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प्रवासी श्रमिकों के ‘चमत्कार’ ने सरकारी स्कूल का नक्शा बदल दिया

मध्यप्रदेश के सतना में क्वारंटीन किए गए प्रवासी श्रमिकों ने स्कूल का नक्शा ही बदल दिया। सतना जिले के जिगनहट ग्राम में श्रमिकों ने स्कूल की इमारत की पुताई कर उसे वंदे भारत एक्सप्रेस में बदल दिया। सोशल मीडिया पर लोग इसकी जमकर तारीफ कर रहे हैं।

सतना जिले अंतर्गत आने वाली उचेहरा जनपद की ग्राम पंचायत जिगनहट के श्रमिक रोजी-रोटी की तलाश में विभिन्न राज्यों में गए हुए थे। कोरोना वायरस के प्रभाव के कारण हुए लॉकडाउन में गांव के करीब 87 श्रमिक वापस लौटे। इन्हीं श्रमिकों में से 12 श्रमिकों ने स्कूल में अपनी अनूठी कला का प्रदर्शन कर पूरे देश में जिगनहट का नाम रोशन कर दिया है।

इन श्रमिकों ने 14 दिनों की क्वारंटाइन अवधि के दौरान क्वारंटाइन सेंटर शासकीय माध्यमिक शाला जिगनहट को वंदे भारत एक्सप्रेस का रूप दे दिया। लॉकडाउन में सतना वापस पहुंचने पर जिगनहट के श्रमिकों का परीक्षण करने के बाद गांव की ही शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में क्वारंटाइन किया गया था।

क्वारंटाइन किए गए श्रमिकों ने गांव के सरपंच उमेश चतुर्वेदी को अपनी कला के संबंध में बताते हुए कहा कि यदि रंग, पेंट तथा अन्य सामग्री उपलब्ध करा दी जाए तो हम स्कूल को नया रूप दे देंगे। सरपंच द्वारा सामग्री उपलब्ध कराने के बाद श्रमिकों ने स्कूल की रंगत बदलकर रख दी। इन श्रमिकों ने अपनी कला, लगन और मेहनत से स्कूल को जो स्वरूप दिया है, उससे यह स्कूल वंदे भारत एक्सप्रेस स्कूल के रूप में पहचाना जाने लगा है।

श्रमिकों के इस कार्य की प्रशंसा अब न केवल स्थानीय स्तर पर हो रही है, बल्कि मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग से लेकर देश भर में इसकी चर्चा है।

 

स्थानीय सरपंच व श्रमिकों की पहल को देख जिला पंचायत सीईओ ऋजु बाफना ने अन्य पंचायतों में भी इस प्रकार के प्रयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया है।

सरपंच उमेश चतुर्वेदी व रोजगार सहायक अनिल शुक्ला ने बताया कि जिला पंचायत सीईओ ऋजु बाफना द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देश के अनुसार शाला में यह नई पहल की गई है। श्रमिकों ने बताया कि क्वारंटाइन समय में वे एकदम फ्री थे। इस खाली समय का सदुपयोग कर स्कूल को वंदे भारत एक्सप्रेस की शक्ल देकर वे अपने आपमें गर्व महसूस कर रहे हैं। श्रमिकों के इस प्रयास की ग्रामीणों द्वारा प्रशंसा की जा रही है।

क्वारंटाइन अवधि 15 दिन में मुख्य पेंटर कृष्णा चौधरी ने सहयोगी श्रमिक शिवकेश तिवारी, अशोक विश्वकर्मा, रामकिशन यादव, सचिन चौधरी, राजेश दहिया, विनय पांडेय, श्रवण पांडेय, सुनील विश्वकर्मा, संतू गर्ग, रामलाल चौधरी व प्रदीप पटेल के साथ मिलकर अपनी कला से स्कूल का रंग-रूप बदल दिया। श्रमिकों के प्रयास से जिगनहट गांव का यह सरकारी स्कूल अब वंदे भारत एक्सप्रेस के रूप में अपनी पहचान बनाने लगा है।