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जबलपुर में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महात्यम विषय पर प्राध्यापक सम्मेलन संपन्न…

जबलपुर में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महात्यम विषय पर प्राध्यापक सम्मेलन संपन्न…

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महात्यम विषय पर जबलपुर महानगर में प्राध्यापक सम्मेलन पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय के सभागार में संपन्न हुआ । उक्त सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महकोशल प्रांत के प्रांत प्रचारक श्री प्रवीण गुप्ता का उदबोधन हुआ ।

प्रवीण गुप्त जी द्वारा कहा गया कि भारत के इतिहास में ऐसा 76 बार हुआ है कि अयोध्या के राम जन्मभूमि पर अतिक्रमण और आक्रमण हुआ है हर वार हिंदू योद्धाओं के द्वारा अपने शौर्य से राम जन्मभूमि को मुक्त कराया गया ।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा उपस्थित साक्ष्यों के आधार पर राम जन्मभूमि राम लला को दी गई है इस भूमि पर भव्य मंदिर बने यह हम सबका कर्तव्य है जिस तरह से राम सेतु के निर्माण में एक गिलहरी ने योगदान किया था इसी तरह मंदिर निर्माण में हम सबको योगदान करना चाहिए यह योगदान तन मन धन या समय दान से किया जा सकता है,

समाज के हर व्यक्ति को यह लगना चाहिए कि भगवान राम का मंदिर उनका मंदिर है उनके परिवार का मंदिर है , राम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी इतिहास की सच्चाइयों को सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया ।

मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकान्त सोमपुरा जी पर है ।वे वर्ष १९८६ से जन्मभूमि मन्दिर निर्माण की देखभाल कर रहे हैं। ”लार्सन टुब्रो कम्पनी “ (यह पूर्णतः भारतीय कम्पनी है, इसके सभी 9 डायरेक्टर भारतीय हैं) को मंदिर निर्माण का कार्य दिया है, निर्माता कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने “टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स “ को चुना है । संपूर्ण मंदिर पत्थरों से बनेगा । मन्दिर तीन मंज़िला होगा ।

प्रत्येक मंज़िल की ऊँचाई 20 फ़ीट होगी, मंदिर की लंबाई 360 फ़ीट तथा चौड़ाई 235 फ़ीट है , भूतल से 16.5 फ़ीट ऊँचा मंदिर का फ़र्श बनेगा, भूतल से गर्भ गृह के शिखर की ऊँचाई 161 फीट होगी । धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण तथा भविष्य के सम्भावित भूकम्प के प्रभाव का अध्ययन हुआ है । ज़मीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू पायी गयी है , गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है ।

इस भौगोलिक परिस्तिथि में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मन्दिर का भार सहन कर सकने वाली मज़बूत व टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आई आई टी बंबई, आई आई टी दिल्ली ,आई आई टी चेन्नई , आई आई टी गुवाहाटी ,केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की , लार्सन टूब्रो व टाटा के इंजीनियर आपस में परामर्श कर रहे हैं ।

बहुत शीघ्र नीव का प्रारूप तैय्यार होकर नीव निर्माण कार्य प्रारम्भ होगा । भारत वर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है । देश की कम से कम आधी आबादी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की एतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने के लिये देश के प्रत्येक कोने में घर घर जाकर संपर्क करेंगे, देश में गहराई तक इच्छा है कि भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर बने ।

जिस प्रकार जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिये लाखों भक्तों ने कष्ट सहे , सतत सक्रिय रहे , सहयोग किया , उसी प्रकार करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से मन्दिर बने । कार्यक्रम में जबलपुर के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित लगभग ढाई सौ प्राध्यापक सम्मिलित हुए ।