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वैश्विक स्तर पर जापान और कंबोडिया में सिद्धी विनायक…

वैश्विक गणेश- १ व २…

वैश्विक स्तर पर जापान और कंबोडिया में सिद्धी विनायक…

आज से ‘विघ्नहर्ता गजानन’ का दस दिवसीय उत्सव प्रारंभ हो रहा हैं. श्री गजानन हिन्दू संस्कृति के आराध्य हैं, तथा प्रतीक भी…

विश्व के प्रत्येक भाग मे भगवान गणेश पाये जाते हैं. यह इस बात का मजबूत एवं अकाट्य प्रमाण हैं, की किसी जमाने मे, हिन्दू संस्कृति सारे विश्व मे छाई हुई थी।

जापान मे ऐतिहासिक ‘हिरोशिमा’ के पास, इत्सुकुशिमा द्वीप पर एक अत्यंत प्राचीन मंदिर हैं, ‘दाइशो-इन’. ऐसा कहा जाता हैं, की सन ८०६ मे यह मंदिर बनाया गया था. किन्तु शायद यह मंदिर इससे भी प्राचीन हो. इस मंदिर मे भगवान गणेश की मूर्ति हैं।

जापान मे अनेक स्थानों पर भगवान गणेश की प्रतिमा मिलती हैं. जापानी भाषा मे भगवान गणेश को ‘कांगीतेन’ कहा जाता हैं. ‘तेन’ का अर्थ होता हैं, ‘ईश्वर’ या ‘भगवान’. जापान मे बुध्द विचारों के माध्यम से श्री गणेश का परिचय हुआ हैं।

कंबोडिया में सिध्दीविनायक…

कंबोडिया में हजार वर्ष से भी ज्यादा समय हिन्दू साम्राज्य था. पहले फुनान, बाद में कंबोज़ और फिर खमेर राजवंशों ने कंबोडिया में हिन्दुत्व की पताका लहराई थी. ईस्वी सन की पहली शताब्दी से लेकर अगले हजार / बारह सौ वर्षों तक इस विशाल साम्राज्य में हिन्दू संस्कृति अत्यंत गर्व एवं वैभव के साथ फलती – फूलती रही। 

भारत से काफी दूर स्थित इस देश में लगभग छः सौ / सात सौ वर्षों तक संस्कृत ही राजभाषा के रूप में सम्मानजनक स्थान पर रही. लगभग एक हजार वर्षों तक भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ. उपनिषद, पुराण, रामायण, महाभारत, गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथ इस देश के प्रत्येक घर का अविभाज्य अंग रहे।

वेद और उपनिषदों की ऋचाएं यहां प्रतिदिन गायी जाती थी. अर्थात एक सामर्थ्यशाली, वैभवशाली, ज्ञानशाली रहा हुआ यह विशाल हिन्दू राष्ट्र, लगभग हजार / बारह सौ वर्षों तक सुख-समृद्धि से भरपूर रहा…

विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल, ‘अंगकोर वाट’, अर्थात हिन्दू मंदिरों का समूह भी कंबोडिया में हैं. अतः यह स्वाभाविक ही हैं, की भगवान गणेश की अनेक मूर्तियां इस देश में पायी जाती हैं. मेकोंग नदी के किनारे स्थित ‘केंपोंग चाम’ इस शहर के ‘दे दोस’ मंदिर में गणेश जी की भव्य प्रतिमा हैं।

नोम पेन्ह नदी के किनारे गणेश जी की एक विशाल प्रतिमा हैं. सातवी शताब्दी की अनेक गणेश प्रतिमाएँ, कंबोडिया के विभिन्न संग्रहालयों में राखी गई हैं. प्रख्यात ‘अंगकोर वाट’ में गणेश जी की अनेक प्रतिमाएं हैं। 

कंबोडिया में अल्पसंख्यांक ‘चाम’ समुदाय यह आज भी हिन्दू मान्यताओं को मानता हैं, तथा हिन्दू देवताओं की पूजा करता हैं. इनके मंदिरों में आज भी, अपने भारतीय पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी से गणेश उत्सव मनाया जाता हैं।