBDO’ में कार्टून को लेकर हिंसा, लंदन में जुलू, चीन की इस्लामी समाज पर प्रतिबंधात्मक (Detaintion centre) की कार्रवाई, भारत में तबलीगी जमात व सिमी पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही, रसिया के चेचन्या विद्रोही, अमेरिका में ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ पर हमला, म्यांमार में हिंसा के बाद मस्जिदों/इस्लाम पर कड़ी कार्रवाई, श्रीलंका में हिंसा, अफगानिस्तान में तालिबान की बर्बरता, पाकिस्तान में गैर इस्लामी समाज के साथ अत्याचार इत्यादि।
इस्लाम वैश्विक परिदृश्य में हिंसा/फसाद/आतंकवाद/क्राइम/अमानवियता का पर्याय बन चुका है। इस फसाद-अमानवीयता की जड़ ‘कुरान’ व ‘हदीस’ की वह कट्टरपंथी विचारधारा है। जो मस्जिदों में बचपन से सिखाई जाती है। जब बच्चों को बचपन में कोमल मस्तिष्क में मानवता के संस्कार दिए जाने चाहिए, उस समय मासूमों के दिमाग में जहर व नफरत के बीज बो दिए जाते हैं। इन्हें सिखाया जाता है कि दुनिया में हमारे मझहब इस्लाम को ना मानने वाले अन्य सभी मनुष्य/समाज काफिर (अधर्मी) हैं। इन्हें जोर-जबर्दस्ती, डराकर, प्रलोभन या मौत का भय दिखाकर हरे झंडे तले लाना है। चाहे इसके लिए अमानवीयता कि सारी हदें ही पार क्यों ना करनी पड़े। सच तो यह है कि ये मुल्ला-मौलवी अपनी तकरीरों/जुमे की नमाज के बाद के भाषणों में मनमानी बातें, जाहिलपना, कुप्रथा-रूढ़ियां समाज को पालन करने का आदेश (फतवा) जारी करते हैं। इनका डबल स्टैंडर्ड है।
दुनिया के विभिन्न देशों में इस्लामी कट्टरपंथी विचारधारा का 100 से भी अधिक प्रकार से जिहाद चल रहा है- लव जिहाद, लैंड जिहाद, मार्क्स जिहाद, कटिन्ग जिहाद, सब्जी जिहाद, फल जिहाद, मजार जिहाद, जनसंख्या जिहाद, मार्केटिंग जिहाद, सिविल सर्विस जिहाद, गुप्त जिहाद (अनेकों प्रकार) इत्यादि हैं। और इसमें यह कट्टरपंथी बलपूर्वक सारे समाज को झोंकते चले जा रहे हैं।
आज वैश्विक स्तर पर 100 से भी अधिक जिहादी आतंकवादी संगठन विश्व में हिंसा, दहशत फैलाने का काम तीव्रता से कर रहे हैं। और यह सब योजनाबद्ध सुनियोजित तरीके से जानबूझकर एक एजेंडे के तहत किया जा रहा है। और इतना ही नहीं इस वैश्विक जिहादी षड्यंत्र को आज अनेक देशों ने, उनकी गुप्तचर एजेंसियों ने पहचान लिया है एवं समाधान की दिशा में चिंतन व प्रयत्न जारी हो गए हैं।
चीन ने दस लाख मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर/कैप्स/जेलों में बंद कर रखा है। एवं संपूर्ण इस्लामी स्वतंत्रता समाप्त कर दी है। जापान ने सबसे पहले 5 लाख मुस्लिमों को कड़े प्रतिबंध लगाकर देश से खदेड़ दिया/पलायन को मजबूर कर दिया।
अमेरिका में ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ हमले के बाद तो स्थिति ये है कि एक-एक मुस्लिम के पीछे 1-1 सी.आई.ए. एजेंट 24 घंटे पीछे लगा रहता है। एयरपोर्ट पर नंगा करके शाहरुख खान की तलाशी ली जाती है। यूएसए अब किसी भी मुस्लिम को वीजा- पासपोर्ट जारी नहीं करता है।
म्यांमार में जब जिहादि हिंसा की पराकाष्ठा हुई तब अहिंसक बौद्दौ ने (विराथु के नेतृत्व में) 1 सप्ताह में ही अस्त्र उठाकर लगभग 20000 मस्जिदों को ध्वस्त कर, जिहादियों को कुचल दिया, अब वहां शांति है। श्रीलंका भी अब इस्लाम से चिंतित व चैतन्य हो चला है।
रूस में चेचन्या विद्रोही इस्लामी ही थे, जिन पर उसने नियंत्रण पा लिया व हाई अलर्ट पर है। विश्व में दर्जनों देशों के इसी प्रकार से कुछ मिलते-जुलते हालात हैं। ‘ग्लोबल टेररिज्म/जिहाद’ Global terrorism/JIHAAD पर विश्व में अब चिंतन प्रारंभ हो गया है।
जिहाद/इस्लामिक कट्टरता यह कोई एक देश की समस्या नहीं है। दुनिया के अनेकों देश इस्लामी जिहाद, आतंक से आज ग्रसित (पीड़ित) हैं। यह जिहाद आज सिर्फ भारत की समस्या मात्र नहीं है। वरन इससे विश्व के दर्जनों देश प्रभावित हैं।
जिहाद का जो स्वरूप आज विश्व में दिखाई दे रहा है। वह मात्र 50-100 की कहानी मात्र नहीं है। दुनिया में जिहाद लगभग 1300 वर्षों से चल रहा है। यह मानवता को निगलने का एक बहुत बड़ा वैश्विक प्रायोजित पैशाचिक षड्यंत्र है। इसके शिकंजे में आज विश्व के 57 देश आ चुके हैं। जिनको एक प्रायोजित षड्यंत्र के तहत इस्लामिक कंट्री में कनवर्ट कर लिया गया एवं आज भी विस्व के दर्जनों देशों में इस्लामीकरण का ट्रायल/प्रयत्न/’प्रिपरेशन आफ जिहाद’ चल रहा है।
जिन देशों का इस्लामीकरण हुआ, वह भी कभी अपनी मौलिक संस्कृति में जी रहे थे किंतु असावधान, अदूरदर्शी, स्वार्थी थे जो समय पर इस जिहादी षड्यंत्र को नहीं समझ पाए। जिहादियों को शरण दी, बसाया, पाला-पोसा, विकसित किया और परिणाम यह हुआ कि जिन्होंने इन्हे शरण दी वे, बेघर हो गए आर्थात- किराएदार ने मकान मालिक को ही निगल लिया। किराएदार/शरणार्थीयो ने अपनी संख्या बढ़ा कर उस देश पर ही कब्जा कर लिया। जिहादी हुकूमत कायम हो गई। वह देश इस्लामिक कंट्री देश बन गए। इसके उदाहरण- इंडोनेशिया, मलेशिया, कुवैत, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, सीरिया, इराक, ईरान, नाइजीरिया, इजिप्ट, अल्जीरिया, बहरीन , ब्रूनेई, कोमोरोस, मिस्र, जाडन, लिबिया, मालदीप, मोरक्को, ओमान ,कतर, सऊदीअरेबिया, सोमालिया, ट्यूनीशिया, यूएई, यमन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, टर्की, कजाकिस्तान, अज़रबैजान, बेनिन, बुर्किना, फासो, कैमरोन, कोमोरोस, गांबिया, माली, मोजांबिक, नाइजर, सेनेगल, सूडान, टोगो, ट्यूनीशिया, युगांडा, मोर्टिनिया, लेबनान, फिलिस्तीन, उज़्बेकिस्तान, अल्बानिया, गुयाना, सूरीनाम इत्यादि हैं।
ई.700 में भारत के विरुद्ध जिहाद शुरू हुआ जो कि अब तक चल रहा है। इसी जिहादी श्रंखला की एक कड़ी ‘भारत-पाक विभाजन 1947’ भी था। जिहादी षड्यंत्र की एक कड़ी ‘कश्मीर समस्या’ भी थी। राष्ट्र जागरणकर्ता, विद्वान, इतिहासविद, तेजस्वी वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के कथनानुसार- “आज भी भारत वर्ष के अनेक हिस्सों में छोटे-छोटे 600 पाकिस्तान के दृश्य देखे जा सकते हैं।”
देश में जिन्हें हम हल्के में लेते हैं व जिन्हे पंचर पुत्र कहते हैं। उन्होंने लगभग 3 लाख मस्जिदें, 2 लाख मदरसे, लाखों कब्रिस्तान मजारे, दरगाहें, ईदगाहें, खेतों, बागों, 100 से ज्यादा मुस्लिम विश्वविद्यालय और वक्फ संपत्तियों के माध्यम से देश की कुल जमीन के 35% हिस्से पर कब्जा कर लिया है। ऐसे व्यापार जिसमें एक धेले का भी टैक्स नहीं देना पड़ता उसमें 65% का इनका कब्जा है। इन पंचर पुत्रों का मीट उद्योग पर 95% कब्जा है।
रियल स्टेट जमीनी दलाली के धंधे में इस समुदाय का कब्जा 40% से ऊपर है। तस्करी व नशीला कारोबार में शांति दूतों ने गजब की प्रगति की है। इसके अलावा कबाड़, चोरी के सामान खरीदी-विक्री, पशु-तस्करी, अवैध हथियार सप्लाई इत्यादि अनेकों धंधे इन्हीं के बलबूते पर फल-फूल रहे हैं। दाऊद इब्राहिम, मेमन बंधु, इकबाल मिर्ची इत्यादि इसके सरगना रहे हैं ।
अभी कुछ दिन पूर्व उडुपी कर्नाटक में कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा स्कूल में हिजाब पहनकर आने की जिद की गई। प्रबंधन द्वारा जब मना किया गया तो मामले ने तूल पकड़ लिया। सारे देश में मुंबई से अलीगढ़, शाहीन बाग दिल्ली तक आंदोलन होने लगा। जबकि यह छात्राएं उसी स्कूल में कई वर्षों से बिना हिजाब के आ रही थी। और विद्यालय में प्रवेश लेते समय इन्होंने फार्म में निर्देशों के पालन में हस्ताक्षर भी किए थे। तब प्रश्न यह उठता है कि- अचानक यह हिजाब विवाद क्यों? कहीं यह प्रायोजित षड्यंत्र तो नहीं? जबकि हिजाब पहनने की जिद करने वाली छात्रा मुस्कान अपने घर -बाहर जींस में नजर आती है। इस मामले में ओवैसी व देश की सारे मुल्ला- मौलवीयों ने एंट्री की। पाक ने भी हवा दी।
अफगानिस्तान की तालिबान के जुल्मों से पीड़ित रही युसूफ मलाला ने भी हिजाब की वकालत की। किंतु देश के अन्य बुद्धिजीवियों का कहना है कि- “हिजाब जरूरी नहीं, किताब जरूरी है।” उस छात्रा ने स्कूल में अल्लाह हू अकबर!! अल्लाह हू अकबर!! के नारे भी लगाए। “हिजाब इज अवर राइट” कि पूरे मुस्लिम समुदाय द्वारा पुरजोर समर्थन, वकालत देश में की जा रही है। आखिर इस मुस्लिम समुदाय को ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ से डर क्यों? ये हिजाब प्रयोग य संयोग?
हिजाब को इंटरनेशनल मुद्दा बनाकर भारत को विश्व में बदनाम करने की एक सोची-समझी साजिद जान पड़ रही है। क्या हिजाब भारत में इस्लामीकरण की ओर बढ़ता एक कदम नहीं है? हिजाब की टाइमिंग सियासी है। जरा विचार कीजिए मामला कर्नाटक का प्रदर्शन दिल्ली में क्यों? क्या हिजाब इंटरनेशनल टूल किट तो नहीं? क्या धार्मिक पहचान भारत के संविधान से ऊपर है?
जबकि कांग्रेस की प्रवक्ता रोशनी कुशल का कहना है कि- “मैं स्कूल में पहुंचते ही हिजाब उतारती हूँ। “वहीं दूसरी ओर राजस्थान के कांग्रेसी सी.एम. अशोक गहलोत का कथन है कि- “राजस्थान के गांव में महिलाओं के घूंघट की कुप्रथा है।” ऐसे माहौल में कांग्रेश की शहजादी प्रियंका वाड्रा कहती हैं- “लड़कियों को हिजाब पहनने दिया जाए, उनकी स्वतंत्रता का हनन ना करें।”
जॉर्डन का राज परिवार जो अपने को मोहम्मद पैगंबर का वंशज मानता है वह भी कभी हिजाब में नजर नहीं आता है। विश्व के देश- नार्वे, इजिप्ट, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया में बुर्का बेन है। गोवा (भारत) में 1961 से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। क्या महिलाओं को बुर्के/चारदीवारी में बंद करना पाप नहीं है? क्या मुस्लिम महिला होना पाप है? क्या मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्रता नहीं मिलनी चाहिए? या फिर वे स्वयं ही वन्धनों में आनंद की अनुभूति करती हैं। क्या हिजाब में मुस्लिम महिला का सशक्तिकरण होगा? क्या नैतिकता की दृष्टि से हिजाब नारी स्वतंत्रता का हनन नहीं? क्या परंपराओं की तुलना में विवेक को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए? ये तमाम यक्ष प्रश्न है। जिन पर समाज को विवेक से चिन्तन करने की आवश्यकता है।
इस्लामी जिहाद भारत ही नहीं विश्व मानवता के प्रति क्रूरतम पैशाचिक षड्यंत्र है। विश्व के मानव समुदाय को मिलकर इसका सामना (कुचलना) करना चाहिए। जिहाद एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसके रूप/प्रकार अनेक हैं। इसे अमरबेल (परजीवी) कहना उचित ही होगा। क्योंकि एक भी मुस्लिम जिहादी जिस देश-समाज में पहुंचता है, वह वहां 100 साल बाद ही सही पर समस्या बन जाता है। उस देश को ही चूसकर, मार-काट करके नष्ट-नाबूत कर देता है।
हिजाब जिहाद भारत में इस्लामीकरण की ओर एक कदम है। लगभग दुनिया को तलवार के दम पर मुसलमान बना चुकी इस्लाम की आंधी के विरुद्ध विगत 1300 वर्षों से केवल हिंदुस्तान (भारत) की अपनी आध्यात्मिकता (प्रखर हिंदुत्व) से ओतप्रोत वीर सपूतों के दम पर लड़ता चला आ रहा है।
आध्यात्मिकता/सनातन/हिंदुत्व विश्व में अजेय, अतुल्य-अनुपम है। जिसकी शक्ति व सामर्थ अनंत व अगण्य है। जिसने लगभग 2000 वर्षों के अनेक आघातों को सहकर भी भारत को अक्षुन्य बनाये रखा। जिसने दुनिया कि भारत आने वाली सारी सभ्यताओं, विचारधाराओं को पचा लिया। तभी तो आदिकाल से भारतीय संस्कृति रूपी गंगा का प्रवाह अविरल व अक्षय बना हुआ है। तो आइए अब हमारी आपकी बारी है।
अपने राष्ट्र व समाज को जागृत-संगठित-सशस्त्र करें। शक्ति की उपासना करें और गीता के उद्घोष- “विनाशाय च दुष्कृताम्” का पालन कर असुरता को समूल नष्ट करें। विश्व में शांति व मंगलमय वातावरण की स्थापना करें। विश्व को उज्जवल भविष्य की ओर ले चलें। यही आज का राष्ट्रधर्म -युगधर्म है।
लेखक:- डॉ. नितिन सहारिय