मध्यस्थता हुई फेल तो 25 जुलाई से रोज होगी राम मंदिर मामले पर सुनवाई
अयोध्या राम मंदिर मामले में मध्यस्थता के जरिए अगर विवाद को सुलझाने के प्रयास सफल नहीं हुए तो तो सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता की कार्यवाही बंद करके अपीलों की मेरिट पर मामले की सुनवाई करेगा। अगर जरुरत हुई तो 25 जुलाई से मामले की रोजाना सुनवाई भी की जाएगी। जैसा की ज्ञात है इलाहबाद हाईकोर्ट ने 2010 में राम मंदिर को तीन बराबर हिस्सों में बाँटने का आदेश दिया था। जिसमें से एक हिस्सा रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाडा और तीसरा हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड को देने का आदेश था। इस फैसले को हिन्दू और मुस्लिम सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में यह अपीलें 2010 से लंबित है और कोर्ट के आदेश से फिलहाल अयोध्या में यथास्तिथि कायम है। इसी बीच 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने विवाद को मध्यस्थता के जरिये सुलझाने के लिए भेज दिया था, अंतरिम रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था साथ ही कोर्ट ने इस पैनल की कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी प्रतिबन्ध लगाया था।
11 जुलाई को इस मामले में गोपाल सिंह विशारद द्वारा दाखिल याचिका की सुनवाई हुई। गोपाल सिंह विशारद राम जन्मभूमि विवाद में एक मूल वादकार भी हैं। विशारद ने अपनी याचिका में कहा है कि इस विवाद को निपटाने के लिए आठ मार्च को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी, लेकिन इसमें कोई प्रगति नहीं दिख रही। विशारद ने याचिका में कहा है कि शीर्ष अदालत मामले की जल्द सुनवाई करे।
विशारद ने याचिका में कहा कि मध्यस्थता कमेटी की अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं लेकिन हल निकलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही। इसलिए शीर्ष अदालत इस पर जल्द सुनवाई करे।
याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त जस्टिस एफ। एम। आई। कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली मध्यस्थता पैनल से 18 जुलाई तक प्रगति रिपोर्ट मांगी है। पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद ही कोर्ट 18 जुलाई को आगे का फैसला लेगा।
हिंदू पक्ष की तरफ से वकील रंजीत कुमार ने कहा है कि 1950 से ये मामला चल रहा है लेकिन अभी तक सुलझ नहीं पाया है। मध्यस्थता कारगर नहीं रही है इसलिए अदालत को तुरंत फैसला सुना देना चाहिए। पक्षकार ने कहा कि जब ये मामला शुरू हुआ था तब वह जवान थे, लेकिन अब उम्र 80 के पार हो गई है। लेकिन मामले का हल नहीं निकल रहा है।
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर ने की थी। अदालत ने कहा है कि अनुवाद में समय लग रहा था, इसी वजह से मध्यस्थता पैनल ने अधिक समय मांगा था। अब हमने पैनल से रिपोर्ट मांगी है।
Hearing in SC on plea for early hearing on Ayodhya land dispute case: Supreme Court asks the mediation panel to submit a detailed report by July 25, https://t.co/eKR8G7Lj5v