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भारत की बढ़ती तरक्की से आहत हैं मुस्लिम राष्ट्र मोहम्मद सा. का मामला तो एक बहाना है.

भारत ने मोहम्मद सा. को लेकर उठे विवाद के परिपेक्ष्य में त्वरित कार्यवाही कर मामले का पटापेक्ष कर दिया था। लेकिन मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम देशों ने अपनी गर्मजोशी दिखाकर मामले को तूल दे दिया। जो बात मोहम्मद सा. के बारे में आम आदमी को मालुम नहीं थी, वह जगजाहिर हो गयी। इस विरोध को व्यक्त करने की पहल ने आग में घी डालने का काम तो किया ही।

मोहम्मद सा. को ही विवाद का विषय बनाकर केन्द्र में खड़ा कर दिया गया। इस विषय पर मुखरता से बोलने वाले जाकिर नाईक को मलेशिया ने शरण क्यों दी? सबसे पहले सजा का हकदार तो वही व्यक्ति है, जिस शख्स ने मोहम्मद सा. के बारे न जाने कितने प्रकार की असम्मान जनक टिप्पणियाँ की हैं। सच्चाई तो यह है कि मुसलमान स्वयं सच्चाई पसन्द नहीं है।

कुवैत कतर, ईरान, पाकिस्तान आदि इस्लामिक देशों को स्वयं आत्भावलोकन करना चाहिये वे जहाँ खड़े हैं, वहाँ जमीन है कि नहीं। भारत की धर्म निरपेक्षता को दुनिया का कोई देश चुनौती देने का साहस नहीं कर सकता। यहाँ के अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यको की तुलना ज्यादा अधिकार मिले हुये हैं। किसी मुस्लिम राष्ट्र में साहस है कि वह अल्पसंख्यकों को उस बेहतरीन दर्जे की सुविधायें मुहैया करा सके?

मुस्लिमों और उनकी दुर्दशा की यदि उनके संगठन को इतनी ही चिन्ता है तो चीन के सामने अपना विरोध प्रकट करने में उस हेकड़ी को दिखाने की जरूरत महसूस होना चाहिये थी। जहाँ दस लाख से अधिक मुसलमानों को न केवल बन्दी बनाकर रखा गया है, वरन् कुरान को जब्त कर इस्लाम पर सीधे हमले करता रहता है। वहाँ यह मुस्लिमों आ ओ.आई.सी. संगठन लाचार नजर आता है।

भारत सहिष्णु देश है। यहाँ सबको बिना भेदभाव के सभी प्रकार के अधिकार सुलभ हैं। आठ सौ सालों तक लगातार अत्याचार और जुल्म करने वाले मुगल आक्रान्ता इतिहास के पन्नों में रह गये हैं, लेकिन सनातन संस्कृति की वह अजस्त्र धारा आज भी पहले की तरह बिना रूकावट प्रवाहित होती चली आ रही है। अब जातियों और कौमी एकता दिखाने का समय अस्ताचल की ओर मुख कर चुका है।

मुस्लिम स्वयं अपने कौमी मतभेदों में उलझकर अपने विनाश पथ पर है। पाकिस्तान अहमदियों, शियाओं, बलूचों को मुसलमान नहीं मानता, अरब भारत के मुसलमानों को सच्चा मुसलमान मानने तैयार नहीं है। सऊदी अरब ने खुले विचार अपनाना शुरू कर दिये हैं।

भारत का अपना संविधान है। यहाँ कानून-कायदे से काम चलता है। भारत लोक तांत्रिक एवं स्वाभिमानी देश है, किसी दबाव के आगे झुकने वाला देश नहीं है, न पहले झुका है, न अब झुकेगा।

वे मुस्लिम राष्ट्र दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्होंने भारत के कतिपय जघन्य अपराधियों को शरण दी है। मलेशिया ने जिस नासिर नाईक को संरक्षण दिया हुआ है, उसी ने सबसे पहले भारत में मोहम्मद सा. के बारे में तथाकथित असम्मान जनक बात कही थी, जिसे भाजपा प्रवक्ता ने दोहराया है। इस कौमी एकता को दिखनेका मकसद क्या है?

पाकिस्तन ने आतंकियों को पाला-पोसा और उन्हें गड़बड़ी फैलाने भारत में प्रवेश कराया। इस बदनीयती का परिणाम वह भुगत रहा है। दुनिया भर में कटोरा लिये घूम रहा है, कोई उसे भीख देने तक तैयार नहीं है। कौमी सियात करने वालों को सीख यही है कि जिनके घर काँच के हो, उन्हंें पत्थर हाथ में नहीं उठाना चाहिये।

भारत ने जितना रक्तपात देखा है, उतना दुनिया ने किसी राष्ट्र ने नहीं देखा होगा। इसलिये किसी से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह डराने की कोशिश न करे। क्या इन कौमी सियात करने वालों को ऐसी जानकारी है कि अतीत से अबतक इस्लाम धर्मियों द्वारा हिन्दूधर्म और उसके मान्य-पूज्य देवी-देवताओं के बारे में नकारात्मक टिप्पणियाँ की गयीं है।

ओ.आई.सी. (मुस्लिम देशों का संगठन) भारत के आतंकी (कुख्यात) यासीन मलिक को न्यायालय द्वारा दी गयी सजा पर मगरमच्छी आँसू क्यों बहाता है? जिसके हाथ सैकड़ों निर्दोषों की हत्याओं से सने हुये हैं, उसे आतंकी मानने क्यों तैयार नहीं है?

मुस्लिम देशों द्वारा तब भी चुप्पी साध रखी थी, जब तालिबानियों द्वारा महात्मा बुद्ध की मूर्तियों को तोपों से नष्ट-भृष्ट किया जा रहा था, वे सब आज मोहम्मद सा. का नाम लेकर मानो सोते से जागे हैं। अपने गिरेवाँ मंे भी झाँककर देख लेते कि वे कितने पाक-साफ है?

मलेशिया जाकिर नाईक को प्रत्यार्पण के लिये भारत भेजने तैयार नहीं है, कतर भी इस्लामी राष्ट्र है, उसने हिन्दू देवी-देवताओं के अभद्रतापूर्ण चित्र बनाकर मजाक उड़ाने का दुष्कृत्य किया है उसे कतर न ससम्मान नागरिकता दे रखी है।

अभी भारत के सहारनपुर में जमीयत-ए-उलमा को दो दिवसीय सम्मेलन हुआ था, उसमें वक्ताओं ने तीखे भाषणों के जरिये जहर उगला था। इसी जलसे में महबूब मदनी ने यहाँ तक कहा डाला कि ‘‘जिन लोगों को हमारा मजहब बर्दास्त नहीं, वे मुल्क छोड़कर चले जायें-इसका भारत के गैर-मुसलमान क्या अर्थ निकाले? इसी जलसे में यह भी कहा गया कि मुसलमान समान नागरिक संहिता को स्वीकार न करें। उन्होंने अपील कि मुसलमानों को शरीयत के साथ रहना है। यही उनकी ताकत है। तब भारतीय संविधान पर आस्था का प्रश्न तो खड़ा होगा ही।’’

भारत ने सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्रों अपने लहराते झंडे गाड़ रखे हैं, जिन्हें देखकर इन कौमी सियात करने वाले देशों के पेट में मरोर होना स्वाभाविक है।

कोविड महामारी और यूक्रेन की भयावह समस्या के बावजूद भारत की अर्थ व्यवस्था ने जो उड़ान भर है, वह विद्वेषी ताकतों को सहन कैसे हो सकती है। कतिपय इस्लामी देशों द्वारा भारत को नसीहत देने की एक बेमानी कोशिश-सिवाय सियासी एकता दिखाकर गीदड़ भभकी के अलावा क्या समझा जाये? भारत क्या डर जायेगा? भारत 800 वर्षों से इस्लामी आक्रान्ताओं के कुकृत्यों के सामने नहीं झुका है, न कभी झुकेगा।

असल सवाल यह है कि जिस बात को लेकर मोहम्मद सा. के सम्मान से जोड़ा जा रहा, वह सवाल अगर सार्वजनिक हो गया तो मुसलमानों की आने वाली पीढ़ियों तक अपने आप को माफ नहीं कर पायेंगी। जोशो खरोश में आकर मुस्लिमों और मुस्लिम राष्ट्रों ने एक प्रकार से मोहम्मद सा. को मजाक का विषय बना दिया है। जो बातें किसी को मालूम नहीं थी। वे सब अब अदालतों में आयेंगी और बच्चों की तक पहुंच जायेंगी संजीदगी नहीं रखे जाने का यह दुष्परिणाम सामने आने वाला है।

भारत का सनातनी हिन्दू समाज चाहता है कि जिनकी धार्मिक स्थलों को मध्यकाल में विदेशी आक्रान्ताओं ने तलवार की नोंक पर ध्वस्त कर इस्लामी संरचना में तब्दील किया है, उन्हें फिर से मंदिर या हिन्दू स्थल में बदला जाये। लेकिन इस संबंध में मुस्लिम नेताओं द्वारा जहरीले बयानों में जिस तरह की शब्दावली का उपयोग किया जा रहा है, वह आग में घी डालने जैसा परिणाम दे रही है। वे बयान पूरी तरह आक्रामक हैं। उनके भाषणों में शालीनता की आवश्यकता तक नहीं समझी जा रही। औबेसी से लेकर शफीक-उर-रहमान वर्क, माजिस मेमन सहित ऐसे अनेक नाम हैं, जो बोले में तनिक भी संयम नहीं बरत रहे।

यह भी अनुभव किया जा रहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी की व्यक्तिगत और सोशल मीडिया पर दुरूपयोग सीमा को पार चुका है, उस पर भी अविलम्ब लगाम लगाये जाने की जरूरत है। विदेशी आक्रान्ताओं ने देश पर बार-बार ने केवल हमले किये, यहाँ का धन लूट कर ले गये-यह इतिहास की सच्चाई है। इस सच्चाई को इतिहास के पन्ने चीख-चीख कर उजागर कर रहे हैं।

लेखक:- डॉ. किशन कछवाहा
सम्पर्क सुत्र:- 9424744170