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देश के खिलाफ खतरनाक साजिश उजगार…

तथा कथित 21 वर्ष की पर्यावरण कार्यकर्ता-छात्रा भारत तोड़ने वाली ताकतों का हिस्सा बनकर-टूलकिट तक कैसे पहुँची? वह वाट्सएप पर भारत विरोध ग्रुप में शामिल क्यों हुयी? अपराध तो अपराध है, वह भी देश द्रोह का। प्रियंका वाड्रा और दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल का इस मामले में कूदना, मामले को ज्यादा गम्भीर बनाता है।

किसान आन्दोलन से जुड़ी टूलकिट सोशल मीडिया पर साझा करने के मामले में उक्त पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को बैंगलूर से गिरफ्तार किया गया था। अब तक पूछताछ में यह भी खुलाशा हो सका है कि संबंधित टूलकिट दिशारवि, निकिता जैकब और शान्तनु ने बनायी थी और दूसरों के साथ शेयर भी किया।

Greta Toolkit Exposed After Disha Ravi Many More On Police Radar Greta Toolkit: 'आंदोलनजीवी' दिशा रवि के बाद कई और संदिग्ध रडार पर - News Nation

दिल्ली में 26 जनवरी को बड़े पैमाने पर हिंसा हुयी, 4 फरवरी को टूलकिट के बारे में जानकारी मिली। पुलिस के अनुसार दिशारवि ने यह डाक्यूमेंट क्लाईमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनवर्ग के साथ शेयर किये थे। इस टूलकिट के माध्यम से दुष्प्रचार करना डिजिटल स्ट्राईक करना, ट्विटर स्टार्म पैदा करना, लोगों में असन्तोष पैदा करना और किसान आन्दोलन को धार देना आदि मकसद पूरे किया जाना था।

इतना ही नहीं इसका उद्देश्य इस किसान आन्दोलन के प्रदर्शन को पूरी दुनिया में ले जाना और भारतीय दूतावासों को टारगेट करना था। इन उद्देश्यों को पूरा करने के उद्देश्य से गत 11 जनवरी को एक जूम मीटिंग आयोजित की गयी थी इस मीटिंग में दिशारवि, शांतनु और निकिता जेकब शामिल थे।

इस मीटिंग से खालिस्तान समर्थक पोयटिक जस्टिस (पहले से ही प्रतिबंधित संगठन) के एम ओ पालिवाल ने कनाडा के एक शख्स पुनीत के जरिये निकिता से सम्पर्क किया था। भारी असन्तोष पैदा करने की साजिश के तहत तैयार की गई इस किट को टेलीग्राम एप के माध्यम से भेजा गया था। किसे टैग करना है और क्या शेयर करना है।

इस टूलकिट में कई हाईपरलिंक हैं, जिसमें खालिस्तान से जुड़े कन्टेंट मौजूद हैं। पुलिस कि ये टूलकिट पब्लिक डोमेन में शेयर नहीं किये जाना थे। लेकिन गलती से शेयर हो जाने से भंडाफोड़ हो गया। साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिये बनाया गया था, व्हाट्सएप ग्रुप, जिसे बाद में
डिलीट भी कर दिया गया। पुलिस का कहना है कि टूलकिट बहुत स्मार्ट तरीके से बनाया गया था।

दिल्ली पुलिस ने जूम को लिखा पत्र, 26 जनवरी हिंसा मामले में जूम पर टूलकिट को लेकर हुई मीटिंग की मांगी जानकारीइसमें सभी डिटेल थे। पुलिस द्वारा यह भी दावा किया गया है कि इस टूलकिट में तिथिवार एक्शन प्लान ब्यौरे सहित विद्यमान है। इसमें 26 जनवरी को डिजिटल स्ट्राईक का उल्लेख भी है। इससे पहले 23 फरवरी को ट्वीट स्टार्म, इसके बाद 26 जनवरी को फिजिकल एक्शन की भी बात कही गयी है।

पुलिस का दावा है कि टूलकिट के दूसरे हिस्से में भारत की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की भी बातें कही गयी हैं, जैसे चाय और योग को और दुनिया के देशों में भारत के दूतावास को निशाना बनाने का जिक्र भी है। पुलिस ने बतलाया कि जैसा टूलकिट में उल्लेख है, उससे पता चलता है कि उसी किस्म का अमल करने की कोशिशें भी की गयीं थीं।

रिसोर्स में एक पाकिस्तानी आईएसआई जुड़े व्यक्ति का नाम भी सामने आया है। किसान आन्दोलन के बहाने अगर भारत विरोधी तत्व देश के खिलाफ किसी अभियान को सिद्ध करने के लिये कोशिश करते हैं, तो वह कृत्य देश के खिलाफ अभियान चलाये जाने की श्रेणी में आता है। टूलकिट उसी साजिश की तरफ संकेत दे रहा है।

ट्रेक्टर परेड के दौरान दिल्ली में और लाल किला पर हुआ उपद्रव और तोड़-फोड़ उद्योगपतियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान (जिसके कारण पंजाब हरियाणा में मोबाईल टावर तोड़े गये) आदि ऐसी बातें हुई हैं, जिनका जिक्र इस टूलकिट में है। विपक्ष के कई नेता एक्टिविस्ट दिशारवि की गिरफ्तारी को लेकर सरकार की निन्दा व उसे रिहा करने की माँग कर रहे हैं,

उससे लग रहा है, कि वे देश की सुरक्षा के मामले में न तो अपनी जिम्मेदारी समझते हैं न ही संजीदा है। यह आश्चर्य जनक हैं कि देश में विपक्ष की ओर से सरकार के हर कदम का विरोध करना ही मुख्य उद्देश्य बन गया है, अब इस बात का भी ख्याल रखना आवश्यक हो गया है कि सोशल मीडिया राष्ट्रविरोधियों का हथियार न बन सके।

इस गम्भीर साजिश के उजागर होने के बाद भी कांग्रेस तरनाक साज़िश उजागर नेता राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, शशि थरूर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा षड़यंत्रकारी गिरोह के कतिपय गिरफ्तार किये गये लोगों की रिहाई के लिये केन्द्र सरकार पर निशाना साधा जाना-कुछ ऐसा संकेत दे रहा है,

जिससे इन नेताओं की न संलिप्तता पर कहीं न कहीं अंगुली ने उठने की सम्भावना नजर आने लगी हो। यह तो समय ही तय करेगा। आखिर इन लोगों द्वारा देश के मे खिलाफ षड़यंत्र रचने वालों का पक्ष क्यों लिया जा रहा है? दिल्ली में सरेआम 25 वर्षीय रिंकु शर्मा की हुयी जघन्य हत्या पर अरविन्द केजरीवाल के मुंह से सहानुभूति का एक शब्द भी नहीं निकल सका,

वहीं देश के खिलाफ षड़यंत्र में शामिल दिशारवि की गिरफ्तारी पर आंसू बहाये जा रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि न टूलकिट साजिश में पीटर फेड्रिक का नाम भी आया है। पीटर आतंकी भजनसिंह के साथ देखा गया है। टूलकिट की जांच आगे बढ़ने के साथ-साथ खालिस्तानियों और पर्यावरण का बहाना लेकर भारत विरोधी ताकतें तरीके से नुकसान पहुंचाने की साजिश रच रहे हैं,

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का पर्दाफास भी होता जा रहा है। किसानों के प्रति हमदर्दी के बहाने ये कृषि कानूनों का विरोध करने वाली जमाते जिसमें ये तथाकथित पर्यावरण हितैषी भी शामिल हैं, चाहते हैं कि उन्हें (किसानों को) बेरोकटोक पराली जलाने की सुविधा मिले। अब तक जो निष्कर्ष सामने निकलकर आया है, वह और इनका इरादा मात्र खालिस्तानी तत्वों की मदद करना और उनके इशारे पर भारत को बदनाम करने वाले अभियान को गति देना है।

इस स्थिति को और स्पष्ट करने के लिये कुडनकुलभ में परमाणु संयंत्र के खिलाफ चलाये गये (पर्यावरण रक्षा के नाम पर) आन्दोलन पर ध्यान देना होगा। इसके पीछे और अन्य परियोजना के खिलाफ चलाये गये आन्दोलनों में भी विदेशी संगठनों का हाथ पाया गया था। खुफिया ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार कई गैर सरकारी संगठन पर्यावरण की रक्षा का आश्रय लेकर विदेशों से धन प्राप्त करके भारत की विकास से जुड़ी योजनाओं का विरोध करते हैं।

ऐसा सम्भव है कि पर्यावरण, मानवाधिकार आदि के नाम पर ये तमाम तत्व देश विरोधी ऐजेंडे को समर्थन दे रहे हों, इन संगठनों की और इनसे जुड़े कार्यकर्ताओं की गम्भीरता से जांच-परख की जाय। ताकि इनकी वास्तविकता सामने आ सके। कनाडा में बैठे खालिस्तानी कर्नाटक की दिशारवि, महाराष्ट्र की निकिता और शान्तनु को अपने भारत विरोधी एजेंडे का मोहरा बनाने में कैसे कामयाब हो गये यह इसी बात का संकेत हैं

कि ये सब ऐसी गतिविधियों में गत लम्बे अर्से से जुड़े रहकर अपने पाड यांत्रिक अभियान को सफलतापूर्वक चलाते रहे होंगे और जाने जाते हैं पर्यावरण हितैषी के रूप में। क्या ये इतने नादान हैं कि देश विरोधी एजेन्डे को सरलता से स्वीकार कर लें और उसे कामयाब बनाने में जुट जायें। दिल्ली पुलिस का मानना है  कि टूलकिट साधारण प्रकरण नहीं,

वरन् भारत को बदनाम करने का एक मसौदा था और दिशारवि इस साजिश से जुड़े समूह का हिस्सा है। उसे पूरी जानकारी थी। इसीलिये उसने खतरे को भांपते हुये सभी चैट और मेल डिलीट कर दिये। प्रश्न यही उठता हे कि वह गलत नहीं थी तो साक्ष्य नष्ट क्यों किये? लगातार बढ़ती आतंकी साजिशों को हवा क्यों दी जा रही है?

गत 16 फरवरी को कश्मीर के शोपियां से गिरफ्तार लश्कर-ए-मुस्तफा के चीफ कमाण्डर हिदायतुल्ला मलिक ने पूछताछ के दौरान एक बड़ा खुलाशा कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन जेश-ए-मोहम्मद ने दिल्ली को दहलाने की साजिश रची थी। इसके लिये उसने अनेक महत्वपूर्ण स्थानों की रैकी की थी।

आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और तहरीक-उल-मुजाहदीन के अहमद इट्ट और उबेद अमीन मलाह को भी आपत्तिजनक सामग्री सहित सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार किया है। कश्मीर में सक्रिय आतंकी बिहार से हथियार खरीद रहे हैं। उज्जैन में कट्टरवादी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के गत बुधवार को आयोजित 14वें स्थापना दिवस के अवसर पर नागौरी क्षेत्र में हुयी।

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सभा को सम्बोधि त करते हुये अभा, इमाम कौंसिल के महासचिव मुफ्ती हनीफ अहरार ने जिस प्रकार हिन्दुओं के संगठनों (आरएसएस सहित) के खिलाफ वैमनस्यता और घृणा फैलाने वाला भाषण दिया और कहा कि पी.एफ आई. हिन्दुओं के खिलाफ मुकाबले के लिये तैयार हैं।

मुफ्ती ने आर.एस.एस. को निशाना बनाया था। अनेक स्थानों पर (PFI) पी. एफ.आई. के झंडे भी फहराये गये। क्या ऐसी तकरीरों का सामान्य अभिव्यक्ति के अधिकार के अंतर्गत मानकर नजर अंदाज किया किया जा सकता है।

इनके लेखक है:- डॉ. किशन कछवाहा

      संपर्क:- 9424744170