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इलाहाबाद उच्च न्यायालय – लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का धार्मिक हिस्सा नहीं, रोक सही

प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम निर्णय सुनाया. उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को लाउडस्पीकर से अजान पर निर्णय सुनाया. कहा कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है. यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है, परन्तु लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का धार्मिक हिस्सा नहीं है. न्यायालय ने कहा कि मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं. ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है. किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है. न्यायालय ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं. यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी व फर्रुखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है.

गाजीपुर जिला के डीएम ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर से अजान पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने इसका विरोध किया तथा उन्होंने रमजान माह में लाउडस्पीकर से मस्जिद से अजान की अनुमति न देने को धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी. मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करके सरकार का पक्ष पूछा था. और न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.

जब लाउडस्पीकर नहीं था तब भी होती थी अजान 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्णय में स्पष्ट कर दिया कि लाउडस्पीकर से अजान पर रोक सही है. जब लाउडस्पीकर नहीं था, तब भी अजान होती थी. उस समय भी लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए एकत्र होते थे. ऐसे में यह नहीं कह सकते कि लाउडस्पीकर से अजान रोकना अनुच्छेद 25 के धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है.

दूसरे को जबरन सुनाने का अधिकार किसी को नहीं

उच्च न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 21 स्वस्थ जीवन का अधिकार देता है. वाक व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी को भी दूसरे को जबरन सुनाने का अधिकार नहीं देती. निश्चित ध्वनि से अधिक तेज आवाज बिना अनुमति बजाने की छूट नहीं है. रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक स्पीकर की आवाज पर रोक का कानून है. न्यायालय के फैसले पर नियंत्रण का सरकार को अधिकार है.