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शीर्ष अदालत ने कहा-क्यूँ नहीं पूछते क्या जीसस बेथलेहम में पैदा हुए थे या नहीं?

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दुसरे दिन बुधवार को रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ट वकील के परासरन ने जिरह शुरू की. परासरन ने कहा, भगवान राम के समय में लिखी गयी वाल्मीकि रामायण में उनका जन्म अयोध्या में बताया गया है. जन्म का वास्तविक स्थान क्या था, इसको लेकर हजारों साल के बाद सबूत नहीं दिए जा सकते. लेकिन करोड़ों लोगों की आस्था है कि जहाँ अभी रामलला विराजमान हैं, वही उनका जन्म स्थान है. बुधवार को परासरन ने मंदिर पर हिन्दुओं के दावे को सही बताते हुए दलीले रखीं. गुरुवार को उनकी जिरह जारी रहेगी.

क्यूँ नहीं पूछते क्या जीसस बेथलेहम में पैदा हुए थे या नहीं?

रामलला विराजमान के वकील परासरन की जिरह के बीच ही पांच जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस एस. ए. बोबडे ने सवाल किया कि क्या कभी किसी और धार्मिक हस्ती के जन्म स्थान का मसला दुनिया की किसी कोर्ट में उठा? क्या कभी इस बात पर बहस हुई कि जीसस क्राइस्ट का जन्म बेथलेहम में हुआ या नहीं? परासरन ने कहा, मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है. मैं यह पता करके आपको बताऊंगा.

कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से मांगे सबूत

अखाड़े ने कहा- 1982 में डकैती में गायब हो गए दस्तावेज : 50 के दशक में विवादित स्थान पर सरकार के नियंत्रण से पहले उसे अपने पास बताने वाला निर्मोही अखाड़ा बुधवार को कोई सबुत नहीं दे पाया. कोर्ट ने अखाड़े के वकील से कहा कि आप मंदिर पर सदियों से अपना नियंत्रण होने की बात कह रहे हैं, सिविल विवाद के नियमों के मुताबिक़ आपको इसके लिए सबूत पेश करने चाहियें. निर्मोही के वकील सुशिल जैन ने कहा, 1982 में एक डकैती हुई थी जिसके चलते सारे दस्तावेज गायब हो गए थे, हमें इन्हें जुटाने में समय लगेगा. कोर्ट ने निर्मोही के वकील को सबूत लाने का समय देते हुए रामलला विराजमान के वकीलों को जिरह करने के लिए कहा.