बालासोर रेल हादसा: किसी बड़े रास्ट्रीय षड्यंत्र की आहट…

– डॉ नितिन सहारिया
उड़ीसा के बालासोर में 2 जून 2023 को हुआ भीषण रेल हादसा कोई संयोग नहीं वरन् देशद्रोही जिहादि शक्तियों का सुनियोजित षडयंत्र है। रेल मंत्रालय द्वारा बालासोर दुर्घटना की जांच सी. बी. आई. को सौंपा जाना इस बात की ओर स्पष्ट संकेत करता है कि यह दुर्घटना प्राकृतिक नहीं वरन कृतिम प्रयोग है। कोई भी ट्रेन स्वतः ही अपना ट्रेक चेंज नहीं करती है। उसे सिग्नल दिया जाता है अथवा लीवर से दूसरे ट्रैक पर डाला जाता है। स्टेशन मास्टर शरीफ 3 ट्रेन की दुर्घटना के बाद से गायब है। लूप लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी, कोरोमण्डल एक्सप्रेस को थ्रू पास का सिग्नल दिया गया था फिर सिग्नल कैंसिल किया गया। एक ऐसा सवाल जो पूरा राष्ट्र जानना चाहेगा कि चलो सिग्नल कैंसिल किया, पर ट्रेन लूप लाइन पर कैसे गई ? जब लूप लाइन पर पहले से ही मालगाड़ी खड़ी हुई थी?
एक लाइन से ट्रेन को दूसरी लाइन पर डालने के लिए कैंची डाली जाती है जिसे लिवर के माध्यम से बदला जाता है तब ही ट्रेन एक लाइन से दूसरी लाइन पर शिफ्ट होगी यदि रेलवे कर्मी लिवर चेंज नही करेगा तो गाड़ी अपने सीधे ट्रैक पर चलती रहेगी इस 3 गाड़ियों के एक्सीडेंट का रहस्य लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी के ही लूप लाइन पर जाकर 128 किलोमीटर प्रति घण्टे की स्पीड से टकराई कोरोमण्डल एक्सप्रेस। डबल ट्रैक पर अप व डाउन ट्रैक होते हैं लूप लाइन हर स्टेशन पर एक्सट्रा लाइन होती है जो मुश्किल से दो किलोमीटर के आसपास होती है। जब कोरोमण्डल एक्सप्रेस मालगड़ी से टकराई तो हादसा इतना भीषण था कि कोरोमण्डल एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी के डब्बे पर चढ़ गया। कोरोमण्डल एक्सप्रैस के 13 डब्बे छतिग्रस्त हुए।
देश ये मानकर चले ये ट्रेन कोई हादसा नही बल्कि सोची -समझी साजिश है। “बाड़ ही खेत को खा गई” ट्रेन को सिग्नल देकर सिग्नल कैंसिल साजिश की बू फिर सिग्नल कैंसिल हो गया पर ट्रेन पटरी बदलकर अपने आप तो लूप लाइन पर नही गई। रेलवे कर्मचारी ने ही उसे लूप लाइन पर लिवर के जरिये शिफ्ट किया होगा न।
अगर ट्रेन सिग्नल कैंसिल के बाद सीधी अपने ट्रैक पर सिग्नल से गाड़ी क्रॉस हो चुकी थी या तेज स्पीड के कारण ट्रेन सिग्नल कैंसिल के बाद भी आगे बढ़ी ये अलग विषय है सवाल तो ये है कोरोमण्डल एक्सप्रेस लूप लाइन पर शिफ्ट नही होती तो मालगाड़ी से नही टकराती और बंगलोर से हावड़ा जाने वाली ट्रेन अपने अपने ट्रैक पर आगे बढ़ जाती क्योंकि सिंगल लाइन ट्रैक नही डबल लाइन ट्रैक था मालगाड़ी सेफ लूप लाइन पर खड़ी थी।
यह 3 ट्रेनों का एक्सीडेंट कोई हादसा नही ,कोई लापरवाही नही जानबूझकर स्टेशन मास्टर शरीफ जो फरार है; लूप लाइन पर ‘कोरोमण्डल एक्सप्रेस’ को पहले से खड़ी मालगाड़ी के लूप लाइन पर डालकर ये एक्सीडेंट किया गया। जांच में सब चेहरे बेनकाब होंगे अगर स्टेशन मास्टर शरीफ की संलिप्ता उजागर होती है तो ये “बाड़ के द्वारा खेत खाने” की कहावत चरितार्थ हो जाएगी।
असली बात तो ये है कि आखिर देश में यह सब चल क्या रहा है? आखिर कौन देश को छ्ल रहा है? देश में इस दौर में जगह-जगह सदयंत्र, हिंसा, ब्लात्कार, धर्मांतरण, लव जिहाद- जघन्य ह्त्या इत्यादि आमनवीय कृत्य होते दिखाई देते हैं ; तो दुसरी और नक्सली साजिस हो रंही हैं। इक तरफ चीनी माओबाद देश के वनांचल क्षेत्रों के हमारे भोले-भाले वनवासि वन्धुओ को देशद्रोह साजिस मे सामिल कर हिंसा करा रहा है। अभी कुछ दिन पूर्व की मणिपुर हिंसा/दंगा भी इसी सदयंत्र की एक कड़ी मात्र ही है। आकड़े बतला रहे हैं की देस के वर्तमान में 300 जिले नक्सलाईड एवं लगभग 200 जिलों मे हिन्दु अल्पसंख्यक हो गए हैं । देस के विद्वान वक्ता पुश्पेन्द्र कुलश्रेठ के कथनानुसार वर्तमान भारत मे छोटे-छोटे लगभग 600 पकिस्तान बन चुके हैं । देस में लगभग 10 -15 करोड़ बंगलादेशी घुसपैठिये अलग घुसे हुये हैं जो देश की 80 फीसदी वारदातों मे शामिल हैं। ऊपर से चीनी सदयंत्र जो देस की प्रगति मे मोदी सरकार के सामने अड़चनें जैसे – किसान आन्दोलन, राफेल विवाद,SC-ST मसला, खालीस्तानी सदयंत्र, राहुल के द्वारा विदेशों में भारत की बदनामी सो अलग। जरा विचार किजीए वर्तमान भारत कितनी रास्ट्रीय- अंतरास्ट्रीय व वाहा आन्तरिक चुनौतियों से जूझ रहा है।
स्वामी विवेकानंद जी ने “भारतवर्ष के पतन के चार कारण” बताए थे –
1. आत्मविस्मृति
2. राष्ट्रवाद का अभाव
3. समाज में संगठन का अभाव
4. छुद्र विचार/हीन मानसिकता
यदि सूक्ष्म द्रस्टी से अवलोकन करें तो आज देस के पतन मे यही चारों कारण (factor) दिखाई देते हैं। ‘स्व’ का बोध न होना यानी आत्मविस्मृति ही तो है न। देस के अधिकांश व्यक्ति आज रास्ट्रवोध से हीन होकर, पार्टीवाद से ग्रसित होकर रास्ट्र के ही विरोध में खड़े हैं। तीसरा फेक्टर देस का समाज अनेको हिस्सों मे टूटा हुआ है जैसे- जातिवाद, वर्ग, पंथ, प्रान्त, सम्प्रदाय, विचार इत्यादि। चौथा घटक हीन मानसिकता के चलते व्यक्ति “मै और मेरा” में लगा हुआ है अत: रास्ट्र के बारे में, “वसुधैव कुटुंबकम” के वारे में सोच ही नहीं पा रहा है। उसे देश व समाज की पीढ़ीयों के भविष्य की चिंता ही नहीं है। आज व्यक्ति का चिंतन एकाकी अथवा स्वार्थी हो गया है, इसके चलते देश का भेड़ा गर्क हो रहा है।
जरा इतिहास पर दृस्टिपात करें तो जो स्तिथि आज देश के हिस्सों की है वही स्तिथि कभी अफगानिस्तान, पर्सिया, बंग्लादेस, म्यांमार, इत्यादि की भी रही थी और परिणाम हमारे सामने है कि वह देस से अलग हो गये। अर्थात “हिन्दु घटा- देस बटा” आज परिवर्तन/चुनौतियों के महान क्षणों से भारत गुजर रहा है। ऐसे मे कोई भारत माँ का बेटा, आर्यावर्त/ऋषियों की सन्तान भारत माँ की पीडा/पुकार को कैसे अनसुना कर सकता है। अत: जिनके दिलों में रास्ट्र बसता है,जो जीवन्त हैं, प्राणवान है, वह देस की संकट की घड़ी में अपना दायित्व निभाने आगे आयें… आज इतिहास पुरुष बनने, इतिहास पन्नो मे स्वर्णिम अक्षरों मे नाम लिखाने की बेला आई है…
!! उतिष्ठ भारत , जागृत भारत !!