केंद्र सरकार ने पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. कुछ दिनों पहले संगठन के नेताओं को देश के कई राज्यों से गिरफ्तार किया गया था. इनका कहीं न कहीं आतंकी संगठनों से रिश्ता रहा है. केंद्र ने मंगलवार की देर रात एक राजपत्र अधिसूचना (Gazette Notification) जारी कर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (Unlawful Activities Prevention Law) के कड़े प्रावधानों के तहत ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. उसके साथ ही आठ अन्य संगठनों की भी नकेल कसी गई है. ये सभी संगठन आतंकी गतिविधियों में शामिल थे. प्रतिबन्ध लगाने के बाद PFI की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि सभी को सूचित किया जाता है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को भंग कर दिया गया है. संगठन इस निर्णय को स्वीकार करता है भारत सरकार ने PFI पर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया है. PFI पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. अब दावा ये भी किया जा रहा है की क्या SIMI ही PFI है ? इस आशंका की वजह ये है कि कुछ दिनों से चल रही छापेमारी में पीएफआई के कई नेता और पदाधिकारी देश के कई राज्यों से गिरफ्तार किए गए हैं. इनका टेरर कनेक्शन सामने आया है. छापेमारी पर जो भी समग्री बरामद हुई हैं और जो भी सबूत मिले हैं कि किन गतिविधियों में यह सब लोग शामिल थे उससे तो यही बात समझ में आ रही है कि आतंकवादी घटनाएं या जो भी इनके कार्यक्रम होते थे यह सब कहीं ना कहीं इनके द्वारा सुचारू रूप से चलाए जा रहे थे एक संगठन की तरह इस पूरी गतिविधियों को जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के माध्यम से अंजाम दिया जा रहा था इनके कुछ अधिकारी जिनको गिरफ्तार किया गया है उनकी गिरफ्तारी से यह बात तो सामने आई है कि पीएफआई के जितने भी सदस्य हैं बे कोई सामान्य लोग नहीं है यह समाज के वे व्यक्ति हैं जो उच्च पदों पर बैठे थे, समाज में जिनकी साख है जिनकी पकड़ समाज के हर तबके में है तथा जो अपने आप को समाज के ठेकेदार समझते थे यह वह लोग हैं जिनका समाज में रुतबा था जिनको हम बड़े ही इज्जतदार गुणी समझते थे या यूं कहें यह समाज में रह रहे व्हाइट कॉलर अपराधी हैं जिनमें यदि हम गिरफ्तार हुए कुछ व्यक्तियों के बारे में जाने तो इससे पता चलेगा कि यह समाज में रहकर उच्च पदों पर रहकर समाज को ही खोखला करने में लगे हुए थे
१. ओ. एम. ए. सलाम, पीएफआई अध्यक्ष
केरल राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी सलाम को ‘‘निलंबित’’ कर दिया गया है. पीएफआई के साथ संबंधों के कारण सलाम के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है. सलाम के ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ (आरआईएफ) से भी संबंध हैं.
२. अनीस अहमद राष्ट्रीय महासचिव
अहमद ने बेंगलुरू में पढ़ाई की. उसकी पीएफआई की साइबर गतिविधियों और मौजूदगी को बढ़ाने में अहम भूमिका रही है. वह एक वैश्विक दूरसंचार कंपनी में काम कर रहा था, जिसने उसे हाल में निलंबित कर दिया था. विभिन्न जांच एजेंसी ने उसे सोशल मीडिया, समाचार चैनलों पर वर्तमान मुद्दों को लेकर टिप्पणी करने/प्रतिक्रिया देने में ‘‘काफी सक्रिय’’ पाया. उसे केंद्र सरकार की नीतियों और शासन की मुखरता से आलोचना करते देखा गया.
३. पी. कोया, राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद सदस्य
प्रतिबंधित संगठन ‘स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (SIMI) के ‘‘सक्रिय सदस्य’’ कोया ने केरल के कोझिकोड विश्वविद्यालय में लेक्चरर के तौर पर काम किया. उससे पहले कोया ने 1986 से कतर में एक निजी कंपनी में तीन साल तक काम किया. विभिन्न जांच एजेंसी का कहना है कि कोया ने ‘इस्लामिक यूथ सेंटर’ (आईवाईसी), कोझिकोड के निदेशक के रूप में काम किया, जो ‘‘वास्तव में इस्लामी कट्टरवाद और मुस्लिम उग्रवाद को बढ़ावा देने वाली विचारधारा का प्रचार करता है.’’
४. ई. एम. अब्दुर रहिमन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
रहिमन केरल के एर्णाकुलम जिले में स्थित कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त पुस्तकालयाध्यक्ष है. वह सिमी का अध्यक्ष रह चुका है. विभिन्न संघीय एजेंसी का कहना है कि वह ‘‘पीएफआई का बहुत प्रभावशाली नेता और निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाने वाला’’ है.
५. अफसार पाशा, राष्ट्रीय सचिव
पाशा एक व्यवसायी है और वह 2006 में पीएफआई के गठन के बाद से उसका ‘‘सक्रिय सदस्य’’ है.
६. अब्दुल वाहित सैत, राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद का सदस्य
सैत शिवाजीनगर बेंगलुरु के शिवाजीनगर में रहने वाले कच्छी मेमन समुदाय से संबंधित है. वह कट्टरपंथी इस्लामी संगठन (पीएफआई) का ‘‘संस्थापक सदस्य’’ है और सॉफ्टवेयर से जुड़ा एक उपक्रम चलाता है.
७. मोहम्मद शाकिब उर्फ शाकिफ, राष्ट्रीय सचिव
शाकिब पीएफआई का संस्थापक सदस्य है. वह एक रियल एस्टेट व्यवसाय का मालिक है.
८. मिनारुल शेख, पीएफआई पश्चिम बंगाल अध्यक्ष
शेख ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री ली है. वह कोचिंग कक्षाएं संचालित करता है और शोध कार्य करता है.
९. मोहम्मद आसिफ, पीएफआई राजस्थान अध्यक्ष
आसिफ स्नातक की पढ़ाई के दौरान ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (सीएफआई) से जुड़ गया था और वह इसका राष्ट्रीय महासचिव बना. उसे 2013-14 में पीएफआई की प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. विभिन्न जांच एजेंसी का कहना है कि आसिफ ने राज्य भर में संगठन का प्रसार करने की कोशिश की. इससे यह बात तो पूर्णतया स्पष्ट हो गई कि समाज में हमारे आसपास पास जितनी भी आतंकवादी गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही थी उन सब को संगठन के रूप में संचालित इन्हीं लोगों के द्वारा किया जा रहा था जो हमारे आस पास ही थे जिन्हें हम अच्छा समझते थे हमें लगता था कि नहीं नहीं यह मुस्लिम है लेकिन सामाजिक सामाजिकता की बात करते हैं कट्टरता से इनका कोई लेना देना नहीं है लेकिन इन छापों से इनकी असलियत सामने आई है तथा अब हमें यह लगने लगा है जो हम शुरुआत से कह रहे हैं कि आतंकवाद मुस्लिमों के द्वारा की जाती रही कार्यवाही है यह केवल मुस्लिम के द्वारा संचालित गतिविधियां है तो इन सब बातों से स्पष्ट है और यह मैं डंके की चोट पर कह सकता हूं कि हां आतंकवाद का धर्म होता है और वह मुस्लिम है आतंकवाद का धर्म होता है और आतंकवाद का धर्म मुस्लिम है। इस कार्यवाही से उन लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम के मुंह पर तमाचा है जो बोलते थे कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता इसे धर्म से मत जोड़िए आज की हुई घटना उन सब समुदाय चाहे वह अंतरराष्ट्रीय हो या फिर लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम हो इन सब की सोच को एक कटघरे में खड़ा तो करता ही है कि कैसे यह बरसों से इस समुदाय या फिर मुस्लिम समुदाय की हर कार्यवाही उनकी गतिविधियों को कभी मानने को तैयार ही नहीं हुए कि यह जो सब राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी जैसी गंभीर घटनाएं हो रही है इसमें सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम समुदायों का ही हाथ है लेकिन पीएफआई पर हुई कार्यवाही से यह बात तो पूरा स्पष्ट हो गई कि आतंकवाद का धर्म भी होता है और आतंकवादी लोग भी होते हैं जो हमारे बीच में हमेशा अच्छी साथ बनाकर रहते हैं तथा हमारी भावनाओं से खिलवाड़ कर हमें ही चोट पहुंचाने की कोशिश लगातार वर्षों से करते आए हैं तो अब यह बात तो स्पष्ट हो गई कि जी हां आतंकवाद का तो धर्म है भाई और वह मुस्लिम मुस्लिम है या यूं कहें कि मुस्लिम ही आतंकवाद जैसी गंभीर घटनाओं के आता है मुस्लिम ही आतंकवादी है