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कानपुर हिंसा: प्रयोग या संयोग?

3 जून 2022 को कानपुर में मुस्लिम समुदाय द्वारा दिल्ली व बेंगलुरु मॉडल पर हिंसा, आगजनी, पथराव किया गया। विगत कुछ वर्षों से मुस्लिम समुदाय के द्वारा इस प्रकार की सामूहिक हिंसा, आगजनी, पथराव की घटनाएं एक आम बात हो गई है। आखिर यह हरे झंडे वाला समुदाय चाहता क्या है? एक तरफ ये लोग कहते हैं की भारत देश में हमें डर लग रहा है। व भारत में मुस्लिम सुरक्षित नहीं है। हम शांति प्रिय कौम है इत्यादि। जबकि सत्य इसके विपरीत है। यह डरे हुए नहीं वरन् डराने वाले लोग हैं।

जरा विचार कीजिए हिंदू बहुल बस्ती में एक मुस्लिम परिवार प्रेम व दिलेरी से, हरा झंडा लगाकर रहता है। बकरा, मुर्गा भी काटता रहता है। हिंदू सब कुछ सहन करता रहता है। वहीँ देश में दूसरी तरफ मुस्लिम बहुल बस्ती में जँहा ये ज्यादा है वहां के हिंदू परेशान, भयभीत, नाना प्रकार से त्रस्त हैं। मुस्लिमों के कारनामो से, ऐसा क्यों? इन इलाकों के हिंदुओं को डराया व परेशान किया जाता है।

देश में ऐसे सैकड़ों कैराना बने हुए हैं। आखिर क्यों ? क्या चाहता है यह समुदाय? क्या मंशा है इनकी? इन सभी प्रश्नों के उत्तर ढूंढने व गंभीर चिंतन करते हुए समाधान कारक उपाय करने की जरूरत है। अन्यथा देश में कभी भी स्थिति, वातावरण असामान्य रूप से बिगड़ सकता है। जरा गंभीरता से विचार कीजिए हम अपने घर में सुरक्षित नहीं है। अपने ही देश में कोई अपने इष्ट का अपमान कर रहा है, कोई धमकी दे रहा है, कोई टिप्पणी कर रहा है, तो कोई मंदिरों पर कब्जा करके नमाज पढ़ रहा है। आखिर देश (भारत) में यह सब चल क्या रहा है ? क्या यह भारत (वास्तविक) विश्वगुरु गौरवशाली भारत का दृश्य है? अथवा इस्लामीकरण की ओर द्रुत गति से बढ़ते हुए भारत का चित्र है ?

यह जिहादी घटनाक्रम देश-दुनिया में विगत 1300 वर्षों से चल रहा है। जरा इस्लामिक इतिहास पर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि यह मजहब और अरब प्रदेश के मक्का से उत्पन्न होकर आगे बढ़ा व मदीना के स्थानीय निवासियों को मार् काट करके कब्जा करते हुए; आसपास के क्षेत्र, प्रदेशों पर कब्जा करते हुए, अपना परचम लहराते हुए कालांतर में यमन, सीरिया, इराक, ईरान, इजिप्ट, बहरीन, यूएई, टर्की, मिश्र, ? जार्डन ,कजाकिस्तान ,तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान इत्यादि दुनिया के 57 देशों पर कब्जा (फतह) कर लिया। अरे मुठ्ठी भर संख्या में यह टिद्दी दल के लोग वहां गए व कुछ वर्षों में संख्या बढ़ाकर (खरपतवार की तर्ज) पर अंततः उस देश को अमरबेल (परजीवी) की तरह अपने शिकंजे में ले लिए। यह मानवता को निगलने का एक बहुत बड़ा ‘वैश्विक प्रायोजित जिहादी षडयंत्र’ है। जिस देश ने इन्हें हल्के में लिया व शरण दी यह डायनासोर की तरह उस देश को ही निगल गए।

जरा षड्यंत्र को समझिए 1947 में इन्होंने मारकाट करके, दबाव बनाकर, मजहबी आधार पर भारत का विभाजन किया किंतु पूर्ण रूप से यह पाकिस्तान भी नहीं गए। एक योजना के तहत कुछ मुट्ठी भर जिहादी भारत में ही रुके रहे व अब संख्या बढ़ाकर देश पर कब्जा करने का जबरन षड्यंत्र कर रहे हैं। इनका नारा है-
लड़के लिया है पाकिस्तान।
हंस के लेंगे हिंदुस्तान।।

दरअसल पिछले 70 वर्षों से भारत को इस्लामिक राष्ट्र में कन्वर्ट करने का एक ‘साइलेंट एजेंडा’ गुप्त योजना जो चल रहा है। जिसकी सूत्रधार व संरक्षक,निर्देशक कांग्रेश पार्टी है। वह तो ईश्वर की महान कृपा हुई की 2014 में राष्ट्रभक्त, कर्मनिस्ठ मोदी की सरकार बन गई और इस्लामिक एजेंडे पर (माठा) बाधा पड़ गई; जिससे इस्लामिक जगत में तीव्र हलचल, बेचैनी, उद्दीग्नता बढ़ गई अन्यथा अभी तक तो बड़ी गड़बड़ हो गई होती। अज्ञानी जन जिसे बीजेपी-कांग्रेस में ले रहे हैं दरअसल वह ‘हिंदुत्व व मुस्लिम’ एजेंडे की टकराहाट है।

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कानपुर में 3 जून 2022 दोपहर का दंगा क्या यह संयोग है या प्रयोग? यह प्रश्न विचारणीय है जब कानपुर नगर में देश के राष्ट्रपति ब पीएम महोदय प्रवास पर हैं और एका एक नगर में दंगा हो जाता है। यह कुछ अजीब सा नहीं लगता है अच्छा जरा विचार कीजिए एका-एक हजारों लोगों का एकत्र होना, हथियार लेकर, ढंडे, राड, बम (देसी) लेकर एक निश्चित स्थान पर; और फिर दंगा जब भी होता है, नमाज/तकरीर के बाद ही क्यों होता है? प्रश्न विचारनीय है। इन दंगाइयों को ना जेल का डर है, ना घर ध्वस्त होने, न जीवन भर जेल में सड़ने का, आखिर कौन सी ताकत इनके पीछे से सपोर्ट कर रही है? कवरिंग फायर दे रही है इन्हें। पिछली नवरात्रि में भी देश में 100 से अधिक स्थानों पर नवरात्रि जुलूस पर पथराव किया गया था इन जिहादियों द्वारा। देश की वर्तमान परिस्थितियां अत्यंत गंभीर है। उधर कश्मीर घाटी में हिंदुओं को चुन-चुन कर गोली मार रहे हैं जिहादी सरगना। कानपुर दंगे में सात घायल, 40 पर एफ आई आर हुई। हमले का मास्टरमाइंड आयात जफर हाशमी है। इसका पिछली बार सीएए, एनआरसी कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन में नाम आया था। 35 गिरफ्तारी हो चुकी है। बाबाजी का बुलडोजर बस इंतजार ही कर रहा है एक्शन लेने का। आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी है। 1000 अज्ञात लोगों पर भी F.I.R. हुई है।

‘नमाजी हिंसा’ कहीं ‘डायरेक्ट एक्शन’ का परीक्षण तो नहीं है। मुस्लिम लीग ने आजादी के पूर्व 1946 में हिंदुओं के खिलाफ डायरेक्ट एक्शन (कत्लेआम) का अभियान चलाया था। इस डायरेक्ट एक्शन में असम, केरल, बंगाल इत्यादि क्षेत्रों में लाखों की संख्या में हिंदुओं का कत्लेआम किया गया था। यदि नमाजी हिंसा की प्रतिक्रिया में गोधरा कांड जैसी हिंदू समाज ने एक्शन ले लिया। तब सोचिए देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है। ‘अति सर्वत्र वर्जय्ते’।

कानपुर की नमाजी हिंसा मे पीएफआई का नाम भी सामने आया है। एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि जब यह लोग मस्जिद में नमाज पढ़ने गए थे एवं बाद में बाहर निकल कर हिंसा की। तब प्रश्न यह है कि- इनके पास पत्थर व हथियार कहां से आए? क्या मस्जिदे जिहादियों के हथियारों का बंकर है? आयुध भंडारण का केंद्र है? क्या मस्जिद में पत्थर व अन्य हथियार जमा करके रखी जाती हैं? वितरण किए जाते हैं? यह सभी अत्यंत गंभीर विचारणीय प्रश्न है। समय रहते इन सभी बातों पर सरकार व समाज ने विचार व कठोर कार्यवाही नहीं की तो; भारत को सीरिया- पाकिस्तान बनते देर न लगेगी। भारत में मुगलकाल का पुनरागमन हो सकता है। देश के लिए पूर्व में किए गए बलिदान, संघर्ष आजादी के आंदोलन का सब व्यर्थ हो सकता है। अच्छा हो यदि इन जिहादियों पर चीनी सरकार जैसी ‘डिटेंशन सेंटर’ की कार्रवाई हो अथवा म्यांमार ‘विराथु’ जैसी एक्शन हो अथवा जापान सरकार जैसी कठोर नीतियां इनके विरुद्ध दमनकारी बनाई जानी चाहिए ताकि यह देश से ही पलायन कर जाएं। वैसे भी हमारे यहां एक कहावत है-

“गांव से बड़ी बारात ना होवे।”
जागो !! भारत जागो !!
संगठित हिंदू-सशस्त्र हिंदू-समर्थ भारत !!

लेख़क – डॉ. नितिन सहारिया (भारद्वाज)
संपर्क सूत्र – 8720857296