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कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के सहयोग से ग्राम चौरई के राजेश सिंह ने मुर्गी पालन व्यवसाय को बनाया रोजगार का जरिया

जो कृषक खेती के साथ-साथ अन्य थोड़ा बहुत नया करने की ललक रखते हैं, उनके लिए कृषि विज्ञान केंद्र वरदान साबित हो सकता है. ऐसे उत्साही-जिज्ञासु युवाओं एवं भूमिहीन कृषकों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां स्वरोजगार का रास्ता दिखाता है. लाॅकडाउन के बाद अपने गांव लौटकर आने वाले प्रवासी कृषकों को कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां उनके रुचि अनुरूप प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर रोजगारोन्मुखी गतिविधियों से जोड़ रहा है. क्रमशः दिए जा रहे रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण के अन्तर्गत पिछले माह संचालित मुर्गी पालन के प्रशिक्षणार्थियों को उनकी इकाइयों की स्थापना के लिए प्रेरित किया जा रहा है

प्रशिक्षण उपरांत अपने गाँव में मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू करने वाले ग्राम चितहरा के राजेश सिंह अपनी जुबानी बताते है कि दीनदयाल शोध संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के तकनीकी सहयोग एवं मार्गदर्शन से मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू किया. मेरा नाम राजेश सिंह पिता कैलाश सिंह गांव चौरई, ग्रामपंचायत चितहरा का मूल निवासी हूं, मैं लॉकडाउन के पहले मुंबई के एक होटल में काम करता था, वहां मुझे 12000 रुपए प्रतिमाह मिलता था, उससे मैं अपने परिवार की आवश्यकता पूर्ति भरण-पोषण करके 5 से 6 हजार रुपए प्रतिमाह बचत कर लेता था. लेकिन कॉविड-19 (कोरोना वायरस) की वजह से होटल एवं सभी काम बंद हो गए, जिसकी वजह से मैं गांव वापस आ गया और शहर वापस कभी नहीं जाने का निश्चय किया लेकिन गांव में जीविकोपार्जन एवं आय का स्रोत नहीं होने के कारण जीवन यापन करने में समस्या आ रही थी, तब ही जानकारी मिली कि दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां द्वारा प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, तभी मैंने इस प्रशिक्षण में भाग लिया.

मुर्गीपालन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा दिया गया. जिसके पश्चात मैंने मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू करने का निश्चय किया. इस व्यवसाय को शुरु करने में कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां द्वारा आर्या परियोजना के अंतर्गत मुझे वनराजा प्रजाति की 50 चूजे, जाली, ग्रीन शेड नेट, ड्रिंकर एवं फीडर (चूजे के भोजन एवं पानी के बर्तन ) उपलब्ध कराया, जिससे मैं आज 300 वर्गमीटर मैं मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू किया हूं, इसके लिए मैं कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. राजेंद्र सिंह नेगी एवं सभी कार्यकर्ताओं के सहयोग के लिए मैं धन्यवाद देता हूं.