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नागरिकता संशोधन अधिनियम पर छात्रों को किया जा रहा गुमराह

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नागरिकता संशोधन कानून 2019 का स्वागत एवं अभिनन्दन किया. कानून बनने से देश के हजारों लोगों में खुशी की लहर है, लेकिन दूसरी और इसकी आड़ में घुसपैठियों, वामपंथियों एवं देश विरोधी ताकतों द्वारा छात्रों को गुमराह कर देश के कुछ परिसरों में अराजकता एवं हिंसक आंदोलन खड़ा किये जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसकी विद्यार्थी परिषद् कड़ी निंदा करती है. इसी के तहत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिमला जिला में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में उपायुक्त कार्यालय से शेर ए पंजाब तक रैली निकाली गई. आंदोलन के हिंसक रूप से स्पष्ट हो जाता है कि माओवादी शक्तियां तथा घुसपैठियों द्वारा देशभर के विश्वविद्यालय में छात्रों को भड़काकर हिंसा फैलाने का काम कर रही हैं, अ.भा.वि.प. इसका कड़ा विरोध करती है. साथ ही देश के कुछ शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों में आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़ तथा छात्रों को परीक्षा देने से रोकना आदि घटनाएं निंदनीय है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रान्त मंत्री राहुल राणा ने कहा कि घुसपैठियों ने तो अपना मकसद पूरा करने में पूरा जोर लगाया है, परंतु कुछ राजनैतिक दलों द्वारा हिंसा का समर्थन कर दंगे भड़काने में प्रयासरत हैं. देश में मज़हब के नाम पर हो रही हिंसक घटनाएं चिंता का विषय हैं, ये देश की एकता पर चोट कर रही हैं. यह भारत भूमि जितनी महात्मा गांधी और वीर सावरकर की है, उतना की हक इस भूमि पर राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां जैसे क्रांतिकारियों का भी है.

राष्ट्रीय कार्यकरणी सदस्य कोमल बेक्टा ने कहा कि कानून के लागू करने के तहत भारत अपनी परम्परा को निभा रहा है और पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश के सताए हुए लोगों को शरण देकर 31 दिसम्बर 2014 से पहले आने वाले हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन पारसी एवं ईसाईयों को नागरिकता प्रदान की जानी है, साथ ही विद्यार्थी परिषद् छात्र समुदाय से आग्रह किया है कि सर्वप्रथम छात्र छात्राएं संशोधित कानून को पढ़ें और उसके बाद ही निर्णय लें, किसी बहकावे में न आएं तथा जो हिंसा के लिए उकसा रहे हैं उन सभी लोगों के विरुद्ध एकजुट होकर खड़े हों.