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कांग्रेस ने सत्ता में आते ही बंद कर दिया था कारगिल विजय दिवस मनाना, गांधी परिवार के करीबी नेता ने कहा था-हम जश्न क्यों मनाएं, यह तो एनडीए का युद्ध था

कारगिल का युद्ध 21 वर्ष पहले 1999 में हुआ था। पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी। 26 जुलाई को पूर्ण रूप से भारत ने इस युद्ध को जीता था। देश के वीर जवानों के बलिदान और शौर्य की गाथा जन जन तक पहुंची थी। इसके बाद से ही प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को “कारगिल विजय दिवस” मनाया जाने लगा।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि 2004 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार द्वारा कारगिल विजय दिवस मनाये जाने पर रोक लगा दी गई? जी हाँ, देश के सैनिकों के बलिदान और विजय की गाथा सुनाने वाले दिवस को सोनिया गांधी के नेतृत्व में चल रही यूपीए सरकार ने मनाना बंद कर दिया था।

सिर्फ इतना ही नहीं गांधी परिवार के करीबी कांग्रेस नेता और तत्कालीन सांसद राशिद अल्वी ने कारगिल विजय दिवस को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी।

कांग्रेस सरकार द्वारा कारगिल विजय दिवस नहीं मनाये जाने पर सवाल किए जाने पर राशिद अल्वी ने कहा था कि “कारगिल ऐसी लड़ाई नहीं थी जिसका जश्न मनाया जाए। वह लड़ाई हमारे क्षेत्र में लड़ी गई थी। हमें तो यह भी नहीं पता चला कि पाकिस्तानी सेना ने कब हमारी सीमा पार की और वहां बनकर स्थापित कर दिए। सिर्फ एनडीए इस जीत का जश्न मना सकती है।”

कांग्रेस सरकार द्वारा 2004 से लेकर 2009 तक अपने पहले कार्यकाल में कारगिल विजय दिवस नहीं मनाया गया। भाजपा के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए 2017 में इस बात का खुलासा किया था कि “जब तक उन्होंने लेटर लिखकर कारगिल विजय दिवस मनाने के लिए नहीं कहा तब तक सरकार ने विजय दिवस नहीं मनाया।”

राजीव चंद्रशेखर ने इस पत्र को 21 जुलाई 2009 को लिखा था और वह इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाना चाहते थे। इसके बाद 16 जुलाई 2010 को कांग्रेस नेता एके एंटनी ने इस लेटर का जवाब देते हुए कहा था कि “इस वर्ष कारगिल युद्ध में बलिदान हुए जवानों को सम्मान देने के लिए अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि दी जाएगी।”

युद्ध किसी भी देश की सेना लड़ती है हालांकि यह बात भी मायने रखती है कि राजनीतिक नेतृत्व और उसकी इच्छा शक्ति कितनी है लेकिन बावजूद इसके देश के वीर जवानों की बदौलत ही किसी युद्ध में विजय प्राप्त होती है।