लोकहित ही पत्रकारिता का नारदीय सूत्र !
- जयराम शुक्ल मनुष्य चाहे दुर्जन हो या सज्जन, सत्य हमेशा उसकी आँखों में भटकटैया की भाँति गड़ता है। स्तुति...
- जयराम शुक्ल मनुष्य चाहे दुर्जन हो या सज्जन, सत्य हमेशा उसकी आँखों में भटकटैया की भाँति गड़ता है। स्तुति...
यों तो भोपाल के सप्रे संग्रहालय का नाम आते ही, पद्मश्री से सम्मानित एक ऐसे व्यक्तित्व का चेहरा हमारे सामने...
आज पत्रकारिता एवं मीडिया की भूमिका सर्वविदित है। प्रिंट, इलेक्ट्राॅनिक एवं वेब माध्यम के रूप में इसका स्वरूप बहुआयामी है,...
प्रख्यात कवि सुमित्रानन्द पंत ने कहा था -‘‘प्रेमचन्द ने नवीन भारतीयता एवं नवीन राष्ट्रीयता का समुज्जवल आदर्श प्रस्तुत कर देश...