वर्ष भर हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अनेक उपाय करते हैं। योग करते हैं, 4- 5 किलोमीटर नियमित रूप से चलते हैं। इन सभी के साथ आहार भी एक अच्छा उपाय है शरीर को स्वस्थ रखने के लिए। आहार कैसा हो और मौसम के अनुकूल हो इस बात का विशेष ध्यान हमारे भारतीय भोजन परंपरा में अवश्य रही है। वैसे भारत भूमि पर वर्ष भर मौसम के अनुकूल खाई जाने वाली भाजियां उपलब्ध रहती हैं।अभी सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है। सर्दियों के मौसम में ढेर सारे मौसमी फल और सब्जियां उपलब्ध होते हैं, जो सेहत के लिहाज से काफी स्वास्थ्यवर्द्धक होते हैं।
सर्दियों के मौसम में कई तरह की हरी भजियां आपको मिल जाएगी। भाजियां सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। हममें से ज्यादातर लोग साग भाजियां को सिर्फ स्वाद के लिए खाते हैं। लेकिन इसके कई फायदे भी हैं। भाजी कई लोगों की प्रिय होती है। सर्दियों में मिलने वाली हर भाजी कुछ न कुछ खूबी समेटे हुए है मेथी, पालक,चौलाई,सरसों भाजी तो पूरे भारतवर्ष में बनाई और खाई जाती है। किन्तु लाल भाजी (चौलाई का ही दूसरा रूप), बथुआ या सुआ पालक, सर्दियों में कुछ विशेष भागों में बड़े शौक से बनाई और खाई जाती हैं। सर्दियों के मौसम में हरा प्याज, और लहसुन के हरे पत्ते की भी बहुत मांग होती है।
धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ हरी-भरी भाजियों का भी गढ़ है। प्रदेश में भाजियों की 80 प्रजातियां एक समय पाई जाती थीं। इसमें 36 प्रकार की भाजियां ऐसी हैं जिन्हें आज भी लोग चाव से खा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कृषि वैज्ञानिकों ने शोध में इन भाजियों के तरह-तरह के फायदे भी बताए हैं।
सर्दियों के मौसम में मिलने वाली इन भाजियों में पौष्टिकता भरपूर होती है अगर इनका सेवन सर्दियों के मौसम में हमने कर लिया तो वर्ष भर यह औषधियों का कार्य करके हमें स्वस्थ रखती है। इनमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो आपको पूरे ठंड में मौसमी रोगों से बचाए रखेंगे। सर्दियों में शरीर का चयापचय (Metabolism) कम हो जाता है। ऐसे में सब्जियों का सेवन नियमित रूप से जरूर करें, जिनमें भरपूर न्यूट्रीशन मौजूद होंअपनी थाली का हिस्सा जरूर बनाएं।
पालक
पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जी में विटामिन के और बी प्रचुर मात्रा में होते हैं। शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स के साथ ही इसमें फोलिक एसिड और एस्कॉर्बिक एसिड भी होता है। पालक का साग बनाएं, सूप पिएं, जूस बनाएं, सलाद में मिलाएं, सब्जी बनाकर खाने चाहें, जैसे भी इसका सेवन करेंगे हर तरह से यह स्वास्थ् वर्धक है। इसमें आयरन भी काफी होता है, जो शरीर में आयरन की कमी नहीं होना देता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट तत्व भी पाए जाते हैं।
पालक के कुछ सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं।
मांसपेशियों की ताकत और हड्डियों का स्वास्थ्य बढ़ाता है ।
रक्तचाप कम करता है ।
पाचन में सुधार करता है ।
मधुमेह नियंत्रण के नियंत्रण में काफी मदद करता है ।
कैंसर से लड़ता है ।
बाल, नाखून और त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता है ।
नेत्र स्वास्थ्य और दृष्टि के लिए अच्छा है ।
मेथी
पूरे भारतवर्ष में सबसे अधिक पसंदीदा भाजी मेथी ही है जो कि स्वास्थ्वर्धक तो है ही किन्तु उसकी महक से भी ज्यादा जानी जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार मेथी शरीर में गर्मी पैदा करके बॉडी के तापमान को स्थिर रखने में मदद करती है। लेकिन इसे खाने के और भी कई फायदे हैं। इसलिए डॉक्टर्स इसे किसी न किसी रूप में खाने की सलाह देते हैं। इसकी सुगंध भोजन के स्वाद को बढ़ा देती है। इसके अलावा भी कई व्यंजनों में इसका प्रयोग किया जाता है।कुछ घरों में इसे सुखाकर भी रख लेते हैं और जब यह बाजार में नहीं आती, उस समय इसे बनाते हैं। कसूरी मेथी ही सूखी मेथी होती है।
मेथी का सेवन करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके सेवन से शरीर को काफी सारे न्यूट्रिशन मिल जाते हैं।
मेथी के पत्ते फाइबर से भरपूर होते हैं। इनमें विटामिन और मिनरल्स (Vitamins and Minerals) भी काफी मात्रा में होते हैं।
मेथी के कुछ सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं
न्यूट्रिशन से भरपूर ।
डयबिटीज में फायदेमंद ।
डाइजेशन सही रखती है ।
कैलोरी में कम होती हैं ।
बालों को लंबा और चमकदार बनाए ।
हड्डियों के लिए फायदेमंद ।
यही नही मेथी के दानों का भी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है ।भारतीय चौके में इन मेथी दाने के बीजों का मसाले के रूप में भी प्रयोग किया जाता है जो कि बहुत ही लाभदायक है । इनका सेवन थोड़ा चिकित्सक की सलाह से लेना चाहिए क्योंकि इनकी प्रवृत्ति गर्म होती है और शरीर को विपरीत प्रभाव भी दे सकती है।
मेथी के बीज गर्म प्रकृति के होते हैं। यही वजह है कि यह कफ में लाभदायक हैं। जिन्हें कफ ज्यादा बनता है, वो मेथी दाना किसी भी रूप में खा सकते हैं – पाउडर, भिगोकर, अंकुरित या साबुत। पित्त या अग्नि वाले लोगों को मेथी का पानी पीना चाहिए या बीजों को भिगोकर या अंकुरित करके पीना चाहिए, उन्हें एसिडिटी और पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं से राहत मिलेगी
सरसों
सर्दियों में सरसों के साग का सेवन केवल स्वाद के लिए नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। 100 ग्राम सरसों के साग में 27 कैलोरी, 0.4 ग्राम फैट्स, 3.2 ग्राम फाइबर, 1.3 ग्राम शुगर, 358 मिलीग्राम, पोटैशियम, 4.7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, बी 12, सी, डी, आयरन, मैग्नीशियम व कैल्शियम जैसे तत्व पाए जाते हैं ।
सर्दियों में सबसे ज्यादा सरसों का साग खाया जाता है. पंजाब हरियाणा में सरसों का साग और मक्के की रोटी काफी प्रसिद्व भी है। सरसों का साग और मक्के की रोटी खाने में काफी स्वादिष्ट होते है।
पोषक तत्वों से भरपूर- सरसों के साग में इसके अलावा और भी कई तरह की हरी सब्जियों को मिलाया जाता है. इसमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन के, मैंगनीज, कैल्शियम, विटामिन बी 6, विटामिन सी और कई और अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
फाइबर का अच्छा सोर्स- सरसों के साग में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है। इस कारण इसे खाने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती। साथ ही इसे खाने से ब्लड प्रेशर का खतरा भी कम होता है।
मेथी के कुछ सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं –
दिल के लिए फायदेमंद ।
मेटाबॉलिज्म ठीक करता है ।
आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद ।
कैंसर की रोकथाम के लिए फायदेमंद ।
गठिया जैसी बीमारी में लाभदायक ।
डायबिटीज रोगियों के लिए रामबाण ।
प्रेगनेंसी में फायदेमंद ।
अस्थमा रोगियों के लिए लाभदायक ।
चौलाई
चौलाई समस्त भारत में पाया जाता है।
चौलाई का साग कई सारे पोषक तत्व के गुणों से भरपूर होता है।
आयुर्वेद में चौलाई का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ-साथ पाचन तंत्र को सही करने व हड्डियों को मजबूत करने के लिया किया जाता है, चौलाई के बीजों को राजगिरा और रामदाना भी कहा जाता है।
चौलाई को कच्चा मेथी की तरह नहीं खाया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें ऑक्सालेट और नाइट्रेट्स जैसे कुछ विषाक्त या अवांछनीय घटक होते हैं जिन्हें उबालकर और उचित तैयारी से समाप्त किया जा सकता है। हालांकि इसमें मूल्यवान एंटीऑक्सिडेंट और फेनालिक यौगिक भी होते हैं। इसके पत्तों और बीजों में प्रोटीन, विटामिन ए और खनिज प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। चौलाई भाजी के पत्तों के साथ-साथ उनके बीच और जल भी औषधियों के रूप में प्रयोग की जाती है चौलाई को anti-diabetic भी माना गया है यह इन सिली उनको बनाने का काम करती है जिससे शरीर में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है एनीमिया जैसे रोगों के उपचार में भी चौलाई सहायक होती है।
लालभाजी चौलाई का दूसरा रूप और रंग।
लाल भाजी की गिनती हरी सब्जियों में ही होती है, पर इसकी रंगत के चलते इसे लाल भाजी कहा जाता है। जो कुछ कुछ पालक जैसी दिखती है। इन दोनों के स्वाद और खूबियों में जमीन आसमान का अंतर है.दरअसल चौलाई लाल और हरे रंग दोनों में आती है। आमतौर पर हरे रंग वाली भाजी को चौलाई के नाम से जाना जाता है। जबकि लाल चौलाई, लाल भाजी या लाल साग के नाम से ही प्रचलित है। सर्दियों में मिलने वाली चौलई ही लाल भाजी कहलाती है। इसे कुछ स्थानों पर तंदुलीय, अमरंथ भी कहा जाता है। पालक से मिलती जुलती होने की वजह से इसे रेड स्पिनेच भी कहते हैं. वैज्ञानिक नाम एमरेंथ डबियस है।
लाल भाजी पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है. इसकी डंठल खाने की सलाह भी दी जाती है. जिसमें फाइबर्स अच्छी मात्रा में होते हैं. ये फाइबर्स डाइजेशन को बेहतर बनाते हैं।
वर्तमान सबसे अधिक बिमारी मधुमेह से लोग पीड़ित हो रहे हैं उनके लिए लालभाजी का सेवन लाभप्रद है। लाल भाजी खून में इंसुलिन लेवल को कंट्रोल करती है। इसका प्रोटीन इंसुलिन की मात्रा को काबू में रखता है। यही वजह है कि इससे वजन भी कम होता है. क्योंकि, ये शुगर नहीं बढ़ने देती।
गर्भवती माताएं अगर लाल भाजी का सेवन करती हैं तो इसका अच्छा असर गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग पर पड़ता है. माना जाता है कि इससे शिशु की याददाश्त बढ़ती है।
बथुआ
आयुर्वेद के अनुसार, बथुआ एक बहुत ही फायदेमंद औषधि भी है। बथुआ के उपयोग से कई रोगों का उपचार कर सकते हैं।बथुआ एक महत्त्वपूर्ण तथा स्वास्थ्यवर्धक शाक है। इस पौधे के पत्ते शीतादरोधी तथा पूयरोधी होते हैं। बथुए में अनेक प्रकार के लवण एवं क्षार पाए जाते हैं, जिससे यह पेट रोग के लिए फायदेमंद होता ही है साथ ही अनेक बीमारियों में भी काम में लाया जा सकता है।
बथुआ के अनेक भाग जो उपयोगी होते है।
*बथुआ के बीज
* बथुआ के पत्त
* बथुआ के पौधे के तने
* बथुआ की जड़
जिन लोगों कि रोग प्रतिरक्षा शक्ति कमजोर हो, वे बथुआ के शाक (सब्जी) में सेंधा नमक मिलाकर, छाछ के साथ सेवन करें। इससे रोग से लड़ने की शक्ति (रोग प्रतिरक्षा शक्ति) मजबूत होती है। जोड़ों का दर्द, साइनस, खूनी बवासीर, मोच आने पर, डायरिया, मूत्र रोग, पेट में कीड़े होने पर, गठिया जैसी बीमारियों में भी बथुए का प्रयोग किया जाता है यहां भारतवर्ष में आसानी से पाया जाता है।
सुआपलक
सुआपलकबहुत ही गुणकारी है। इसका इस्तेमाल सरसों और पालक के साग में किया जाता है। इससे साग न सिर्फ खुशबूदार बनती है बल्कि स्वाद भी दोगुना हो जाता है। सर्दियों में इसे बडे़ चाव से खाया जाता है। इसके पत्ते सौंफ के पौधे की तरह दिखते है। इसके बीज भी सौंफ की तरह ही पर थोड़े बड़े होते है। इसके बीजों को बनसौंफ कहा जाता है। मराठी में इन्हें बाळंत सौंफ के नाम से जाना जाता है।
ज्यादातर महिलाएं अनियमित माहवारी से ग्रस्त होती हैं। वे महिलाएं अगर सोआ का सेवन करें तो उनकी पीरियड साइकल रेग्युलर हो जाती है। इसमें मौजूद तत्व हॉर्मोंन्स का बैलेंस बनाए रखने में मदद करते हैं।
इसे कैंसर के इलाज में कारगर माना गया है। कई स्टडीज में दावा किया गया है कि इसमें कुछ ऐंटी-कैंसर प्रॉपर्टीज होती हैं जो कैंसर को दूर रखती हैं।
सुआपलक में कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं जो पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह डायरिया में भी मदद करता है। इसमें मोनोटर्पीन्स और फ्लेवनॉइड्स होते हैं जो डायरिया फैलाने वाले कीटाणुओं को जड़ से सफाया कर देते हैं।
डायबीटीज को कंट्रोल करने में भी सुआपलक अहम भूमिका निभाता है। यह ब्लड में सीरम लिपिड्स और इंसुलिन के घटते-बढ़ते स्तर को रेग्युलेट करता है, जिसे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है।
हराप्याज
हरा प्याज (Spring onion) न केवल स्वाद में अच्छा होता है बल्कि ये सेहत (Health) के लिए भी कई मायने में बहुत फायदेमंद है। पोषक तत्वों से भरा ये हरा प्याज शरीर को कई रोगों से बचाता है।ठंड में इस प्याज को खाने के कई फायदे भी हैं। हरा प्याज सल्फर का उत्कृष्ट स्रोत है जो शरीर के समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
इसमें एलिल सल्फाइड और फ्लेवोनोइड जैसे यौगिक होते हैं जो कैंसर रोधक होते हैं और उन एंजाइमों से लड़ते हैं जो कैंसर कोशिकाओं का उत्पादन करते है।हरा-भरा ये साग रफेज (रेशे) से भरा होता है और इसमें कई पोषक तत्व ऐसे हैं जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी शरीर की रक्षा करते हैं। स्प्रिंग अनियन को भूख बढ़ाने वाला माना गया है, लेकिन पेट को लंबे समय तक भरा रखने में भी कारगर होता है। ऐसे में ये वेट मैनेजमेंट भी बहुत फायदेमंद है। इसे कच्चा या पका कर किसी भी रूप में खाया जा सकता है।
हरालहसुन
सर्दियों में पाया जाने वाला हरा लहसुन भारत के प्रत्येक गाँव के प्रत्येक घर की बाड़ी से लेकर शहरों के किचन गार्डन की शोभा बढ़ाता है। हरी लहसुन को स्प्रिंग गार्लिक भी कहा जाता है जो असल में ऐसी लहसुन होती है जो सही तरीके से उगी नहीं होती। लहसुन का बल्ब बनने से पहले ही हरी लहसुन को ज़मीन से बाहर निकाल लिया जाता है या उसके ऊपर के पत्तों को काट लिया जाता है।
हरी लहसुन ताज़ा और इसका स्वाद हल्का लगता है, लेकिन एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरूपर होती है।
हरा लहसुन एलिसिन नाम के एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में एक सक्रिय तत्व के रूप में काम करता है, शरीर में सूजन को कम करता है, सर्दी, खांसी और फ्लू से बचाता है। शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट के अलावा यह प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करता है और ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण होने वाले सेल पुनर्जनन में मदद करता है। कई रिसर्च से पता चला है कि लहसुन में मौजूद एलिसिन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव में मददगार साबित होता है। इसके लाभों पर निरंतर शोध कार्य अभी भी शुरू हैं।
हरा लहसुन खाने के फायदे इम्यून सिस्टम को करता है बूस्ट ब्लड शुगर को भी रखता है नियंत्रित दिल को रखता है (लौह) आयरन का अच्छा स्त्रोत है।
चकोडाभाजी या चिरोटा / चरोटा या चिकोडा
चरोटा भाजी एक अत्यंत ही प्रभावशाली औषिधीय पौधा है। यह पौधा छत्तीसगढ़ बस्तर वके घने जंगलो , झारखंड में अधिक मात्रा में पाया जाता है ग्रामीण अंचलों में चिरोटा की मुलायम पत्तियों का उपयोग भाजी के तौर पर किया जाता है।
यह भाजी अत्यधिक पौष्टिक होती है चिरोटा का चक्र मर्द के नाम से जाना जाने वाला यह पौधा कहीं भी देखने को मिल जाता है खेत में जंगल में सड़क के किनारे या कहीं भी आता है इसे कई भाषाओं में अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे हिंदी में इसे पवार मालवा की लोकसभाषा में पोवड़िया एंव हल्बी में चरोटा कहा जाता है।
इससे कई सारे हर्बल नुस्खे अपनाकर के अनेक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है इसके बारे में विस्तार से चरोटा अक्सर बारिश के मौसम में आते हैं इसकी पत्तियां अठन्नी आकार की और 3 जोड़े में होती हैं और इस पर पीले फूल और पतली फलियां भी लगती हैं। जिनके बीजी मेथी दाने जैसे दिखाई देते हैं। पौधे की पत्तियों को तोड़कर सब्जी बनाकर भोजन किया जाता है।
प्रकृति का उपहार चरोटा भाजी के गुण प्रकृति देन आयुर्वेद सब्जी है जिसे हम खाने में उपयोग करते है। यह एक प्रकार का वर्षा ऋतु का खरपतवार है, जिसे चकोड़ा, चकवत तथा चरोटा के नाम से जाना जाता है।
इसकी पत्तियों में बहुत अधिक पोषक तत्व होते हैं यही कारण है चरोटा के बीजों को पानी में पीसकर अगर दांत पर लगाया जाए तो वह ठीक हो जाता है इतना ही नहीं खाज खुजली होने पर भी इसका प्रयोग करने से काफी ज्यादा लाभ प्राप्त होता है।
कुछ जगह ग्रामीण क्षेत्र के लोग तो इसे टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए भी चिरोटा की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं इसका उपयोग करने के लिए इसका लेप बना लेते हैं और टूटी हुई हड्डी के स्थान पर लगाते हैं इतना ही नहीं इसे खेत के उपयोग के कार्यों में भी करते हैं इसे खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है तो यह कार्य करती है यह बहुत ही उपयोगी है इसका इस्तेमाल करके बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।
चनाभाजी
चने की भाजी सामान्यतः भोजन के रूप में है प्रयोग की जाती है, यदि इसके औषधीय गुणों की बात है तो, आयुर्वेद के अनुसार ये कसैला, गरिष्ठ, बलकारक, वातवर्धक, कफनाशक है। नियमित रूप से उपयोग करने पर शरीर में रक्त और जीवनतत्त्व बढ़ते हैं।
सर्दी के मौसम में एक्टिविटी कम होने की वजह से ब्लड सर्कुलेशन प्रॉपर नहीं होता है। इससे कई बीमारियों के लक्षण दिखाई देते हैं। इसलिए इस मौसम में चने की भाजी खाने की परंपरा चली आ रही है। चने की भाजी में मौजूद न्यूट्रिएंट्स जैसे पोटैशियम और कैल्शियम से स्वास्थ् को कई फायदे होते हैं।
चने का साग खाने में पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। चने के साग में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, फाइबर, कैल्शियम, आयरन व विटामिन पाये जाते हैं। यह कब्ज, डायबिटिज, पीलिया आदि रोगों में बहुत फायदेमंद होता है। चने का साग हमारे शरीर में प्रोटीन की आपूर्ति करता है इसलिए इसे प्रोटीन का राजा भी कहा जाता है।
कुल्फा
कुलफा साग बाग-बगीचों, मैदानों और सड़क किनारे आमतौर पर देखी जाती है। जिसे महाकौशल और विदर्भ प्रान्त के कुछ हिस्सों में में घोर भाजी भी कहा जाता है। इसकी डंठल और पत्तियां दोनों खाने के लिए इस्तेमाल होती है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। ये विटामिन्स, मिनेरल्स और फाइबर भरपूर है जो कि पेट की बीमारियों से बचाव में मदद करता है। साथ ही इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट और कैरेटिनोइड्स भी हैं जो कि दिल की बीमारियों में फायदेमंद है।
कुलफा महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है क्योंकि ये आयरन से भरपूर है और शरीर में खून की कमी को दूर कर सकता है। इसी तरह इसे खाने के कई और फायदे भी हैं। कुलफा साग में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो एलडीएल (खराब कॉलेस्ट्रोल) को कम करने में मदद करता है।कुलफा की पत्तियों में कैरोटेनोइड्स, विटामिन-ए और बीटा-कैरोटीन आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।