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ऐतिहासिक रैली में जनजाति सुरक्षा मंच ने भरी हुंकार

  • जनजाति समाज का त्याग करने वालों को जनजाति आरक्षण क्यों

  • धर्म बदलने वालों को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाने की मांग

  • पंचायत से संसद तक संघर्ष करने लिया संकल्प

मंडला – भारत में धर्म और संस्कृति का नाता आत्मा और शरीर की तरह है। धर्म आत्मा है और संस्कृति शरीर, यदि आत्मा निकल गई तो शरीर किस काम का। हमें भ्रमित नहीं होना है, जनजातीय समाज से अपनी रीति-रिवाज व परंपराएं छोड़कर धर्मान्तरित हो चुके व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति सूची से बाहर करना है। क्योंकि ये 10 प्रतिशत धर्मान्तरित जनजाति समाज के आरक्षण सहित सरकार द्वारा दी जाने वाली 80 प्रतिशत सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं जबकि मूल जनजाति समाज आज भी इन से वंचित है।

जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. राजकुमार हासदा का, वे धर्म परिवर्तन कर चुके जनजाति व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाने की मांग को लेकर मंडला में आयोजित जनजाति सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

स्थानीय शीतला माता मंदिर परिसर में जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित रैली एवं जनजाति सम्मेलन में मंच संचालन कर रही जनजाति सुरक्षा मंच की राष्ट्रीय टोली सदस्य सम्पतिया उइके, संत दिगम्बर गिरी महाराज, संत लेखराम मरावी, अतुल जोग अखिल भारतीय संघटन मंत्री वनवासी कल्याण आश्रम, भगत सिंह नेताम, नत्थन शाह कवरेली प्रमुख रूप से मौजूद थे।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित हुए डॉ. राजकुमार हासदा ने कहा कि यह आंदोलन 50 वर्ष पूर्व डॉ कार्तिक उरांव द्वारा चलाया गया था। डीलिस्टिंग यानी धर्मोतिरितों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने के लिये संसद द्वारा कानून बनाए जाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए अब पंचायत से लेकर संसद तक इस अभियान को चलाया जाएगा।

साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन उन लोगों के खिलाफ है जो हमारी आस्था, परंपरा, रीति रिवाज, संस्कृति का त्याग कर चुके है। क्योंकि इन 10 प्रतिशत धर्मांतरित व्यक्तियों ने हमारे आरक्षण और हमारी सुविधाओं का 80 प्रतिशत लाभ उठाया है। उन्होंने कहा कि बीते 74 वर्षों से चला आ रहा यह खेल अब नहीं चलेगा। इन लोगों को आगे इसका लाभ नहीं लेने देंगे।

इस अवसर पर सोहन सिंह ठाकुर, डॉ रूपनारायण सिंह मंडवे, घनश्याम कुंजाम, किशन लाल धुर्वे, डॉ अर्जुनसिंह मरकाम, झल्लू लाल तेकाम, डॉ शिवराज शाह, पंडित सिंह धुर्वे, विजेंद्र सिंह कोकड़िया, सरस्वती मरावी, संजय कुशराम, नीरज मरकाम, सोनू लाल मरावी, अनुपमा तेकाम, अनसुईया मरावी, सुदेश पंडा, रमेश सिरसाम, प्रेम सिंह मार्को, विजय सरवटे, वेद प्रकाश कुलस्ते गोल्डी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

सम्मेलन के पूर्व डिलिस्टिंग महारैली आयोजित की गई जिसमें इस चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी में भी बड़ी संख्या में लोग जुटे और धर्मान्तरित लोगों की डिलिस्टिंग की मांग की। अपने अधिकार और धर्मांतरण को लेकर एकजुटता दिखाने के लिये यह रैली नगर के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरी। शहर के प्रमुख मार्गों से निकली इस रैली के स्वागत के लिए नगरवासियों द्वारा जगह-जगह पानी, शीतल पेय का इंतजाम किया गया था। लोगों ने रैली का स्वागत पुष्प वर्षा कर किया। जनजाति वेशभूषा में सुमधुर संगीत के साथ इस रैली में नृत्यदल भी शामिल थे।

इसलिये चल रहा है आंदोलन

डीलिस्टिंग से तात्पर्य यह है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग जिनका धर्म परिवर्तन कतिपय विधर्मी लोग लालच देकर या अन्य प्रलोभन से करते हैं। ऐसे लोग जो अपना धर्म त्याग कर दूसरा धर्म अपना लेते हैं और फिर वे अल्पसंख्यक के साथ अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण का दोहरा लाभ लेते हैं। ऐसे लोगों को डीलिस्टिंग यानी अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर कर दिया जाए तो इससे योग्य अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को मिलने वाले आरक्षण सहित अन्य संवैधानिक अधिकारों का नुकसान नहीं होगा।