प्रकृति के प्रति श्रद्धा ही प्रकृति को बचाएगी…
प्रकृति के प्रति श्रद्धा ही प्रकृति को बचाएगी…
प्रकृति वंदन कार्यक्रम का अनुमोदन स्वयं देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी किया है।आज के इस विशेष कार्यक्रम में हम सभी को सरसंघचालक परम पूजनीय डॉक्टर श्री मोहन राव भागवत जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ उन्होंने कहा की आज के इस विशेष कार्यक्रम में हम सभी सहभागी हो रहे हैं…
प्रकृति मनुष्य के उपभोग के लिए है मनुष्य का पूरा अधिकार प्रकृति पर है प्रकृति का शोषण होने के कारण उसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं उसकी भयावहता अब लोगों को दिख रही है।
वास्तव में यह हमारे सामने अत्यंत विचारणीय प्रश्न है हमें अपने आने वाली पीढ़ी के लिए यदि साफ पानी शुद्ध हवा और खेती उपयोगी जमीन नहीं छोड़कर जाएंगे तो हमारा जीवन व्यर्थ है । इसी प्रकार से यदि चलता रहा तो स्थिति और विकराल हो जाएगी ।
हमारे सनातन संस्कृति हमेशा से पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के प्रति सचेत रही है । हमारे पूर्वजों ने प्रकृति के प्रति आस्था का भाव सदा ही जागृत करके रखा हुआ इसका कारण है कि हमारे वर्ष भर में होने वाले विभिन्न उत्सव त्योहारों में भी प्रकृति पूजन के यह दृश्य और संदेश देखने मिलते हैं।
चाहे सुदूर वनांचल में रहने वाले वनवासी जल जंगल जमीन की पूजा करते पाए जाएंगे खेतों में हल जोतने से पहले धरती माता के पैर पड़ने वाला वह किसान हो जमीन में गड्ढा करने वाला वह मजदूर हो जो पहले धरती माता के प्रति श्रद्धा का भाव रखते हुए कार्य को प्रारंभ करता हो नाव चलाने वाला नाविक हो जो अपनी नाव प्रारंभ करने से पहले पूजा करता हुआ दिखाई दे ही देगा।
घरों में प्रतिदिन तुलसी पूजा वट अमावस्या में होने वाली बरगद की पूजा या प्रत्येक शनिवार को भी आस्था और विश्वास के रूप में की जाने वाली पीपल और बरगद की पूजा हम सभी करते हैं हमें पता तो है कि हम ऐसा करते हैं…
जबलपुर में प्रतिदिन मां नर्मदा के तट पर जाने वाले हजारों लोग हैं एक बड़ा युवा वर्ग भी आज ऐसा कर रहा है किंतु उसके पीछे के किए जा रहे हेतु को जागृत करने की आवश्यकता है । वह भाव है हम भी पूरी प्रकृति के एक अंग हैं ।