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दिहाड़ी मजदूरी से चौगुनी आमदनी जुटा रहीं महिलाएं

2.77 लाख गणवेश बनाकर आत्मनिर्भर बनीं पांच हजार महिलाएं

बालाघाट–  गांवों में दिहाड़ी मजदूरी से दिनभर की मेहनत के बाद भी जिन हाथों में 200 रुपए भी मजदूरी नहीं आती थी। अब उन हाथों में दोगुनी से चौगुनी कमाई आ रही है। बेकार हाथों के हुनर को तराशकर महिलाओं ने जीविका का जरिया जुटाया है। जिले की पांच हजार महिलाएं सिलाई कर जीविका को आगे बढ़ा रही हैं। छोटी पूंजी से छोटी-छोटी इकाई लगाकर महिलाएं स्कूली बच्चों की गणवेश तैयार कर आजीविका का साधन जुटा रही हैं।

आजीविका जुटाने महिलाओं के सामूहिक प्रयास से उनकी जीविका की राह आसान हो गई है। जिले की पांच हजार महिलाओं ने सिलाई से चार करोड़ की आमदनी का जरिया जुटा लिया है।

जिले के 10 विकासखंडों में 203 समूह की पांच हजार महिलाओं की छोटी-छोटी इकाईयों ने जिले में बड़े काम किया है। इस साल जिले दो लाख 79 गणवेश के विरुद्ध दो लाख 77 हजार गणवेश तैयार की है। कोरोना की आपदा में यह काम महिलाओं के लिए अवसर बना है। इन महिलाओं ने आजीविका जुटाने महिलाओं ने कपड़ों की सिलाई के काम को अपनाया है।

फोकस पॉइंट

– जिले के 10 विकासखंडों में 50 स्थाई सिलाई केंद्र खोले गए हैं।

– 280 अस्थाई केंद्र महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।

– इन केंद्रों में पांच हजार महिलाएं काम कर रही हैं।

– दो लाख 79 हजार का लक्ष्य था।

– दो लाख 77 हजार ड्रेस बनाई जानी हैं।

– बालाघाट और लालबर्रा में दो बड़ी यूनिट भी महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही हैं।

बिना लागत आमदनीः सामूहिक रुप से काम कर रही महिलाओं ने करीब नौ लाख रुपए कीमत की गणवेश तैयार की हैं। जिसके लिए उन्हें लगभग चार करोड़ रुपये आमदनी होगी। बिना लागत और जोखिम की कमाई आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाओं ने समूह बनाए और सामूहिक प्रयास से गांवों में छोटी-छोटी सिलाई की इकाई शुरू कर दी है। पहले ही साल बड़े काम के मिल जाने से महिलाओं की कोशिश को पंख लग गए हैं। पहले महिलाएं झिझक रही थीं। लेकिन जब बिना लागत और जोखिम के मुनाफा देखा तो अब इन महिलाओं की संख्या पांच हजार के पार हो गई है।

आजीविका जुटाने के लिए महिलाओं ने मिशन की तरह काम किया है। छोटे-छोटे समूह बनाकर महिलाओं ने सिलाई केंद्र खोलकर गणवेश बनाने का काम किया। जिले में करीब दो 77 हजार गणवेश महिलाओं ने इस सत्र में तैयार की हैं। लगभग नौ करोड़ रुपए की गणवेश तैयार हुई हैं। जिसमें करीब चार करोड़ सिलाई की कमाई महिलाओं को मिलनी है। जो रोजाना करीब 400 से 800 रुपए मजदूरी जुटा पा रही हैं।

साभार नईदुनिया