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झूठी कहानी बना के हिन्दुओं को बदनाम करने की साजिश

अब मुसलमानों ने सौहार्द बिगाड़ने का एक नया तरीका ढूंढ लिया है. यदि किसी मुसलमान के साथ किसी भी वजह से मारपीट होती है तो वह मामले को बढ़ाने के लिए आरोप लगा देता है कि उस पर ‘जय श्री राम’ कहने के लिए दबाव बनाया जा रहा था. ‘जय श्री राम’ का उद्घोष न करने पर उनके साथ मार-पीट की गई. ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, कहीं यह कोई साजिश तो नहीं है ?

कुछ समय पहले, कानपुर जनपद में एक रिक्शा चलाने वाले मुस्लिम युवक ने इसी तरह का आरोप लगा कर शहर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की. बरेली में एक मदरसे के छात्र ने ‘मॉब लिंचिंग’ की फर्जी कहानी गढ़ के साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने का प्रयास किया और अब उन्नाव में भी इसी तरह का विवाद खड़ा किया गया. उन्नाव जनपद का मामला इतना बढ़ गया कि देर रात प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थिति स्पष्ट की.

उन्नाव जनपद में क्रिकेट के खेल में हुए विवाद को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गयी. विवाद बस इतना था कि दारूल उलूम फैज़ेआम मदरसे में पढ़ने वाले कुछ मुसलमान लड़के क्रिकेट खेल रहे थे. क्रिकेट खेलने वाले लड़कों का कुछ लोगों से झगड़ा हो गया और मौके मार – पीट हो गई. मगर मुसलमान लड़कों ने आरोप लगाया कि जब वह क्रिकेट खेल रहे थे. उसी दौरान चार युवक आये और उन लोगों ने जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ का उद्घोष करने के लिए कहा. मुसलमान लड़कों के इन्कार करने पर उन चार युवकों ने स्टंप उखाड़ कर मुसलमान लड़कों के ऊपर हमला कर दिया, जिससे मदरसे के कुछ छात्र घायल हो गए.

इस घटना की सूचना मदरसे के प्रधानाचार्य एवं शहर काजी मौलाना निसार अहमद को दी गयी. उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा के चार कार्यकर्ताओं के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई. घटना के बाद पुलिस ने नामजद लोगों में से दो को गिरफ्तार भी कर लिया. बाद में मामला फर्जी निकला.

प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी एवं अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) पी. वी. रामाशास्त्री ने सरकार की तरफ से स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि “क्रिकेट के विवाद में मार-पीट की घटना हुई थी. ‘जय श्री राम’ कहलवाने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है. उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य जनपदों में सौहार्द बिगाड़ने के लिए इस तरह की बात का सहारा लिया जा रहा है. अलीगढ़, कानपुर एवं उन्नाव के मामले में ‘जय श्री राम’ एवं ‘मॉब लिंचिंग’ की बात बिल्कुल झूठी पाई गई है. इस तरफ की अफवाह जो लोग फैला रहे हैं. उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

इसी प्रकार, कानपुर नगर के बाबू पुरवा इलाके का निवासी आतिब, ऑटो चलाने का कार्य करता है. आतिब और उसके परिजनों ने आरोप लगाया था कि बाकरगंज मोहल्ले के सुमित, राजेश और शिवा ये तीनों लोग ऑटो में बैठ गए और आगे चौराहे तक पहुंचाने को कहा. कुछ देर बाद इन लोगों ने आतिब को ‘जय श्री राम’ का उद्घोष करने के लिए कहा. इन्कार करने पर आतिब के साथ मार-पीट की गई. बाद में जब मामला खुला तो पता चला कि “रिक्शा चालक आतिब ने अपने कुछ साथियों के साथ रात में शराब पी थी. शराब पीने के दौरान किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ. इसी बीच उन लोगों ने आतिब के साथ मारपीट की. इसी तरह कुछ दिन पहले, अलीगढ़ जनपद के थाना जवां अंतर्गत तालिबनगर के रहने वाले फरमान नियाजी ने भी सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया. फरमान ने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करते हुए यह दावा किया था कि उसके साथ ‘मॉब लिंचिंग’ की घटना हुई थी. फरमान ने आरोप लगाया था कि बरेली जाते समय ट्रेन में कुछ लोगों ने उसके साथ मार -पीट की थी. इस घटना के बाद वह बेहोश हो गया था. होश में आने पर उसने खुद को अंजान जगह पर पाया.

अलीगढ़ की पुलिस ने तत्परता के साथ इस मामले का खुलासा किया. फरमान जब ट्रेन में यात्रा कर रहा था, उस समय उसकी किसी कहासुनी हुई थी. उसके कुछ देर बाद उसके साथ जहर खुरानी की घटना हुई. जहर खुरानी की घटना के बाद वह बेहोश हो गया था. इस मामले को तूल देने के लिए उसने इसे “माब लिंचिंग” की तरह प्रस्तुत किया था.

सुनील राय

पांञ्चजन्य