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काली के हाथ में समलैंगिकता के प्रतीक का क्या औचित्य

जब नूपुर शर्मा द्वारा मो. पैगम्बर के बारे में की गई टिप्पणी पर विवाद हुआ तब प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी भी उनके विरुद्ध खड़ी होकर मांग करने लगीं कि नूपुर की गिरफ्तारी की जाए | बाद में उदयपुर की घटना हो गई और फिर जानकारी आई कि महाराष्ट्र के अमरावती शहर में भी नूपुर समर्थक एक हिन्दू की कट्टरपंथी मुसलमानों ने हत्या कर दी थी |

इन हत्याओं की ममता ने कितनी निंदा की ये तो पता नहीं चला लेकिन कैनेडा में रह रहीं फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलई द्वारा बनाये गए वृत्त चित्र काली का एक पोस्टर जारी होने पर मचे विवाद में उनकी अपनी पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा ने आग में घी डाल दिया | उस पोस्टर में हिन्दुओं की आराध्य काली माता को एक हाथ में सिगरेट के साथ ही दूसरे हाथ में एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बायो सेक्सुअल और ट्रांस जेंडर) समुदाय का झंडा लिए दिखाया गया है |

कैनेडा में बने उस वृत्त चित्र के पोस्टर की जानकारी जैसे ही मिली भारत में हिन्दू समाज आक्रोशित हो उठा | भले ही सिर तन से जुदा जैसी बातें सुनने नहीं मिलीं लेकिन हिन्दू धर्माचार्यों के अलावा सामाजिक क्षेत्र से भी मणिमेकलई के विरुद्ध मामला दर्ज करने की मांग उठी | ये मुद्दा जिस तेजी से गरमाया उसके पीछे एक वजह नूपुर शर्मा विवाद में मुस्लिम समुदाय की उग्र प्रतिक्रिया भी थी जिसके कारण दंगे और हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया और धमकियों का दौर अब तक जारी है | इस विवाद में गैर भाजपा राजनीतिक दल भी खुलकर मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े हो गये जिससे उनका हौसला और बुलंद हुआ | इसी संदर्भ में ममता भी नूपुर की गिरफ्तारी की रट लगाये हुए हैं | लेकिन दो दिन पहले जैसे ही काली वाले पोस्टर को लेकर हल्ला मचा और उसकी गूँज देवी भक्त्त बंगाल में भी सुनाई देने लगी त्योंही सुश्री बैनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने मणिमेकलई का बचाव करते हुए काली माता के हाथ में सिगरेट होने के विरोध को निराधार बताते हुए यहाँ तक कह दिया कि उन्हें एक व्यक्ति के रूप में काली माता को मांस और मदिरा का सेवन करने वाला मानने का पूरा अधिकार है और हर व्यक्ति के अनुष्ठान का तरीका अलग होता है |

लिहाजा संदर्भित पोस्टर में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है | उनके इस बयान की दुर्गा भक्त प. बंगाल में भी तीखी प्रतिक्रिया हुई और राजनीतिक नुकसान से बचने के लिए तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने बिना देर किये उस बयान से पल्ला झाड़कर उसकी निंदा भी कर डाली | लेकिन ममता सरकार ने उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की | हालाँकि अनेक राज्यों में महुआ के विरुद्ध मामले दर्ज हो चुके हैं लेकिन उन्होंने अपना बयान वापिस लेने से इंकार करते हुए कहा वे अदालत में जवाब देंगी | उल्लेखनीय है महुआ संसद में जैन धर्म के विरुद्ध भी आपत्तिजनक बातें कह चुकी हैं |

देश के किसी भी राजनीतिक दल ने उनका समर्थन करने का साहस नहीं किया लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर जरूर ये कहते हुए बचाव करते दिखे कि जो महुआ ने कहा वह पूरा देश जानता है | सवाल ये है कि एक तरफ तो ममता बैनर्जी नूपुर शर्मा द्वारा अपना बयान वापिस लिए जाने के बाद भी उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़ी हुई हैं लेकिन उनकी अपनी पार्टी की लोकसभा सदस्य द्वारा हिन्दुओं की आराध्य काली माता के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के विरुद्ध गिरफ्तारी जैसा कदम उठाने के बारे में मौन हैं |

महुआ ने अपने ट्विटर हैंडिल से तृणमूल कांग्रेस का चिन्ह तो हटा दिया लेकिन वे अभी भी सुश्री बैनर्जी को फालो कर रही हैं | कांग्रेस ने भी अब तक श्री थरूर के बयान के बारे में कुछ नहीं कहा जबकि उसे स्पष्ट करना चाहिए कि वह उनसे सहमत है या नहीं ? लेकिन मणिमेकलई द्वारा काली का जो पोस्टर जारी किया गया उसमें उनके हाथ में सिगरेट के अलावा एलज़ीबीटी समुदाय का जो ध्वज दिखाया गया है उसका काली जी से क्या सम्बन्ध है ये न तो मणिमेकलई ने स्पष्ट किया और न ही महुआ और श्री थरूर इस बारे में कुछ बोलने का साहस दिखा रहे हैं |

महुआ एक मुखर सांसद हैं वहीं श्री थरूर उच्च शिक्षित और बहुत ही अध्ययनशील राजनेता माने जाते हैं | लेकिन इन दोनों को ये बताना चाहिए कि काली के हाथ में समलैंगिक और उभयलिंगी मानसिकता वाले लोगों के सांकेतिक चिन्ह का क्या औचित्य है और क्या ये सरासर हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का अपमान नहीं है | ऐसा लगता है इस देश में धर्म निरपेक्षता के बंधन केवल हिन्दू समाज के लिए रह गये हैं | तभी तो उसके आराध्य देवी–देवताओं के बारे में जिसे देखो आपत्तिजनक पेंटिंग और फिल्म बना देता है |

हिन्दू देवियों के नग्न चित्र बनाने वाले मकबूल फ़िदा हुसैन का जब विरोध हुआ तब वही तबका उनके बचाव में सामने आ गया जिसे असहिष्णु होने के कारण ये देश असुरक्षित लगता है | न केवल हिन्दू देवी – देवाताओं अपितु ऐतिहासिक चरित्रों के बारे में भी निराधार बातें प्रचारित करने का चलन है | बेहतर हो इस बारे में एक समान सोच विकसित की जाए | अन्यथा कोई भी ऐरा – गैरा कुछ भी अनर्गल बकवास करते हुए समाज में आपसी विद्वेष फैलाने का प्रयास करता रहेगा |

महुआ और श्री थरूर दोनों संसद सदस्य हैं | ऐसे में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे धर्म जैसे मामले में बोलते समय केवल अपना ज्ञान न बघारें अपितु मर्यादा की सीमा रेखा का पालन करें | ये भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिन्दुओं के भीतर ही ऐसे लोग हैं जो अपने धर्म के बारे में फैलाई जा रही अनर्गल बातों की निंदा करने के बजाय उसका समर्थन करते हैं | तृणमूल कांग्रेस ने तो महुआ के बयान से किनारा कर लिया लेकिन कांग्रेस श्री थरूर के बारे में क्या करती है इस पर सभी की निगाहें लगी रहेंगी |

लेख़क- रवीन्द्र वाजपेयी