आज नागपंचमी है और महादेव के प्रिय नाग एवं गण “वासुकी नाग” के बारे में और उन्होंने विशुद्ध चक्र में वासुकी को क्यों रखा?
कश्मीर में “अनंतनाग” (शेष नाग) भगवान् विष्णु के प्रिय नाग के राज्य का भी मुक्ति दिवस है.. तो आज प्रियजनों ने नागों और उनके महत्व पर प्रकाश डालने को कहा है. और इसके वैज्ञानिक तथ्यों पर भी प्रकाश डालने को कहा है.
यह भी सत्य है कि नाग के ध्यान किये बिना कुण्डलिनी जागरण असंभव है. क्योंकि कुण्डली हमारे शरीर में नाग स्वरुप में ही विद्यमान है. तो ॐ नम: शिवाय के साथ प्रारंभ करता हूँ वैज्ञानिक तथ्य है कि नाग mother nature अर्थात पृथ्वी पर लेटा हुआ सर्वाधिक स्पर्श करता है इसलिए अतिसंवेदनशील होता है. यह तथ्य शिव ने जाना और कुण्डली जागरण कर विशुद्ध में जहर को रोक लिया.
अब जीव विज्ञान कहता है कि प्राणियों के निर्माण में एक connecting link है वैंसे लेमार्क +नव लेमार्क वाद और theory of mutation याने उत्परिवर्तन वाद भी. याने सर्प मानव होते थे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है और भारत में नागवंशियों के राज्य. और नाम नागपुर +नागदाह +अनंतनाग +शेषनाग +नागालैंड जैंसे सैकड़ों नाम नाग पर ही हैं.
इसलिए ये भी सत्य ही है कि. हिम युग के समय कश्मीर बर्फ से आच्छादित और पिघल रहा था तभी ऋषि कश्यप ने सती के साथ मिलकर एक राक्षस को पराजित कर दिया था और कश्मीर पर कश्यप ने अपना राज्य आरंभ किया. दो पत्नियों क्रमशः कद्रु और वनिता में से. कद्रु ने पुत्रों के रूप में हजारों पुत्रों का आशीर्वाद मांगा और फलीभूत हुआ वो सर्प मानव के रूप में थे. उनमें 8 प्रमुख थे जिनमें 5 सर्वप्रमुख थे. अनंत (शेष) +वासुकी +तक्षक +कर्कोट्क (कश्मीर में कर्कोट वंश इन्ही का द्योतक है) +पिंगला. अनंत (शेष नाग) के अनंत सिर हैं और सृष्टि के विनाश के समय शिव के आशीर्वाद से वही शेष रहेगा इसलिए शेषनाग कहा जाता है.
जब गरुड़ सभी नागों का वध कर रहे थे तब वासुकी ने शेषनाग को यह सलाह दी और वासुकी स्वयं महादेव की सेवा में चले गये. इन्हीं नागों ने ही सर्वप्रथम शिवलिंग पूजा आरंभ की थी. पर वासुकी ही नागराज क्यों बने? और शिव के विशुद्ध में कैंसे आए? आइए थोड़ा जानतें हैं।
एक समुद्र मंथन के समय वासुकी ने रस्सी की जगह स्वयं रखा और घर्षण के कारण घायल हुए उसके उपरांत महादेव ने जब जहर ग्रहण किया तब वासुकी ने अपने सभी नागों के साथ महाकाल के साथ जहर का अल्पांश ग्रहण किया इसलिए शिव के प्रिय हो गये.
शरीर में 114 होते हैं जिनमें 7 प्रमुख हैं शिव ने वासुकी के सहयोग से 114 चक्र जाग्रत किये. वासुकी ने शिव के विशुद्ध में स्थित जहर के प्रभाव कम करने के लिए गले में धारण करने के लिए आग्रह किया. महादेव ने अनुमति दे दी. महादेव वासुकी से अति प्रसन्न रहते हैं. यहाँ तक कि जब महादेव विवाह करने जा रहे थे तो अपने श्रृंगार की जिम्मेदारी वासुकी को दी. और अंत में श्रृंगार को बढ़ाने के लिए स्वयं तैयार होकर शिव के गले में लिपट गये.
एक युद्ध में शिव के धनुष पिनाक की डोरी टूटने पर डोरी के रुप में वासुकी ने भूमिका अदा की. वहीं वासुकी ने तक्षक को भी बचाया. तक्षक ने परीक्षित को मार डाला था क्योंकि शमीक ऋषि के कारण ऋंगी ने शाप दिया था. परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने तक्षक नागों के वध के लिए “नागदाह” यज्ञ करवाया. तब एक ही तक्षक बचा जिसे भी वासुकी ने अपनी बुद्धि के प्रयोग से बचा लिया आस्तीक नामक ब्राम्हण की सहायता से।