”हिंद की सेना ने आज से पाकिस्तानी सेना का मुँह तोड़ना शुरु किया था”

“जय जवान का नारा बुलंद हुआ” राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एवं थल सेनाध्यक्ष जनरल जे.एन.चौधरी के नेतृत्व में सन् 1965 के युद्ध में पाकिस्तान (युद्ध के जिम्मेदार अयूब खान, मूसा खान एवं टिक्का खान) के विरुद्ध, भारतीय सेना ने पंजाब फ्रंट खोल दिया – आपरेशन जिब्राल्टर की धज्जियाँ उड़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर, लाहौर की ओर कूच किया। वर्ष के नौवें महीने का छठा दिन देश के इतिहास में सेना के शौर्य की याद दिलाता है। पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर (Operation Gibraltar) का भारतीय सेना (Indian Army) ने 6 सितंबर 1965 को मुंहतोड़ जवाब दिया था।
ऑपरेशन जिब्राल्टर पाकिस्तान की जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की रणनीति का कोड वर्ड था। जो भारतीय शासन के खिलाफ विद्रोह शुरू करने के लिए किया गया था। सफल होने पर, पाकिस्तान को कश्मीर पर नियंत्रण हासिल करने की उम्मीद थी लेकिन उसके लिए यह अभियान एक बड़ी विफलता साबित हुआ। इसके जवाब में 6 सितंबर 1965 को भारतीय सैनिकों ने कार्रवाई की।
अंतत: युद्ध छिड़ा और उसमें भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। पाकिस्तान के आपरेशन डेजर्ट हाक की कमर पहले ही तोड़ दी थी और आपरेशन ग्रेंड स्लेम को भी ध्वस्त कर दिया। 23 सितंबर को पाकिस्तान ने पूर्ण रुप से घुटने टेक दिए। भारत ने पाकिस्तान के 1500 वर्ग मील (3885 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था, जबकि पाकिस्तान ने 210वर्ग मील (648 वर्ग किलोमीटर) का असत्य दावा किया, परंतु 11 जनवरी 1966 में ताशकंद समझौते के चलते भारत ने पाकिस्तान को भूमि वापस कर दी। यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु आज भी रहस्यमयी है।
सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री अडिग थे की भूमि तभी वापस होगी जब पाकिस्तान कश्मीर अधिकृत क्षेत्र भारत को समर्पित करेगा तथा और भी बहुत कुछ था। परंतु ये बात कुछ वंशानुगत शासकों को रास नहीं आई, इसलिए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का बलिदान हुआ।
जय हिंद की सेना,जय हिंद,जय भारत