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कटनी साहित्य महोत्सव – भारतीय होने का अर्थ

 

म0प्र0 शासन के लोक सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी जी ने भारतीय होने का अर्थ विषय पर अपने विचार मुख्य वक्ता की आसन्दी से व्यक्त किये,

आपने कहा कि मैंने 8 बार पूरे भारत का भ्रमण किया है,भारतीय होने का अर्थ वास्तव में भारत के लोगों में /बच्चों में भारत के इतिहास,संस्कृति का ,यंहा के महापुरुषों का ज्ञान होना आवश्यक है,अपने देश से साधारण परिचय भी यदि हमारा नहीं तो हम वास्तव में अभी भी अधूरे हैं,इतनी प्राचीन और सृमद्ध हमारी संस्कृति रही है जिसका वास्तविक ज्ञान आज की युवा पीढ़ी को होना आवश्यक है,सरकारें तो अपना कार्य कर ही रही हैं,एक नागरिक होने के नाते अपने देश की संस्कृति को अक्षुण रखने की जवाबदारी भी हम सबकी है,

आपकी पुस्तक  भारत की खोज में मेरे पांच साल के बारे में संक्षिप्त जानकारी विश्व संवाद केंद्र भोपाल से पधारी श्री मति रक्षा दुबे जी ने अपने विचारों के माध्यम से व्यक्त की।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में लखनऊ से उपस्थित हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सह संघठन मंत्री श्रीमान डॉ श्री कांत जी ने भारतीय होने के अर्थ को भारत के लोगों के जीवन पद्धति से जोड़ा,आपने कहा कि भारत विविधता से भरा देश है,यंहा सृमद्ध एवं गरीब के बीच की खाई को काटने की आज महती आवस्यकता है,साहित्यकारों को वास्तव में अपनी संस्कृति & पुरातन चिंतन,शिक्षा पद्धति से नई पीढ़ी को बताने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के अगले सत्र में अंग्रेजी का भ्रम जाल विषय पर भोपाल से पधारी साहित्यकार रक्षा दुबे द्वारा बताया कि किस प्रकार अंग्रेजी माध्यम हमारे लिए एक सहयोगी भाषा तो हो सकती है किंतु वह मात्र भाषा का स्थान नहीं ले सकती मातृभाषा में होती है जिस भाषा में हम सपने देखते हैं कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारी मनोरमा रतले ने अपने उद्गार में कहा कि आज एक प्रतिस्पर्धा सी चल पड़ी है हर परिवार अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना चाहता है अंग्रेजी से खाना चाहता है शायद इस कारण बच्चों में हिंदी के प्रति हीन भावना पैदा होने लगी है और इसी कारण हमारे संस्कार भी बिगड़ने लगे हैं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शिव प्रीति सुराना द्वारा अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज हमारे सामने आने को ऐसे उदाहरण है की विश्व में आने देशों द्वारा अपनी मूल भाषा के प्रचार-प्रसार व सुरक्षा के लिए कितने प्रयत्न किए जा रहे हैं और हम सभी अंग्रेजी भाषा के भ्रम जाल में फंसते जा रहे हैं

कार्यक्रम के अगले चरण में नारी का साहित्य में योगदान विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई जिस पर प्रोफेसर चित्रा प्रभात द्वारा आज नारियों का साहित्य में क्या योगदान है इस विषय पर प्रकाश डाला

अगले सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका संचालन प्रसिद्ध साहित्यकार प्रकाश प्रलय द्वारा किया गया एवं इसके पश्चात राष्ट्रीय कवि सम्मेलन मैं अपनी सुमधुर कविताओं का पाठ अनेक साहित्यकारों द्वारा किया गया

कार्यक्रम के अंत में सायं 5:00 बजे से बच्चों में पढ़ाई को लेकर जो भय का वातावरण है उसे किस प्रकार दूर किया जाए इस विषय पर विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ शिवनाथ बिहारी द्वारा निशुल्क कार्यशाला बच्चों को दी गई उसके पश्चात गुरु नानक देव जी के 550 व प्रकाश वर्ष पर चार साहबजादे नामक फिल्म का प्रदर्शन किया गया

26 दिसंबर को इस 6 दिन सी पुस्तक मेले का समापन सायं 4:30 बजे किया जावेगा समिति के समस्त सदस्यों द्वारा नगर की जनता से अधिक से अधिक संख्या में कार्यक्रम में पधारने का विनम्र आग्रह किया है

आभार प्रदशन कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री मनोज पप्पन आनंद जी ने किया।कार्यक्रम का सफल संचालन दिल्ली से पधारे श्री कृपा शंकर चौबे जी ने किया।