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थाईलैंड (श्यामदेश) में श्रीराम के वंशजों की कहानी…

प्रभु श्री राम के पुत्र कुश के वंशज के रूप में माने जाने वाले और कभी श्यामदेश के नाम से प्रसिद्ध देश थाईलैंड के राजा ‘पूमीपोन अदून्यदेत’ की 2016 में मृत्यु के एक वर्ष बाद जब अंतिम संस्कार किया गया था तब पूरे देश में श्री राम कथा का आयोजन किया गया था। वर्ष 2016 में उनकी मृत्यु हुई थी तब से पूरे एक वर्ष तक राष्ट्रीय शोक रखा हुआ था। 

थाईलैंड एक बौद्ध बाहुल्य राष्ट्र है लेकिन इन सब के बीच थाईलैंड की सबसे खास बात यह है कि उन्होंने अपने हजारों साल पुराने इतिहास को नही छोड़ा, अपनी परंपराओं की आधुनिकता के दिखावे में बलि नही चढ़ाई, और सबसे बड़ी बात 95% बौद्ध धर्म के अनुयायी होने के बाद भी उन्होंने ‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम’ को नही छोड़ा।

थाईलैंड के राजा के अंतिम संस्कार से पहले थाईलैंड में ‘महाग्रंथ’ से सम्मानित ‘रामायण’ का पाठ किया गया, जिसके बाद भगवान राम की कथा वहाँ के हवाओं में फैल गई और श्री राम की भक्ति रम-रम में बस गई।

भगवान राम के पुत्र कुश ने अपने राज्य कुशावती का पूर्व की ओर विस्तार किया, और थाईलैंड में माना जाता है कि वहाँ के राजा कुश के ही वंशज है।

भगवान राम असल में भगवान विष्णु के अवतार हैं और भगवान विष्णु का आयुध चक्र है, इसीलिए वो खुद को ‘चक्री वंश’ का कहते हैं। थाईलैंड के प्रत्येक राजा को ‘राम’ की उपाधि दी जाती है।

एक तरफ जहाँ भारत में ‘राम’ को सांप्रदायिक और काल्पनिक बनाने में तुले हुए थे वहीं एक ऐसा देश हैं जहाँ की राजधानी के एयरपोर्ट के स्वागत कक्ष में समुद्रमंथन की तस्वीरें चित्रित हैं, जहाँ का राष्ट्रीय चिन्ह भगवान विष्णु का का वाहक ‘गरुड़’ है।

आज भी वहाँ के राजा को कभी सार्वजनिक विवाद का विषय नही बनाया जाता क्योंकि उन्हें ‘राम’ की उपाधि दी जाती है।

आखिर राम से विमुख होकर किसे क्या मिला है? राम के बिना कैसे भारत की सांस्कृतिक विरासत आगे बढ़ेगी? ध्यान रहे, आज जिस आधुनिकता के पीछे भाग कर हम अपने ही संस्कृति और विरासत का अपमान कर रहे हैं, वही सभ्यता आज से कहीं आगे थी।

बाबरी विध्वंस के दौरान एक बार वीपी सिंह ने कहा था, “मैं विपक्ष से तो जीत सकता हूँ, राम से नहीं”, लेकिन आज राम से जीतने को निकले लोगो को ये याद रहे कि सनातन भूमि राम के बिना अधूरी है, सनातन भूमि का इतिहास राम के बिना अधूरा है, और सनातन भूमि का विकास राम के बिना असंभव है।

(thenarrativeworld.in से साभार)