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बाल साहित्य रोचक एवं मनोरंजक हो

गद्य एवं पद्य दोनों ही विधाओं में लिखना बहुत ही आसान हो जाता है जब हम अपने आसपास होने वाली घटनाओं या अपने आस पास रहने वाले मित्र पालतू जानवर पर्यावरण पर अपने विचारों को कहानी या कविता के रूप में प्रस्तुत करते है। उन्होंने बच्चों से एक महत्व पूर्ण बात यह कही कि जिसतरह अपना मकान बनाने के लिए अपने प्लॉट होना आवश्यक है उसी तरह कविता और  कहानी के लिए भी अपना प्लॉट होना आवश्यक हैं। उन्होंने बड़ी सरलता से बच्चों को लिखने के गुड़ भी सिखाये।
कैसा हो बाल साहित्य” उक्त उद्गार बाल साहित्य महोत्सव के उद्घाटन में आए विशिष्ट अतिथि डॉ नागेश पांडे ने व्यक्ति किए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रीति प्रवीण खरे ” बाल साहित्य को 3 वर्गों में विभाजित करते हुए इसे शिशु साहित्य , बाल साहित्य एवं किशोर साहित्य के रूप में होने पर बल दिया बच्चों को नकारात्मकता के विरुद्ध डॉ  खरे  ने  बच्चों को प्रवेश उपलब्ध कराने और साहित्य को रोचक एवं मनोरंजक दृष्टि से बच्चों में अपनी जड़ों को जोड़ने की बात कही । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ दीनदयाल शर्मा  ने  अपने उद्गार में कहा कि  बच्चों को  हम बच्चों को हम इग्नोर न करें उनके साथ समय-समय पर  बातचीत कर  हम उन्हें समझे  वह बच्चे हमें समझे ऐसे प्रयास  पलकों को अवश्य ही करनी चाहिए  संवाद हीनता से बच्चे  माता पिता से दूर होने लगते हैं बच्चों में नैतिक मूल्य संस्कार विज्ञान के बारे में जानकारी देकर उन्हें जागरूक नागरिक बनाएं।  चम को बनाते हैं च अपने विचार व्यक्त करते हुए यह कहा निश्चित ही पहली बाल कुल्लू जंगली पिक्चर करते हुए बाल साहित्यकार कोई महिला ही रही होगी जिसने बच्चों को सुलाने जगाने दो लगाने के लिए लोरी या गीत की रचना की होगी उन्होंने यह भी कहा कि बच्चे ही यह तय कर सकते हैं कि बाल साहित्य कैसा हो हमारी संवेदनाएं कहां जा रही है या क्यों खत्म हो रही है और कैसे संवेदनाएं बचाई बचाई जा सकते हैं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम जिनके लिए यह साहित्य रचना कर रहे हैं स्वयं कैसे हो हमें इसका भी विचार करना होगा आर्थिक  प्रभाव में जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए संवेदना ही सफलता है आज की आपाधापी में आगे बढ़ने की संवेदना दिया है कटनी में पुस्तक मेला समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें साधुवाद व शुभकामनाएं दी उन्होंने बच्चों को अच्छा वातावरण नितांत आवश्यक है मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित  डॉक्टर कृष्ण कुमारअस्थाना उन्होंने आज के बाल साहित्य को युगा नुकूल राष्ट्रधर्म अनुकूल व युवा नुकूल बनाने के लिए बल दिया उन्होंने कहा कि आज के बच्चे वैज्ञानिक तरीके से भी सोच रखते हैं अतः उन्हें आज के परिवेश के हिसाब से साहित्य की ओर प्रेरित करना होगा उन्होंने जापान और इजराइल के लोगों का उदाहरण देते हुए राष्ट्र प्रेम सीखने की बात पर भी बल दिया श्री श्रीकृष्ण सरल जी की कविताओं का उल्लेख उन्होंने करते हुए यह कहा कि यदि हमें अच्छी फसल चाहिए तो अच्छा बीज बोना होगा उसकी अच्छी तरह से देखरेख भी करनी होगी ठीक यही बात डॉ राधाकृष्णन जो हमारे पूर्व राष्ट्रपति से उन्होंने भी कहीं और इसी तरह बच्चों को भी बहुत अच्छे और अच्छे विचारधारा के साथ में पोषित और करते हैं समाज के हित में कुछ सोच पाएंगे । संपूर्ण बाल साहित्य महोत्सव तीन अलग-अलग सत्रों में संपन्न हुआ जिसमें डॉ दीनदयाल शर्मा को राष्ट्र बंधु सम्मान से सम्मानित किया।
संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन श्री जगदीश गुप्ता एवं डॉ सुधा गुप्ता द्वारा किया गया उक्त कार्यक्रम साधु राम विद्यालय प्रांगण में स्थित डॉक्टर राष्ट्र बंधु साहित्य परिसर में संपन्न कराया गया
बाल साहित्य महोत्सव में विभिन्न प्रतियोगिताएं संपन्न कराई गई जिसमें निबंध लेखन काव्य लेखन एवं बच्चों की चौपाल में बढ़-चढ़कर बच्चों ने भाग लिया शाम को सांस्कृतिक संध्या में अनेक मनमोहक प्रस्तुतियां बच्चों द्वारा की गई
पुस्तक मेले के 23 दिसंबर को बाल साहित्य महोत्सव का समापन किया जावेगा जिसमें परिचर्चा प्रश्न मंच अंताक्षरी अन्य विभिन्न प्रकार के आयोजन संपन्न कराए जाएंगे विशेष आकर्षण के रूप में बाल कवि सम्मेलन की प्रस्तुति की जावेगी समिति के समस्त सदस्यों द्वारा नगर की जनता से अधिक से अधिक संख्या में समस्त कार्य को में उपस्थिति का आग्रह किया गया है