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इस बार कश्मीरी पंडित ऐसे जाएंगे कि फिर कोई उजाड़ न सके

‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के प्रदर्शन के बाद पूरे देश में जिस प्रकार की भावनाओं ने इस ठंडे मुद्दे को हवा दी है, हर भारतीय के मन में कश्मीरी पंडितों के लिए सहानुभूमि, प्यार, चिंता दिखाई दी है। यह भविष्य में एक अच्छी शुरूआत का संकेत है।

इसके साथ ही विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के प.पू. सर संघचालक डाॅ. मोहनराव भागवत ने कश्मीरी पंडितों का उत्साहवर्धन किया, उन्हें भविष्य के लिए संकल्पबद्ध किया और घर वापसी के लिए उनमें विश्वास जगाया। अब यह सुनिश्चित हो गया कि 32 वर्षों के बाद कश्मीरी पंडित अपने छोड़ आये बसेरों को फिर से आबाद कर पाएंगे।

उल्लेखनीय है कि कश्मीरी पंडितों का नवरेह पर्व एक अंतराल के पश्चात् धूमधाम से मनाया गया। श्रीनगर के सारिका देवी मंदिर में 32 साल बाद उत्सव जैसा माहौल है। 1990 के दशक में विस्थापन के बाद से देश-दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे पंडित, कश्मीर पहुंचे और पूजा अर्चना की।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत। - फाइल फोटो

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कश्मीरी पंडितों को शुभकामनाएं दी और उनके संघर्ष को याद किया। उन्होंने कहा कि वो समय जल्दी ही अपने वाला है, जब कश्मीरी पंडित अपनी भूमि पर होंगे। कश्मीरी पंडितों के विस्थापन को लेकर उन्होंने कहा, ‘परिस्थितियाँ तो सब प्रकार की जीवन में आती हैं। कठिन परिस्थितियाँ आती है तो जाती भी हैं। हम आज ऐसी ही परिस्थिति में हैं। हम अपने ही देश में, अपने घर से विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं और उससे पार पाएंगे।’

इजरायल से विस्थापित हुए यहूदियों के संघर्ष को याद करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, ‘परिस्थितियों के सामने हारना नहीं चाहिए। अपनी भूमि से सारी दुनिया भर में इजरायल के लोग भी परिस्थिति के चलते बिखर गए थे। उनका भी एक त्यौहार होता है और उस दिन वो संकल्प करते थे कि अगले वर्ष यरूशलम में मिलेंगे। इस संकल्प को पीढ़ी दर पीढ़ी उन्होंने 1800 वर्ष तक जारी रखा। पहले 1700 वर्ष तो उन्होंने केवल संकल्प लिया और अगले 100 साल के उद्यम में फिर से उसी भूमि में एक स्वतंत्र इजरायल को स्थापित किया। अगले 30 वर्षों में सब बाधाओं का उन्होंने शाश्वत इलाज किया और आज इजरायल को दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों में बना दिया।’

कश्मीर फाइल्स फिल्म की  चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत, कश्मीर के पीड़ितों के साथ है, इसका सबूत इस फिल्म के दौरान देखने को मिला। विस्थापन की विभीषिका का सत्य चित्र दुनिया के सामने लाया गया और इसने भात के लोगों को झिंझोड़ कर जगा दिया। भागवत ने कहा कि इस फिल्म ने स्पष्ट कर दिया है कि हमें कितना सचेत रहने की जरूरत है। कश्मीरी हिंदुओं को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि अब संकल्प पूरा करने का वक्त आ गया है।

उन्होंने कहा कि अगले साल कश्मीरी हिंदुओं का नवरेह अपने घर कश्मीर में मनाने का संकल्प पूरा करना जरूरी है।  मोहन भागवत ने कहा कि अबकी बार मातृभूमि में ऐसे बसना है कि फिर कोई उजाड़ न सके। सभी के साथ मिल-जुलकर रहना है। मोहन भागवत ने कहा, ‘मैंने पहले ही कहा था कि कश्मीरी पंडितों के मुद्दे जन-जागरूकता से ही हल होंगे और आर्टिकल 370 जैसी बाधाओं को हटाना होगा।

2011 के बाद इन 11 सालों में हमारे सामूहिक प्रयासों के कारण अब कोई आर्टिकल 370 नहीं है।’ इंद्रेश कुमार ने इस अवसर पर उन्होंने लोगों से सदियों पुराने सांप्रदायिक सदभाव और भाईचारे को बनाए रखने की भी अपील की।

कुमार ने यहा यहां ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ द्वारा आयोजित एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘नैशनल काँफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल को घाटी में मौत एवं विनाश तथा कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए जिम्मेदार आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए थी।’’ उन्होंने ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि फिल्म किसी सरकार द्वारा नहीं बल्कि कुछ ‘‘गैर राजनीतिक लोगों’’ द्वारा बनाई गई है और यह वास्तविकता पर आधारित है।

विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित तथा जी स्टूडियो द्वारा निर्मित यह फिल्म 1990 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन को दर्शाती है। इसमें अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी ने जिस तरह अभिनय किया है, वह हर भारतीय को कश्मीर के उस समय की भयावह स्थिति को  स्पष्ट करने में सफल रहा है। वर्तमान में हर भारतीय अपने कश्मीर पंडित भाईयों की कश्मीर में उनके अपने गांव-घरों में सकुशल वापसी चाहता है।