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डॉली की कहानी….

रोटी का ऋण

डॉली के घर में एक श्यामा गाय थी। उसका दूध बहुत स्वादिष्ट रहता था। प्रतिदिन सुबह-सवेरे जैसे ही गाय का दूध दुहा जाता, वैसे ही तुरत डॉली की माँ बच्चों को आवाज लगाती, बच्चों श्यामा ने तुम लोगों के लिए मीठा-मीठा दूध दिया है। जल्दी से आओ, दूध पियो, बुद्धिमान व ताकतवार बनो। ये प्रतिदिन का नियम था।

श्यामा दूध देने के बाद मोहल्ले में टहलती रहती थी। लगभग मोहल्ले के सभी लोगों की वह मित्र थी। जिसके घर के सामने से निकलती वही उसे बुलाकर रोटी खिला देता था। डॉली जब मोहल्ले के लोगो से अपनी श्यामा की तारीफ सुनती तो बहुत प्रसन्न हो जाती, और श्यामा के गले में हाथ डाल कर झूलने लगती। फिर कहती श्यामा, तुम बहुत अच्छी हो, तो श्यामा भी अपना सिर हिलाती और प्यार से डॉली के सिर को अपने मॅुह से रगड देती। समझदार तो इतनी अधिक कि बस पूछो ही नहीं।

एक बार की बात है, मोहल्ले की एक पतली सी गली में एक पति-पत्नि रहते थे। बहुत वर्षो बाद उनके यहाँ एक संतान का बेटे के रूप में जन्म हुआ। जिसका बहुत ही प्यार से उन लोगों ने ”अनमोल” नाम रखा था। अनमोल जो कि अब लगभग 2 वर्ष का हो चुका था। श्यामा को अनमोल के माता–पिता उसके हाथ प्रतिदिन रोटी खिलवाते थे। श्यामा भी बडे प्रेम से अनमोल से रोटी खाती थी। जब अनमोल श्यामा के सिर पर हाथ फेरता तो वह बहुत ही खुश हो जाती थी।

एक दिन की बात है मोहल्ले में श्यामा प्रतिदिन की भॉंति घूम रही थी, वह घूमते-घूमते अचानक लगभग कूदती हुई अनमोल के घर के ठीक नीचे खडी हो गयी। तभी लोगों ने देखा कि अपने घर की पहली मंजिल के छज्जे से अनमोल नीचे गिर रहा था। गिरते हुए अनमोल को श्यामा ने अपनी पीठ पर ले लिया। तब तक अनमोल के माता-पिता एवं मोहल्ले के लोग भी एकत्रित हो गये। अनमोल के गाय की पीठ से धीरे से सरक कर सड़क पर आते ही लोगों ने उसे गोद में उठा लिया। हैरानी की बात थी कि अनमोल को एक खरोंच भी नहीं आयी, न ही वह गिरने के बाद रोया बल्कि वह हँस रहा था। उसके माता-पिता ने उपस्थित सभी लोगों से कहा आज श्यामा ने मेरे बेटे को नया जीवन दिया उसकी मृत्यु को रोककर।

वह शाम को डॉली के घर अनमोल के साथ आये और डॉली के पिताजी से अनमोल के गिरने की घटना विस्तार से बतायी फिर बोले आपकी श्यामा गाय ने मेरे घर का चिराग बुझने से बचाया, हम आभारी हैं श्यामा के। 13 दिन बाद दशहरे का विजयादशमी पर्व था।

दोपहर में श्यामा ने अचानक से सबकुछ खाना पीना छोड दिया और शाम को उसने प्राण त्याग दिये। पूरा मोहल्ला श्यामा की अचानक मृत्यु से दु:खी था। सभी कह रहे थे देखो श्यामा गाय ने कैसे अनमोल प्राणों की रक्षा की थी। डॉली के घर श्यामा को अंतिम विदाई देने सभी एकत्रित हुए।

अनमोल के माता-पिता जी के ऑंखो से झर-झर ऑंसू गिर रहे थे, थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वह बोले आज हमें ये अच्छी तरीके से समझ में आ गया कि गाय को रोटी, गाय की सेवा एवं गाय की पूजा भारतीय संस्कृति में क्यों कही गयी है। हम जीवन पर्यन्त श्यामा के ऋणी रहेंगे।

कहानीकार – डॉ. वंदना गुप्ता
संपर्क सूत्र – 9425656292