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समानता और अधिकारों के साथ नारी शक्ति

या देवी सर्वभूतेषू शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

भारत की आध्यात्मिक धरती पर देवता, मानव और उनमें सर्वोपरि है आदिशक्ति का स्थान। देवता भी जिनके आगे नतमस्तक है। मातृशक्ति की महानता का पर्व है नवरात्रि और देवी भगवती की उपासना का उत्सव है, नवदुर्गा की आराधना के नौ दिन। हर साल भारतभूमि में और भी उत्साह से यह पर्व मनाया जाता है। बंगाल में दुर्गा पूजा का महत्व देखने तो अनेक विदेशी सैलानी आते हैं। ऐसा ही गुजरात में होने वाले नवरात्रि पर्व के लिए पूरे देश ही नहीं विदेश से लोग गरबा में शामिल होने आते हैं। अखंड ज्योति जलाने का यह पर्व बहुत ही शक्तिसम्पन्न माना जाता है। इसमें लोगों के मन में सात्विक विचार और आध्यात्मिक शक्ति दोनों ही परिलक्षित होती है। शक्ति की आराधना का यह काल देश में बहुत ही  संयम का काल कहा जाता है। शक्ति की साधना बहुत कठिन है और ऐसे देश की शक्ति ने अपने आप को साध कर देश का नया स्वरूप प्रदान किया है। वैसे भी किसी भी देश अथवा साम्राज्य की संस्कृति, सभ्यता और परंपरा को संरक्षित करने और हस्तांतरित करने का जिम्मा उस स्थान की मातृशक्ति के हाथ में होता है। भारत में यह काम बहुत काल से महिलाएं सशक्त रूप से करती चली आ रही है।

वर्तमान में महिलाओं की स्थिति और सशक्तिकरण की बात करें तो यह साल बहुत अद्भुत है। इस वर्ष देश के सर्वोच्च पद पर ग्रामीण भारत और आम नागरिक का प्रतिनिधित्व करने वाली श्रीमति द्रोपदी मुर्मू ने कमान संभाली। उड़ीसा के एक गांव से निकलकर सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़कर उन्होंने राष्ट्रपति पद की बागडोर अपने हाथों में थामी है। देश के लिए सौभाग्य का विषय है कि हमारे देश में ना सिर्फ दुर्गा की पूजा की जाती है बल्कि उन्हें उनके अधिकार भी दिए जाते हैं। देश में वित्त मंत्री भी महिला है।

मध्यप्रदेश के पंचायत और नगर निगम चुनावों में महिलाओं का वर्चस्व समानता की अलख जगाता है। नव दुर्गा की उपासना नाम की नहीं है। ऐसे ही देश का नाम रौशन करने वाली अनेक खिलाड़ी दुर्गा स्वरूपों ने पदक जीतकर देश को अग्रिम पंक्ति में खड़ा किया है। मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में स्वर्ण पदक, कुश्ती में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट ने स्वर्ण जीता है। ऐसे ही टेबल टेनिस में भाविना पटेल, बाॅक्सिंग में नीतू गंगा ने स्वर्ण जीता है। बैडमिंटन में पीवी संधु ने स्वर्ण और मिक्स में रजत पदक प्राप्त किया है। बाॅक्सिंग में निकहत जरीन का स्वर्ण और श्रीजा अकुला ने टेबल टेनिस डबल में स्वर्ण पदक जीता है। लाॅन बाल्स जैसे नवीन खेल में भी नयामोनी सेकिया, पिंकी सिंह, लवली चैबे और रूपा रानी टिर्के ने स्वर्ण पदक जीता है। भारोत्तोलन में बिंदिया रानी ने रजत और सुशीला देवी ने जूडो में रजत पदक प्राप्त किया। ऐसे ही देश की महिला क्रिकेट टीम ने रजत जीता है। विश्व इकानाॅमिक फोरम के सर्वेक्षण के अनुसार भारत लैंगिक अंतर को मिटाकर आगे की ओर बढ़ा है।

देश में 2022 में महिलाओं की स्थिति को देखें तो 250 बड़ी कंपनियों का सर्वें किया गया तो ज्ञात हुआ कि इनमें  सीईओ और सीएफओ जैसे पदों पर महिलाओं की संख्या बढ़ी है। इनमें 55 प्रतिशत महिलाएं हैं। यह आंकड़ा विश्व के हिस्से का 24 प्रतिशत है। इस साल यह आंकड़े महिला समानता की ओर इशारा करते हैं। वर्तमान में लोकसभा में 81 महिला सांसद है। ऐसे ही राज्यसभा में भी महिलाओं की संख्या पिछले सालों की तुलना में बढ़ी है। देश की कैबिनेट में 11 महिलाएं हैं जो देश के लिए निर्णय लेने वाली स्थिति में हैं।

मातृशक्ति की समानता और अधिकारों की बात करें तो हमारे देश में स्थिति अन्य देशों की तुलना में ठीक है। वर्तमान में पश्चिम के देश जिस प्रकार की पारिवारिक विघटन के हालातों और तनावों को झेल रहे हैं, उससे हमारा देश बचा हुआ है। इसका कारण है हमारे परिवार की धुरी महिलाएं हैं। देश में सदैव से महिला शक्ति को आधिकारिक रूप में माना गया है। इस कारण हमारे देश की परंपरा और संस्कृति अक्षुण्ण है।

डाॅ. सोनाली नरगुंदे