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महाराष्ट्र की राजनीति में भूकम्प की गहरी दरारें गृहमंत्री पर 100 करोड़ मासिक वसूल कराने के टारगेट का खुलासा!

मुम्बई के पूर्व कमिश्नर परमवीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे को लिखे एक पत्र में खुलासा किया है कि प्रदेश के गृहमंत्री अनिल देखमुख ने निलम्बित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को हर महीने 100 करोड़ रूपये वसूली का टारगेट दिया था। यह पत्र परमवीर सिंह के लेटर पेड पर लिखा गया है, लेकिन उस पर हस्ताक्षर नहीं हैं।

पत्र में यह भी कहा गया है कि गृहमंत्री पुलिस अफसरों को अपने सरकारी आवास पर बुलाकर कलेक्शन का टारगेट देते थे। पत्र में यह भी उल्लेख है कि मैंने (परमवीर सिंह) गृहमंत्री के कई गलत कामों की जानकारी आपको (मुख्यमंत्री) को दी है। यही बात डिप्टी सी.एम. अजीत पवार, राष्ट्रीय कांग्रेस प्रमुख शरद पवार को भी दी थी।

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मुख्यमंत्री कार्यालय में ई-मेल से परमवीर सिंह के इस पत्र के मिलने की पुष्टि की है। पत्र की जांच की जा रही है। इधर अनिल देशमुख ने कहा है कि ‘‘खुद को कार्रवाही से बचाने के लिये परमवीर झूठे आरोप लगा रहे हैं। वाझे की संलिप्तता की पुष्टि हो रही है। इसलिये खुद को फंसते देख परमवीर ऐसे आरोप लगा रहे हैं।’’

इसे भी एक ऐसा संयोग कहा जाता है कि जब-जब शरद पवार का मंत्री मंडल बना, तब-तब मंत्रियों को इस्तीफे देने पड़े राष्ट्रीय कांगे्रस पार्टी प्रमुख शरद पवार के मंत्रियों का विवादों से निकट का रिश्ता रहा है। इससे पहले छगन भुजबल को फर्जी स्टेंप पेपर के तेलगी कांड और अजीत पवार को सिंचाई घोटाले में त्यागपत्र देना पड़ा था।

शरद पवार की पार्टी जब भी महाराष्ट्र में सत्ता में आयी, तब-तब उसके किसी बड़े मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। अन्ना हजारे द्वारा लगाये गये आरोपों के बाद सन् 2003 में नबाब मलिक विजयकुमार गाविल और पद्म सिंह पाटिल जैसे वरिष्ठ मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था।

परमवीर सिंह के पत्र में आरोप लगाया गया है कि देशमुख ने वाझे को कई बार अपने सरकारी आवास पर बुलाया था और कहा था कि मुम्बई में 1750 बार और रेस्टारेंट हैं। सभी से 2 से 3 लाख उगाही की जाय तो 40-50 करोड़ हर महीने इकट्ठे हो सकते हैं। इसी प्रकार पैसा अन्य स्त्रोतों से भी एकत्रित किया जा सकता है।

शिवसेना सूत्रों का मानना है कि अनिल देशमुख शीघ्र इस्तीफा दे सकते हैं। परमवीर सिंह ने पत्र में यह भी लिखा है कि देशमुख ने दादरा-नगर हवेली सांसद मोहन देलकर खुदखुशी केस की जांच को भी प्रभावित करने का प्रयास किया था। देलकर 22 फरवरी को मुम्बई के एक होटल में मृत मिले थे।

इस बीच उद्योगपति मुकेश अम्बानी के घर  एंटीलिया के बाहर मिली विस्फोटकों से भरी एस.यू.वी. के मालिक मनसुख हिरेन की मौत की जांच एन.आई.ए. को सौंपी गयी है। ऐसे गम्भीर हालातों के ही कारण गत जनवरी में महाराष्ट्र राज्य की सत्ता चलाने वाले महा अघाड़ी गठबंधन की शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस को महाराष्ट्र के पंचायत चुनावों में काफी पीछे छोड़ दिया था।

उद्वव ठाकरे की शिवसेना तीसरे स्थान पर पहुंची। जनता ने भी सबक सिखाने का काम शुरू कर दिया है। अभी हाल उजागर हुये भ्रष्टाचार के मामले ने रही सही सत्ता की पोल खोल दी है। पंचायत चुनाव में 14202  सीटों में से भाजपा ने 6074  सीटों पर विजय हासिल की थी। 564 सीटों पर तो भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध चुने गये थी।

इस चुनाव ने शिवसेना के ग्रामीण पार्टी होने के दावे का गुब्बारा ही फोड़ दिया है। शिवसेना को हिन्दुत्व से दूर  जाकर मुस्लिम तुष्टीकरण का सहारा लेने मजबूर होना पड़ा। राज्य की जनता इन सब चीजों को बहुल ही गहरायी से देख रही है। इस पंचायत चुनाव ने शिवसेना और उसके साथियों के लिये खतरे की घंटी पहले ही बजा दी है।

वरिष्ठ लेख़क:- डॉ. किशन कछवाहा