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कश्मीरी पंडितों को न्याय: यासीन मलिक को सजा

कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों टेररफंडिंग के लिये दोषी करार दिये गये यासीन मलिक को देर- अबेर दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट के विशेष एन.आई.ए. न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यू.ए.पी.ए.) और भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी.) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत आजीवन कारावास की सुनायी।

भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिये भी उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। विभिन्न धाराओं के अंतर्गत 10 लाख 75 हजार रूपये का भी जुर्माना लगाया गया है। उसे सन् 2017 में एन.आई.ए. ने गिरफ्तार किया था, तब से उसे जेल में ही रखा गया है।

आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जे.के.एल.एफ.) के चेयरमेन यासीन मलिक को गत दिवस कड़ी सुरक्षा के बीच पटियाला हाऊस कोर्ट में पेश किया गया था।

पाकिस्तान बचाव में आया सामने –

यासीन मलिक पर भारत में केस चला और उसके अपराधों की सजा अदालत द्वारा दी गयी, लेकिन पाकिस्तान को यह रास नहीं आ रहा। इमरान खान ने तो उसे फ्रीडम फाईटर ही बता दिया।

यासीन दिल्ली की अदालत में यू.ए.पी.ए. के तहत दर्ज ज्यादातर मामलों में अपने पर लगे आरोपों को स्वीकार कर चुका है। इसके अलावा यासीन पर सन् 1990 में एअरफोर्स के चार जवानों की हत्या का भी आरोप है।

कोर्ट ने फारूख अहमद डार उर्फ विट्ठा करात, शबीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह बटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं खिलाफ भी आरोप थे।

लश्कर- ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिद्दीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है। दुर्दान्त अपराधी यासीन मलिक को सजा मिलना इस बात का संकेत है कि अब घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ हुये अमानुषिक अत्याचारों की श्रृंखला में अपराधियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी सार्थक स्वरूप ले रही है। अभी सैकड़ों निर्दोषों की हत्या करने वालों को सजाये मिलना बाकी है। इनमें वे भी शामिल हैं, जो जम्मू-कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने और कश्मीर की आजादी की वकालत करते रहे और बम, बारूद और बंदूक का सहारा लेकर भय और आतंक का माहौल बनाने में योगदान दे रहे थे। ऐसे तत्व पाकिस्तान जाते थे और वहाँ से प्रशिक्षण और अस्त्र-शस्त्र लेकर आते थे।

पाकिस्तान और वहाँ की सरकार के पक्ष-विपक्ष के कतिपय नेताओं द्वारा यासीन मलिक के पक्ष में बयानबाजी करना अपने आप में यह दर्शाता है उनका एक काबिल और भरोसे लायक एजेन्ट पकड़ लिया गया है। वे उसके माध्यम से ही कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहन दे रहे थे। उसको सजा मिलने पर उनका भड़कना, आक्रोश प्रगट करना स्वाभाविक ही है।

आश्चर्य तो इस बात का भी है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल काँफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने यासीन मलिक को दोषी करार दिये जाने वाले फैसले का स्वागत नहीं किया वरन् यह सलाह दी कि फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाय। महबूबा मुफ्ती ने भी सजा सुनाये जाने का स्वागत नहीं कर अपनी छुद्र मानसिकता का ही परिचय दिया है। इसका सीधा मतलब यही निकाला जाना चाहिये ये सभी जम्मू-कश्मीर की बर्बादी के लिये जिम्मेदार है। ये सब यहाँ शांति स्थापित होने नहीं देना चाहते थे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहवाज शरीफ का भारत के राजदूत को बुलाकर यासीन मलिक के फैसले पर आपत्ति जताना और विदेश मंत्री  विलावल भुट्टो की भारत और यहाँ की न्यायिक व्यवस्था पर अनर्गल बयानबाजी उसी दर्द और बौखलाहट की प्रतीक है।

अब जाकर यासीन मलिक के गुनाहों का हिसाब हो पाया। यासीन मलिक एक ऐसा व्यक्ति है, जो सन् 2013 में अफजल गुरू को फाँसी दिये जाने के अदालत के फैसले के विरोध में लश्कर तैयबा चीफ हाफिज सईद के साथ इस्लामाबाद प्रेस क्लब के बाहर 24 घन्टे की भूख हड़ताल पर बैठा था। यासीन मलिक कश्मीर की सियासत में हमेशा न केवल सक्रिय रहा, वरन् वहाँ के युवाओं को भड़काने से लेकर उनके हाथों में बन्दूक थमाने तक सब कुछ उसने किया।

सन् 1989 में तत्कालीन गृहमंत्री मोहम्मद सईद की बेटी रूवैया सईद के अपहरण में भी उसका हाथ रहा। इसके बदले उसने (श्रज्ञस्थ्) जे.के.एल.एफ. के ग्यारह आतंकवादियों को रिहा करवाया था। रूबिया सईद के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद उस समय की सरकार में केन्द्रीय गृहमंत्री थे। रूबिया आज की पी.डी.पीत्र नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बहन है। इसने कश्मीर की आजादी की लड़ाई के नाम पर जम्मू कश्मीर के आतंकवादी और अन्य गैर कानूनी गतिविधियों का संचालन करते हुये धन जुटाया और दुनियाभर में इसके लिये एक गिरोह तैयार कर लिया था। घाटी में वह उग्रवाद के नेतृत्व का प्रतीक बन गया था। उसने हुर्दियत नेताओं मीर वाईज, उमर अब्दुल्ला, सैयद अलीशाह गिलानी की सलाह पर रणनीति भी तैयार करता रहता था।

यासीन मलिक को सजा दिया जाना एक प्रकार से पाकिस्तान को भी संदेश है कि आतंकी गतिविधियों को मुँहतोड़ जबाव दिया जायेगा।