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धर्म संसद में पारित प्रस्ताव – शबरीमला में परम्परा और आस्था की रक्षा करने का संघर्ष – अयोध्या आन्दोलन के समकक्ष

धर्मसंसद

दिनांक 31 जनवरी, 2019

सेक्टर-14, ओल्ड जी. टी. रोड, कुम्भ मेला क्षेत्र, प्रयागराज

प्रस्ताव (1) – शबरीमला में परम्परा और आस्था की रक्षा करने का संघर्ष – अयोध्या आन्दोलन के समकक्ष

शबरीमला सहित भारत में स्थित प्रत्येक मन्दिर का अपना इतिहास एवं विशिष्ट परम्परा  रही है, जो भारत के पूज्य ऋषि-मुनियों द्वारा स्थापित है. सदियों से हिन्दू समाज इन परम्पराओं के आधार पर श्रद्धा से पूजन करता आया है.

गत कुछ वर्षों से देखने में आया है कि हिन्दू परम्पराओं के प्रति समाज में अश्रद्धा और अविश्वास निर्माण कर अपमानित और कलंकित करने का कुप्रयास किया जा रहा है. दक्षिण भारत का शबरीमला मन्दिर इसका ताजा उदाहरण है. कभी पर्यावरण के नाम पर तो कभी आधुनिकता के नाम पर इस प्रकार के विवाद जानबूझ कर खड़े किए जाते हैं और हिन्दू परम्पराओं के प्रति समाज में अश्रद्धा और अविश्वास निर्माण कर बदनाम किया जाता है जबकि हिन्दू समाज क्रान्तिधर्मा है. उसने आवश्यकतानुसार अपने गुण-दोषों का स्वयं ही परिमार्जन किया है.

शबरीमला मन्दिर में 1950 में ईसाइयों द्वारा आग लगाई गई और विग्रह भंग किया गया, 1982 में मन्दिर की जमीन पर क्रॉस गाड़ा गया और अभी हजारों मुस्लिम महिलाएं ‘‘महिला दीवार’’ शबरीमला के विरुद्ध में बनाती हैं, ये सब उदाहरण इस षड्यंत्र की व्यापकता को दर्शाते हैं. यहाँ पर न्यायपालिका की आड़ में केरल सरकार ने भगवान अय्यप्पा भक्तों पर दमनचक्र चला रखा है. जिसके कारण 5 भक्तों को जान से हाथ धोना पड़ा, सैंकड़ों भक्तों को गिरफ्तार किया गया. 5000 प्रकरणों के माध्यम से लगभग 15,000 भक्तों को गिरफ्तार करने का षड्यंत्र रचा गया है. लाखों अय्यप्पा भक्तों ने श्रृंखला बनाकर और अन्य प्रदर्शनों के माध्यम से मन्दिर की पुरातन परम्परा को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया है, किन्तु केरल सरकार द्वारा षड्यंत्रपूर्वक इनका अपमान करने के लिए जिनकी श्रद्धा नहीं है, उनको रात में भेष बदलकर जबरन व छलपूर्वक दर्शन करवाए गए.

भारत का सन्त समाज अय्यप्पा भक्तों विशेष तौर पर हिन्दू महिलाओं, एन.एस.एस., के.पी.एम.एस., एस.एन.डी.पी., आर्य समाज, पीपुल ऑफ धर्मा तथा अन्य कई हिन्दू संगठनों के इस पावन संघर्ष का अभिनन्दन करती है, जिन्होंने शबरीमला के संघर्ष को अयोध्या आन्दोलन के समकक्ष खड़ा कर दिया है.

इतना सब कुछ होने के बाद हिन्दू समाज की धारणा बनी है कि केरल की वामपंथी सरकार जेहादी तत्वों, वामपंथी अराजक गुण्डों तथा प्रशासन के माध्यम से भगवान अय्यप्पा के भक्तों पर दमनचक्र चला रही है. धर्मसंसद का यह अभिमत है कि न्यायपालिका तथा सरकार को हिन्दू परम्पराओं व मान्यताओं के पालन में हस्तक्षेप से दूर रहना चाहिए.

धर्मसंसद केरल की वामपंथी सरकार के इस दमनचक्र की घोर भर्त्सना करती है और हिन्दू समाज से आह्वान करती है कि इस दमनचक्र के विरोध में राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाए. देश के सम्पूर्ण हिन्दू समाज से यह अपील है कि इस जन जागरण आन्दोलन के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर सहभागिता करें.

प्रस्तावक: स्वामी परमात्मानन्द जी

अनुमोदक: स्वामी अयप्पा दास जी

दिनांक: 31 जनवरी, 2019 – प्रयागराज