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पुर्णिया के बायसी में मुस्लिम भीड़ ने महादलितों के दर्जन भर घर को जलाया

पटना– पूर्वांचल के पूर्णिया जिले में जिहादी भीड़ ने महादलित परिवारों पर कहर बरपाया. बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों से मारपीट की और उनके घरों को जला दिया.

पूर्णिया जिले के बायसी अनुमंडल की खपड़ा पंचायत के नेयामतपुर मंझवा गांव में 19 अप्रैल को भीड़ ने पूर्व चौकीदार नेवालाल राय की पीट-पीटकर हत्या कर दी. 17 महादलित परिवारों के घर पूरी तरह जला दिए.

पी.डब्ल्यू.डी. की जमीन पर 20 वर्षों से रहने की सजा दी गई. यहां 60- 70 महादलित परिवार रहते हैं. इनके घरों को चारों ओर से घेर कर पेट्रोल छिड़ककर जलाया गया. जो घरों से बाहर आया उसे बुरी तरह पीटा गया. हिंसक भीड़ ने बच्चों और गर्भवती महिला तक का भी ख्याल नहीं रखा. इनके हमले में गर्भवती महिला लक्ष्मी देवी बुरी तरह घायल हो गई. वर्तमान चौकीदार भरत राय बुरी तरह घायल हुए. हिंसा में प्रताप राय का 3 वर्षीय शिशु दीवाना राय भी लापता है. घटना की लिखित शिकायत मृतक नेवालाल के पुत्र 25 वर्षीय फकीरा राय ने बायसी थाना में दर्ज करवाई है.

बिहार का पूर्णिया प्रमंडल एक संप्रदाय विशेष की हिंसक गतिविधियों से हमेशा सुर्खियों में रहता है. कुछ समय पूर्व ही किशनगंज के इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार की हत्या जिहादियों ने कर दी थी. कटिहार के बारसोई में तो अक्सर ऐसी घटनाएं होती हैं. बायसी का इतिहास भी कुछ ऐसा ही है. इसी गांव में 2015 में रास्ते के विवाद को लेकर हिंसा हुई थी. 3-4 घर भी जलाए गए थे. लेकिन कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई.

2017 में इसी गांव के 17 वर्षीय धर्मेंद्र की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी. हरे रामपुर पुल के समीप हुई घटना में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. 24 अप्रैल को भी दोपहर में 10- 12 लोगों ने एक हरिजन, सुकारू का घर इसी गांव में जला दिया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

19 मई को टाट लगाने के नाम पर आरोपी पक्ष ने इन लोगों को धमकाया था. गांव में घुट-घुटकर जीना महादलित परिवारों की मजबूरी है. इन्हें बेइज्जत किया जाता है, जातिसूचक गालियां दी जाती है. उस दिन शाम में ही दोनों समुदाय में झड़प हुई. जिस पर स्थानीय पुलिस आयी और दो चौकीदार भी तैनात किए गए. किन्तु उसी रात 10:30 बजे भीड़ ने बस्ती को घेर कर हमला कर दिया. पैट्रोल छिड़ककर इनके घरों को आग के हवाले कर दिया. सामने मौत को देखकर सब लोग जैसे तैसे भागे. नेवालाल राय को घेरकर लाठी और फरसे से हमला किया गया और पीट-पीट कर हत्या कर दी. क़ई महिलाओं की बुरी तरह पिटाई की गई. इस घटना में एक गर्भवती स्त्री को बुरी तरह से पीटकर सर फोड़ दिया. महादलित समुदाय के सभी हिन्दू किसी तरह जान बचाकर भागे. 17 घर पूरी तरह राख में बदल गए.

थानाध्यक्ष अमित कुमार एवं एसडीपीओ मनोज राम के अनुसार दो अभियुक्तों मो. साकिर एवं इब्राहिम की गिरफ्तारी की गयी है। घटना के विषय में बताया गया कि महादलित परिवारों के लोग पीडब्ल्यूडी की सरकारी जमीन पर वर्षों से घर बना के रह रहे हैं. ये लोग महादलित हिंदुओ को जमीन खाली कर भगाने के लिए परेशान करते रहते हैं.

पुलिस ने घटना के लिए 63 लोगों को नामजद किया है. नामज़द आरोपियों में मुख्य रूप से रिजवी, शाकिद, इलियास, शमशाद, नजमुल, साकिर, असद, सहित अन्य शामिल हैं. घटना में सबसे प्रमुख भूमिका रिजवी, शाकीद और इलियास की बताई जा रही है.

विश्व हिंदू परिषद ने इस घटना की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए आरोपियों पर त्वरित कार्यवाही की मांग की है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय दलित आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इस घटना पर संज्ञान लिया है.

 2020 के विधानसभा चुनाव में बायसी विधानसभा से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के रुकनुद्दीन अहमद जीते हैं. इस क्षेत्र से पहली बार एआईएमआईएम का उम्मीदवार जीता है. कई लोगों ने बताया कि रुकनुद्दीन के विधायक बनने के बाद बायसी में हिंदुओं का उत्पीड़न बढ़ गया है.

रुकनुद्दीन बायसी के पास बैरिया गांव के रहने वाले हैं. कहा जाता है कि चुनाव जीतने के 10 दिन बाद ही उन्होंने अपने गांव में हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी के बीच एक दीवार बनवा दी थी. हालांकि विरोध के बाद उस दीवार को गिरा दिया गया है. बैरिया के हिंदू दलित हैं और इसलिए दीवार बना दी गई कि आते-जाते उनके दर्शन न हो जाएं. यही नहीं, बायसी में भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी परेशान किया जा रहा है.

इसी के तहत बैरिया निवासी बीरबल की फसल काट ली गई है. बीरबल ने बताया कि अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है. उल्लेखनीय है कि भाजपा समर्थक बीरबल ने तीन बीघा जमीन पर मक्के की फसल लगाई थी. रुकनुद्दीन के समर्थकों को यह पसंद नहीं कि उनके गांव में भाजपा का कोई समर्थक रहे. इसलिए उन लोगों ने बीरबल को तंग करने के लिए उनकी फसल काट ली.