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अन्यथा फिर बन जाएगा अयोध्या में बाबरी ढांचा…

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के संवेदनशील मुद्दे पर हिन्दू समाज को टुकड़ों में बांटने के लिए चल रहे राष्ट्रघातक षड्यंत्र से समस्त भारतीयों विशेषतया हिन्दुओं को सावधान रहने की आवश्यकता है। यदि यह षड्यंत्र सफल हो गया तो करोड़ों हिन्दुओं के आस्था-स्थल श्रीराम जन्मभूमि पर पुनः वही बाबरी ढांचा खड़ा कर दिया जाएगा जिसे हटाने के लिए गत 500 वर्षों में साढ़े चार लाख से ज्यादा हिन्दुओं ने अपने प्राणों की बाजी लगाई है।

इस षड्यंत्र को वही संत, राजनीतिक दल, पत्रकार और मुट्ठीभर विद्वान हवा दे रहे हैं जो अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए मोदी सरकार को किसी भी ढंग से उखाड़ फैंकने के इरादे पाले हुए हैं। देश, संस्कृति, धर्म, सामाजिक समरसता, सौहार्द और विकास इत्यादि विषयों को दरकिनार करके ये मोदी विरोधी तत्व फिर से उसी इतिहास को दोहराने पर आमदा हैं जिसकी वजह से हमारा राष्ट्र अनेक शताब्दियों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का विषय जिसने समस्त भारतीयों को जोड़ने का सफल प्रयास किया है, अब इसी विषय पर हिन्दुओं का बंटवारा करने के कुत्सित प्रयास भी प्रारम्भ हो गए हैं।

एक ओर जहां प्रयागराज में करोड़ों धर्मपरायण हिन्दु जातिवाद, मजहब तथा क्षेत्रीयता से ऊपर उठकर संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अपनी चिरसनातन भावनात्मक एकता का परिचय दे रहे हैं, वही दूसरी ओर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जैसे संत अपने कुछ समर्थकों के साथ श्रीराम जन्मभूमि के विषय पर अपनी अलग ढपली बजा रहे हैं। जाहिर है कि यह सारे प्रयास येन केन प्राकेण संघ, विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा सरकार को बदनाम करने के लिए हो रहे हैं।

जो तत्व श्रीराम मंदिर को शीघ्र बनाने के लिए मोदी सरकार को धमकियां, चुनौतियां और गालियां दे रहे हैं, इनसे जरा पूछा जाए कि पिछले 4 दशकों से चल रहे अयोध्या आंदोलन में इनका क्या योगदान रहा है? प्रश्न यह भी है कि यदि यह सरकार नहीं तो फिर कौन सी पार्टी या गठबंधन मंदिर निर्माण के लिए संकल्पबद्ध है? वास्तव में कथित धर्मनिरपेक्षता और अपने तथाकथित राम-प्रेम की आड़ लेकर कुछ संत और भाजपा विरोधी दल मंदिर आंदोलन को विफल करने पर जुटे हैं। इनसे सतर्क रहने के लिए राजनीति नहीं रामनीति की जरूरत है।

विश्व हिन्दू परिषद के प्रयासों एवं देश के विद्वान और राष्ट्रभक्त संतों के मार्गदशन में सम्पन्न हुई धर्मसंसद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक आदरणीय मोहन भागवत ने समस्त देशवासियों को आह्वान करते हुए बहुत ही नपी तुली संयमित भाषा में स्पष्ट कहा – ‘‘अयोध्या आंदोलन निर्णायक मोड़ तक पहुंच गया है, हमें रास्ता सोच समझ कर अपनाना होगा। कानून बनाने की मांग हमारी है और आगे भी जारी रहेगी—-राजनैतिक स्वार्थों के लिए देश में कपट युद्ध चल रहा है। हिन्दू समाज के बंटवारे का षड्यंत्र चलाया जा रहा है। हमें संभलना होगा और चेतना होगा—-हमारी एकता को तोड़ने के लिए अब सत्ता की भूखी ताकतें भगवा पहनकर हमारा रास्ता रोक रही हैं—-जनता के मन में भव्य राममंदिर का सपना है। हमें सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। यह समय हिन्दू धर्म के उत्थान का समय है, विजय का समय आ गया है। संघ यह काम पूर्ण करवाएगा, 4 से 6 माह का समय दीजिए—-’’

भारत की समस्त राष्ट्रवादी शक्तियों को इस समय एकजुट होकर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार को शक्ति प्रदान करनी चाहिए। यही सरकार अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। श्रीराम और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर भारत की एकता के सशक्त आधार स्तम्भ हैं। विघटनकारी शक्तियां इस आधार को तोड़ने के लिए प्रयासरत हैं। इन दिशाहीन शक्तियों के निशाने पर मोदी सरकार है।

कल्पना कीजिए कि यदि यह ताकतें अपने उद्देश्य में सफल हो गईं तो क्या होगा? साम्यवादियों, समाजवादियों, कांग्रेसियों, अनेक जनता दलियों के साथ माया/ममता का अनैतिक गठबंधन अपने-अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की जुगाड़ में है। यह हिन्दुत्व विरोधी शक्तियां एक सशक्त राष्ट्रवादी सरकार को गिराने में सफल न हों, इसी उद्देश्य के साथ आने वाले समय में समस्त भारतवासियों को संयम, धैर्य और आत्मबल के साथ एकजुट होकर तपस्वी राजनेता नरेन्द्र मोदी के साथ खड़े हो जाना चाहिए।